सागर. सागर (Sagar) के बुन्देलखंड मेडिकल कॉलेज (Bundelkhand Medical College) में इलाज के दौरान 14 दिसंबर को तीन साल की बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत का संदेशा पाकर परिजन गुस्सा गए और परिचितों की भीड़ लगा ली। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में बच्ची का सही तरीके से इलाज नहीं किया गया। परिवार ने प्रबंधन (Management) पर गंभीर आरोप भी लगाए। बच्ची के पिता का कहना है कि गलत इंजेक्शन लागाने से मौत हुई है। जबकि मेडीकल कॉलेज के अधीक्षक (Superintendent) का कहना है कि परिवार वाले बच्ची को अस्पताल (Hospital) से बाहर ले गए थे। इस दौरान उसे चॉकलेट खिलाई गई है। संभवत: मौत का कारण यही है। जांच में बच्ची की श्वास नली में चॉकलेट के कण मिले हैं। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने मोर्चा संभाला और परिजनों से बातचीत करके मामले को सुलझाने का प्रयास किया।
पूरा मामला ये है
सागर के सुभाष नगर निवासी चंद्रभान की 3 वर्षीय बच्ची अनामिका को परिजन बीएमसी में रूटीन चेकअप के लिए लाए थे। शनिवार को वह ग्लास पर गिर गई थी। जिसका ऑपरेशन हुआ था। जहां उसे सर्दी होने पर डॉक्टर ने भर्ती कर दिया था। परिजनों का आरोप है कि मासूम भर्ती होने के समय नॉर्मल थी। मोबाइल से खेल भी रही थी। इस बीच बच्चा वार्ड में ड्यूटी कर रहे वार्ड बॉय ने उसे इंजेक्शन लगाया। इस कारण मासूम की तबियत बिगड़ गई।
आनन-फानन में उसे आईसीयू वार्ड ले गए। जहां से बीएमसी प्रबंधन का एक कर्मचारी आया और कहने लगा कि आपकी बच्ची की हालत क्रिटिकल है। इस कोरे कागज पर साइन कर दो। जब मैंने पति के नाते साइन कर दिए, तो वहां मौजूद डॉक्टर ने कहा कि आपकी बेटी शांत हो गई है।
खेलते हुई बच्ची को इंजेक्शन लगाने और कुछ देर बाद मासूम की मौत की खबर से परिजनों का गुस्सा भडक़ गया। देखते ही देखते वहां पर लोगों की भीड़ लग गई। आनन-फानन में गोपालगंज थाना पुलिस को इसकी सूचना दी गई। पुलिस ने परिजनों को किसी तरह समझाया।
मृतक बच्ची के पिता का आरोप
बच्ची के पिता ने कहा कि बीएमसी प्रबंधन झूंठ बोल रहा है कि मैं अपनी बच्ची को लेकर बाहर गया था। मैं फोटो कॉपी कराने बाहर जरूर गया था लेकिन बच्ची को लेकर नहीं गया था। और न ही उसे कोई चॉकलेट खिलाई है। वहीं, बेटी की मौत के बाद बीएमसी प्रबंधन ने जो कागज में साइन करवाए थे। उसमें लिख दिया है कि मैं अपनी बेटी को लेकर बाहर गया था।
प्रबंधन ने दी सफाई
मामले में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक ने सफाई देते हुए कहा कि हंगामी के दौरान मैंने जानकारी मांगी थी, जिसमें सामने आया है कि बच्ची दो दिनों से वार्ड में भर्ती थी। मंगलवार को करीब 11.10 बजे उसे परिजन बाहर लेकर गए थे। जिसके बाद उसे सांस लेने में दिक्कत हुई। संभवत: बच्ची को टॉपी-चॉकलेट खिलाई गई जो सांस की नली में फंस गई। जहां इलाज के दौरान मौत हो गई है।