राजगढ़. यहां के कमल सिसौदिया को जिंदगी से नफरत क्या हुई, उसने अपनी जिंदगी के रास्ते ही बदल दिए। पहले उन्हें सांप को मारने के लिए बुलाया जाता था। अब उन्हें सांप पकड़ने के लिए बुलाया जाता है। बचपन गरीबी में गुजारा तो जीने की इच्छा छोड़ दी। इसके बाद से सांप पकड़ने की शुरुआत की गई। इस सोच से कही सांप काटने से मौत हो जाएगी। 35 साल की उम्र होते-होते उन्हें सांप गोयरे पकड़ने में दक्षता हासिल हो गई। इसे उन्होंने अपने रोजगार का साधन बना लिया।
चंद मिनटों में सांपों काबू कर लेते है
इस हुनर ने उन्हें अलग पहचान दिला दी। सांप के लिए उन्हें जबभी कॉल आता है वो बिना वक्त गवाएं जगह पर पहुंच जाते है। सिर्फ चंद मिनटों में वो सांप को काबू कर लेते है। कमल ने मीडिया को बताया कि गांव वाले उन्हें मारने की बुलाते थे। सांप की पूंछ पकड़कर पटक देता था। घर में गरीबी की वजह से आठवीं की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सके। आर्थिक तंगी की वजह से जान देने की सोचने लगा। मुझे पता था कि सांप के कटाने पर मौत हो जाती है। इसी कारण उन्होंने सांपों को खोजना और पकड़ना शुरू कर दिया। वे बस यही सोचते थे कि कब सांप डंसे और वे जिंदगी को अलविदा कह दें, हालांकि आज तक सांप ने नहीं काटा। उन्हें पता नहीं नहीं चला कि उनकी यह नफरत कब हुनर में बदल गई है। सांप पकड़ने का प्रशिक्षण भी कहीं नहीं लिया।
अब तक 8 हजार सांप पकड़े
कमल के अनुसार, वे अब तक 8 हजार सांप और 15 हजार गोयरे पकड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि खिलचीपुर और नगर के आसपास गांव में जब भी सांप दिखने की सूचना मिलती है तो वे वहां पहुंच जाते हैं। सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ देते हैं। कमल की शादी नहीं हुई है। वह श्मशान में ही रहते हैं। यहां आने वाले शव के अंतिम संस्कार करते में सहयोग करते हैं।