प्रत्येक नागरिक एक हजार वर्गफीट में वर्षा जल का संग्रहण (Water Storage) करे तो 75 हजार लीटर जल का संग्रहण हो सकता है। आज हम मात्र आठ प्रतिशत वर्षा जल को संग्रहित कर पाते हैं, शेष व्यर्थ ही बह कर वाष्पित हो जाता है। मुरार नदी का पुनरुद्धार अब नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) के तहत किया जाएगा। प्रोजेक्ट अधिकारियों ने डीपीआर (DPR) बनाना भी शुरू कर दी है। इस नदी के जीवित होने से शहर को काफी राहत मिलेगी। जल संरक्षण वर्तमान पीढ़ी पर आने वाली पीढ़ी का ऋण है। ये बात नमामि गंगे परियोजना के तहत शुक्रवार से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन के शुभारंभ पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने कही। शहर के यात्रा एवं पर्यटन प्रबंधन संस्थान में तीन दिवसीय जल सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
गंभीर जलसंकट- राजेंद्र सिंह
सम्मेलन में घटते जलस्रोत और नदी जल-सरंक्षण को लेकर चर्चा की गई। पानी की गंभीरता को लेकर सम्मेलन में आए जल पुरुष डॉ. राजेंद्र सिंह (Dr. Rajendra Singh) ने बताया कि 2035 से 2050 तक पानी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। कई देशों से विस्थापन प्रारंभ हो चुका है। वर्तमान में लगभग 75 प्रतिशत भूजल खत्म हो चुका है। ग्वालियर चंबल संभाग में भी स्थिति ख़तरनाक है।
तीन दिवसीय जल सम्मेलन
तीन दिवसीय जल सम्मेलन में 11 दिसंबर को केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल (Prahlad Patel) शामिल होंगे। तेलंगाना वाजल आयोग के अध्यक्ष प्रकाश राव, जल बिरादरी के राष्ट्रीय संयोजक सत्यनारायण बुलसेट्टी, कर्नाटक से अप्पा साहब, मुंबई से पर्यावरणविद एवं शिक्षाविद प्रो.स्नेहल धोंडे सहित बड़ी संख्या में देश भर के जल संरक्षण विशेषज्ञ उपस्थित होंगे।
भविष्य की चुनौतियां पर चर्चा
11 दिसंबर शनिवार को सुबह 10 से 10:30 बजे तक प्रार्थना सभा होगी। 10:30 से 12 बजे तक भारत सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयास और समुदाय की अपेक्षित भूमिका पर चर्चा होगी। इसमें केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का उद्बोधन होगा। दोपहर 12 से 1 बजे तक जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में समुदाय की भागीदारी संभावना एवं चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी। दोपहर 1 से 2 बजे तक अटल भूजल योजना के क्रियान्वयन में सिविल सोसायटी की भूमिका, 2 से 3 बजे तक भोजनावकाश, दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक नदी पुनर्जीवन, समाज एवं सरकार पेनिसुलर रिवर का आयोजन होगा। शाम 6 से 7 बजे तक सांस्कृतिक सभा होगी। 12 दिसंबर को सुबह 9:30 बजे से 11 बजे तक खेती एवं उद्योगों में जल के बढ़ते उपयोग और भविष्य की चुनौतियां पर चर्चा की जाएगी। इसके बाद 11 बजे से 1.30 बजे तक समापन सत्र होगा।
द-सूत्र ऐप डाउनलोड करें :
द-सूत्र को फॉलो और लाइक करें:
">Facebook | Twitter | Instagram | Youtube