VIDISHA: वन विभाग के कर्मचारियों-अफसरों ने सर्विस रिवॉल्वर-बंदूकें जमा कराईं, बोले- जब इस्तेमाल ही नहीं करना तो क्यों ही रखें

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The Sootr CG
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VIDISHA: वन विभाग के कर्मचारियों-अफसरों ने सर्विस रिवॉल्वर-बंदूकें जमा कराईं, बोले- जब इस्तेमाल ही नहीं करना तो क्यों ही रखें

अविनाश नामदेव, VIDISHA. मध्य प्रदेश वन विभाग के अंतर्गत विदिशा के वनकर्मियों और अफसरों ने अपनी बंदूकें और रिवॉल्वर 16 अगस्त को जमा करा दी हैं। मध्य प्रदेश स्टेट फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर्स एसोसिएशन के निर्देश पर वनरक्षक से लेकर रेंजर ने ये हथियार जमा करा दिए। कर्मचारियों ने लटेरी में हुई फायरिंग को लेकर एकपक्षीय कार्रवाई को हथियार जमा कराने की वजह बताया है।





वन अमले की नाराजगी की कई वजहें





वन विभाग द्वारा वन सुरक्षा में संलग्न वन अमले को शासकीय बंदूकें और रिवॉल्वर दी गई थीं, जो महज शो पीस बनी हुई है। वन विभाग द्वारा ना तो आज तक वन अमले को IPC (1973) की धारा 45 के तहत सशस्त्र बल (Armed forces) घोषित नहीं किया गया है और ना ही वन सुरक्षा के दौरान बंदूक चालन के संबंध में IPC की धारा 197 के तहत मध्य प्रदेश पुलिस और वन विभाग से वन कर्मचारियों और वनाधिकारियों को कोई संरक्षण अब तक प्रदान नहीं किया गया। 





ऐसी स्थिति में वन अमले को दी गई रिवॉल्वर और बंदूकें का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इसके उलट वन सुरक्षा के दौरान सरकारी बंदूकों के चालन के दौरान क्षेत्रीय वनाधिकारियों एवं वन कर्मचारियों पर आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इससे वन अमला हतोत्साहित, असुरक्षित और असहज महसूस कर रहा है।





अधिकारी-कर्मचारी ये बोले





वन क्षेत्रपाल और विदिशा के वन परिक्षेत्र अधिकारी अर्जुन कुशवाहा कहते हैं कि लटेरी में हुई घटना के चलते वन विभाग के कर्मचारी गुस्से में हैं। इसी चलते कर्मचारियों ने अपने शस्त्रों को जमा करा दिया है। मामले में एकपक्षीय कार्रवाई हुई है।





भैरोपुर बीट पर पदस्थ कर्मचारी राजेंद्र कुमार के मुताबिक, हमें जो हथियार मिले हैं, ये आत्मरक्षा के लिए मिले हैं। ये हथियार अवैध वन कटाई करने वालों, जंगली जानवरों से और शिकारियों से निपटने के लिए दिए गए हैं। 9 अगस्त को लटेरी में जो घटना हुई, उसमें वनकर्मियों को अवैध कटाई करने वालों ने घेर लिया था। वनकर्मियों ने अपने बचाव में हथियारों का इस्तेमाल किया। घटना-दुर्घटनावश किसी की मौत हो गई। हम शासन के ही कर्मचारी हैं और शासन ने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए कर्मचारियों को ही निशाना बनाया, FIR हुई। हमने कलेक्टर से निवेदन किया था कि मामले की न्यायिक जांच हो, फिर केस दर्ज हो, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ।





विदिशा के वन और वन्य प्राणी कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अतुल कुशवाहा ने बताया कि जो शस्त्र जमा किए जा रहे हैं, लटेरी में हुए घटनाक्रम के कारण कर्मचारियों में नाराजगी है। कर्मचारियों जो शस्त्र दिए गए हैं और वे उनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे, इसलिए वे अपने शस्त्रों को लौटा रहे हैं। 





लटेरी में ये हुआ था





मामला 9 अगस्त की रात 10 बजे के आसपास का है। विदिशा के लटेरी इलाके के रायपुरा गांव में आदिवासी समाज (tribal society) के लोग जंगल में लकड़ियां लेने गए थे, जहां मौजूद वन अमले (forest department) ने उन्हें देखते ही फायर कर दिया। इसमें एक आदिवासी चैन सिंह मौत हो गई, जबकि 4 अन्य घायल हो गए। घटना के बाद नजीराबाद रोड पर ग्रामीणों ने चक्का जाम कर दिया और आरोपियों की गिरफ्तारी पर अड़ गए। इसके बाद कलेक्टर ने मृतक के परिवार को 25 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। वहीं घायलों को 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया। इस घटना के दौरान वन अमले में शामिल सभी कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया।





DFO राजवीर सिंह ने बताया था कि 9 अगस्त को ही रात साढ़े 8 बजे के करीब विभाग को सूचना मिली कि गुना से आए कुछ लोग लकड़ी तस्करी कर रहे हैं। सूचना पर एक टीम बैरागढ़ कोटरा वन चौकी पहुंची। बाद में जंगल की ओर से कुछ लोग आते हुए दिखाई दिए। उनके पास लकड़ियां थीं। टीम ने उन्हें दबोचने के लिए घेराबंदी की तो वे लोग बाइक छोड़कर जंगल में भीतर घुस गए। टीम ने उनका पीछा किया। वे लोग पत्थर फेंकने लगे। टीम ने आत्मरक्षा में फायर किया, जिसमें चैन सिंह नामक तस्कर की मौत हो गई।



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