इंदौर. 31 अक्टूबर को जैन संत विमद सागर महाराज (Vimad Sagar Maharaj) का डोली यात्रा के बाद अंतिम संस्कार हुआ। उन्होंने 30 अक्टूबर को इंदौर (Indore) में सुसाइड की थी। विमद सागर की संदिग्ध मौत पर उनके परिजन ने सवाल खड़े किए हैं। उनके बड़े भाई संतोष जैन (Santosh Jain) ने बताया कि संत समाधि लेता है, आत्महत्या नहीं करता। उन्होंने बताया कि बचपन में एक हादसे के कारण उनका एक हाथ टूट गया था। यह हाथ उनका सिर से ऊपर नहीं जाता, इसके बाद भी उन्होंने 12 फीट ऊपर फांसी का फंदा कैसे लगाया। इसकी जांच होनी चाहिए।
कमरे में कहां से आई रस्सी
सबसे बड़ा रहस्य नॉयलॉन की रस्सी पर ही है कि रस्सी कहां से आई। लोगों का कहना है कि नायलॉन की रस्सी वहां तक कैसे पहुंची, इसकी भी जांच होना चाहिए। पुलिस का मानना है कि मामला आत्महत्या का ही लग रहा है क्योंकि आचार्य के गले में रस्सी के निशान भी मिले हैं। पास में एक मेज भी थी, जिसे देखकर कहा जा रहा है कि इसी पर चढ़कर फांसी लगाई होगी। आशंका यह भी जताई जा रही है कि संत अपने साथ ही रस्सी लेकर कमरे में गए थे।
भाई ने सुसाइड को षड़यंत्र बताया
उनके भाई ने कहा कि घटना के पीछे निश्चित ही उनके विरोधी लोग हैं, जो उनकी बढ़ती लोकप्रियता से डर रहे थे। षड्यंत्र के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया। उन्होंने आत्महत्या नहीं की। उन्होंने कहा कि वह निडर थे। संकट से कभी डरे नहीं, तो ऐसा कदम उठाने का तो सोच ही नहीं सकते। वहीं, उनके पिता शीलचंद जैन ने कहा कि इंदौर पुलिस (Indore Police) और प्रशासन से अनुरोध है कि जिस प्रकार से घटना को आत्महत्या (Jain Saint Suicide Case) बताकर उछाला गया है, वो गलत है। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।