ग्वालियर में करोड़ों के फाउंटेन में लापरवाही, भोपाल में 1.8 Cr खर्च कर ताला डाला

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ग्वालियर में करोड़ों के फाउंटेन में लापरवाही, भोपाल में 1.8 Cr खर्च कर ताला डाला

ग्वालियर/भोपाल. ग्वालियर के कटोरा ताल का जीर्णोद्धार तकरीबन साढ़े 5 करोड रुपए की लागत से किया गया। इसमें अकेले म्यूजिकल फाउंटेन पर ही 2.5 करोड रुपए खर्च किए गए। जिसके मेंटेनेंस और संचालन का जिम्मा भी ठेकेदार को ही सौंपा गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअली इसका उद्घाटन किया। लेकिन इसमें बड़ी लापरवाही सामने आई है। दरअसल पूरा मामला कटोरा ताल में भरने वाले पानी को साफ रखने वाले क्लोरीन सिस्टम से जुड़ा है। जिसे लगाए बगैर ही इसका उद्घाटन कर दिया गया। वहीं, भोपाल में 1 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन और लेजर शो ऑडिटोरियम का निर्माण किया गया था। बताया गया कि इससे भोपाल की सुंदरता में इजाफा होगा। लेकिन प्रशासन ने करोड़ों की लागत से बनाए गए इस प्रोजेक्ट पर ताला डाल रखा है।



ग्वालियर में बड़ी लापरवाही सामने आई: फाउंटेन में आने वाले पानी को साफ करने के लिए क्लोरीन सिस्टम लगाए जाना था लेकिन क्लोरीन सिस्टम ना लगाए जाने की स्थिति में पानी लगातार गंदा होता जा रहा है। इसकी वजह से म्यूजिकल फाउंटेन खराब भी हो सकता है। फिलहाल मंजर यह है कि म्यूजिकल फाउंटेन का शो शाम 7:00 बजे होना तय किया गया है। जिसका आमजन के लिए ₹30 प्रति व्यक्ति टिकट निर्धारित किया गया। सवाल यह है कि अधूरी स्थिति में उद्घाटन करने की क्या जल्दी थी..? क्या जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों से कितनी राशि खर्च करने के बाद यह म्यूजिकल फाउंटेन जनता को आकर्षित कर पाएगा..?? 



भोपाल में फाउंटेन की बदहाली: ग्वालियर ताल कटोरा की स्थिति बताने के बाद अब आपको राजधानी भोपाल के म्यूजिकल फाउंटेन की हकीकत दिखाते हैं। शहर के छोटे तालाब में साल 2012 में 1 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन और लेजर शो ऑडिटोरियम की शुरुआत की गई थी। पूर्व महापौर कृष्णा गौर ने इसका उद्घाटन किया लेकिन साल भर बाद ही यह बंद हो गया। अब यहां टूटी कुर्सी, बंद पड़े काउंटर और गेट पर लगे ताले इस ऑडिटोरियम की शोभा बड़ा रहे हैं। पूर्व पार्षद रेहान गोल्डन ने बताया कि वोट क्लब पर मध्यप्रदेश का पहला लेजर शो बनाया गया था। लेकिन हमें पता नहीं था कि ये आखिरी लेजर शो होगा। डेढ़ करोड़ का केवल लेजर शो था। 4 से 5 करोड़ रुपए इसके अंदर खर्च हुए। यहां अधिकारियों ने मिलकर भ्रष्टाचार किया है। मशीनें और सामान गायब हो गया, उसका पैसा कहां गया। 



पानी में जनता का पैसा: जनता को आकर्षित करने के लिए सरकार हर साल इस तरह के प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए फूंक देने के बाद भी संचालन नहीं कर पाती। जिससे ये प्रोजेक्ट या तो सरकार की लापरवाही की भेंट चढ़ जाते हैं या कुछ महीनों में ही अव्यवस्थाओं के चलते बंद हो जाते हैं। इन प्रोजेक्ट को चलाने के लिए सरकार को लगातार फंड की जरुरत होती है। फंड और व्यवस्थाओं के अभाव में ये म्यूजिकल फाउंटेन और लेजर शो बंद हो जाते हैं। हर बार इस तरह के प्रोजेक्ट में करोड़ों गंवाने के बाद भी सरकार इसमें निवेश करती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि ग्वालियर का कटोरा ताल प्रोजेक्ट कितना सफल हो पाता है।



(ग्वालियर से अंशुल मित्तल और भोपाल से सईद खान की रिपोर्ट)


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