सुनील शर्मा, Bhind. भिंड की गोहद जनपद की ग्राम पंचायत खरौआ, बरौआ, छरेंटा समेत आधा दर्जन, गांव पीने के पानी की विकराल समस्या से जूझ रहे हैं। पानी संकट के चलते ग्रामीण परेशान हैं। जिसके चलते खरौआ गांव की आधी आबादी पलायन कर चुकी है। एक हजार की आबादी वाले खरौआ गांव में 500 से भी कम लोग बचे हैं। गांव में रुकने वाले लोगों की मजबूरी है, एक ओर घरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी तो, दूसरी ओर गाय-भैंस जैसे जानवरों को गांव में रखने की मजबूरी। पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं होने से दो किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। गांव में यदि कुछ जगह पानी उपलब्ध भी है, तो वो खारा पानी है। जिसके चलते ग्रामीणों को शहर की ओर पलायन करने लिए मजबूर होना पड़ता है।
हर साल सर्वे, हर बार कागजी खानापूर्ति
पीएचई विभाग ने कई बार सर्वे किया गया लेकिन अधिकारियों ने कागजी खानापूर्ति कर योजना का क्रियान्वयन नहीं किया। अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ग्रामीणों की समस्या सालों से जस की तस बनी हुई है। बीते 50 सालों में कई सरकारें और जनप्रतिनिधि बदले लेकिन पानी संकट बना हुआ है।
शहरों में शादी करने को मजबूर ग्रामीण
पानी के संकट की वजह चलते ग्रामीणों को बच्चों की शादी विवाह के लिए भी शहरों की ओर रुख करना पड़ता है। प्रशासन की अनदेखी से ग्रामीण परेशान होकर पलायन कर रहे हैं। जिससे लगभग 50 प्रतिशत लोग पलायन कर चुके हैं। आने वाले दिनों में और भी पलायन होगा। मई और जून के महीने में लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस जाते हैं। खारा पानी भी लोगों को नसीब नहीं होता।
जनप्रतिनिधियों ने नहीं की समस्या सुलझाने की कोशिश
गांव के किसी प्रतिनिधि ने भी पानी की समस्या सुलझाने का प्रयास नहीं किया। स्कूलों में आने वाले छात्रों के लिए शिक्षक भी गोहद से पानी लेकर जाते हैं। पीएचई विभाग ने कई सालों पहले नल और योजना का टैंक बनाया था, जो जर्जर हो चुका है। इसके बाद आज तक शासन-प्रशासन ने ग्रामीणों के लिए पानी की कोई समुचित व्यवस्था नहीं की। ग्रामीण विधायक, सांसद, सरपंच और अधिकारियों को कई बार समस्या को लेकर आवेदन दिया गया, लेकिन किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगी।
PHE विभाग का रटा-रटाया जवाब
पीएचई विभाग की SDO मेघा शर्मा ने बताया कि खरौआ गांव सहित दूसरी जगह पर भी पानी की विकट समस्या बनी हुई है। इसके लिए प्रशासन जल जीवन मिशन के तहत कार्य योजना बना रहा है जिससे लोगों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा। वहीं गांव वालों का कहना है कि अगर पानी की समस्या ऐसे ही बनी रही तो पूरा गांव पलायन करने पर मजबूर हो जाएगा।