कौओं का संरक्षण कर रहा है विदिशा का मुक्तिधाम काग उद्यान, 11 वर्षों की है निरंतर मेहनत, चारों ओर गूंज रहा कागों का स्वर 

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Vivek Sharma
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कौओं का संरक्षण कर रहा है विदिशा का मुक्तिधाम काग उद्यान, 11 वर्षों की है निरंतर मेहनत, चारों ओर गूंज रहा कागों का स्वर 

अविनाश नामदेव,Vidisha. आज से पितृपक्ष प्रारंभ हो चुका है जहां लोग बाग अपने-अपने पितरों की याद में धर्म-कर्म दान पुण्य का विशेष रूप से कार्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन 15 दिनों के पितृपक्ष काल में किए गए दान पुण्य और उनके सेवा कार्य सीधे उनके पितरों तक पहुंचते हैं और उन्हीं के आशीर्वाद से परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसमें एक कार्य है पितरों के प्रतीक कौओं को आहार कराने का,क्योंकि सनातनी धर्म में और परंपराओं में यह माना गया है कि कौवों को भोजन कराने से सीधे हमारे पितरों तक भोजन आहार पहुंचता है। इसके लिए मुक्ति धाम सेवा समिति द्वारा बेतवा तट स्थित एक काग उद्यान का निर्माण किया गया है जहां प्रतिदिन कौवों अथार्त कागों को प्रतिदिन भोजन कराया जाता है। 



कौओं की प्रजाति को बचाने का प्रयास



गौरतलब है कि पितृ पक्ष काल में तो यहां मिष्ठान और मीठे चावल तैयार करने का भी कार्य किया जाता है। मुक्ति धाम सेवा समिति के सचिव मनोज पांडे बताते हैं कि देश का पहला ऐसा उद्यान है जहां विलुप्त होती कौओं की प्रजाति को बचाने एवं उनके संरक्षण का कार्य किया जाता है बल्कि प्रतिदिन उनके लिए भोजन भी तैयार किया जाता है। पांडे के मुताबिक कागों के निमित्त एक काग रसोई ही जहां तैयार कर दी गई है जहां प्रतिदिन चावल और समय-समय पर रोटी आदि पकाई जाती है। संस्था सचिव मनोज पांडे बताते हैं कि पिछले 11 वर्षों से इस विलुप्त होती प्रजाति को बचाने का ख्याल मन में आया था और तब से लेकर आज तक प्रतिदिन यहां कौओं के नाम पर ही काग रसोई चल रही है। 



संरक्षण के लिए अनूठा प्रयोग



वहीं शहर की होटलों से समोसे, कचोरी, भाजी बड़ा, आलू, बड़ा और जलेबियां भी प्रतिदिन उठाई जाती हैं और यहां कागों और पक्षियों को खिलाई जाती हैं। पांडे के मुताबिक देश दुनिया में पक्षी विहार तो बहुत हैं लेकिन कौओं के संरक्षण के लिए यह अनूठा प्रयोग यहां शुरू किया गया है और अब यहां सैकड़ों की तादाद में कौआ की मौजूदगी बनी रहती है। 



पितरों के प्रतीक का रूप 



अब यहीं से यह शहरों की ओर भी समय-समय पर कूच करते रहते हैं। जिसके कारण अब शहर में लोगों के घरों पर छतों पर भी कौओं की मौजूदगी को देखा जा सकता है। पांडे के मुताबिक विलुप्त होती इस प्रजाति को ना केवल बचाने का कार्य किया जाता है बल्कि धार्मिक एवं वैज्ञानिक रूप से भी कौओं का संरक्षण आवश्यक है। जहां धार्मिक रूप से यह हमारे पितरों के प्रतीक के रूप में स्थान प्राप्त है। कहा जाता है पित्र पक्ष में किया गया कौओं का आहार सीधे हमारे पितरों तक पहुंचता है,तो  दूसरी ओर वैज्ञानिक दृष्टि से भी इनका का बड़ा महत्व है कौआ कीट भक्षी होते हैं और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का यह भक्षण करते हैं। जो कीट हमारे मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने का कार्य करते हैं।



रेडिएशन से अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह



वर्तमान समय में मोबाइल टावरों की बढ़ते रेडिएशन के कारण इनके जीवन और अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है और इसी वजह से यहां बड़ी संख्या में इस प्रजाति को बचाने के लिए प्रतिदिन उनके लिए सेवा कार्य किया जाता है।पांडे के मुताबिक शहर के अनेक दानदाता यहां खाद्य सामग्री भी हमें उपलब्ध कराते हैं जिसको हम यही  पकाते हैं और प्रतिदिन कागों को आहार कराते हैं। मुक्तिधाम के काग उद्यान में बाकायदा स्टील के भोजन के थाल भी पूरे उद्यान में बने हुए हैं जिसमें प्रतिदिन आहार डाला जाता है और  पितृपक्ष के दौरान शहर से भी लोग भी वहां पहुंच कर पितरों के प्रतीक कागों को आहार कराते हैं। 



जल विद डॉक्टर राजेंद्र सिंह ने कराया है निर्माण



इस काग उद्यान का लोकार्पण अंतर्राष्ट्रीय रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित देश के जाने-माने जल विद डॉक्टर राजेंद्र सिंह के द्वारा किया गया था। वही भोपाल कमिश्नर भोपाल कमिश्नर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर 19 सितंबर 2021 को 11:28 पर खुद लिखा है कि विदिशा मुक्तिधाम सेवा समिति की पहल काग उद्यान जहां कौवों के संरक्षण के लिए अनूठा प्रयास है जहां उनकी खासतौर से देखभाल हो रही है। भोपाल कमिश्नर आगे लिखते हैं किताबों के संरक्षण के लिए मुक्ति धाम सेवा समिति की तरफ से एक अनूठी पहल(Unique Campaingh ) की गई है।

 


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