ये क्या बोल गए राज्यपाल: जिन्हें सिकलसेल बीमारी हो, वह बच्चा पैदा न करे; अबॉर्शन करवाए

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ये क्या बोल गए राज्यपाल: जिन्हें सिकलसेल बीमारी हो, वह बच्चा पैदा न करे; अबॉर्शन करवाए

भोपाल. MPके राज्यपाल (Governor) मानव अधिकार आयोग (Human Rights Commission) के एक आयोजन में अपने विचार रख रहे थे। वह बोलते-बोलते सिकलसेल बीमारी (Sickle cell disease) पर बोलने लगे और उन्होंने अजीबों-गरीब सलाह दे डाली। उन्होंने कहा सिकलसेल पीड़ित दंपतियों को बच्चे पैदा नहीं करना चाहिए। वह बोले जिन लड़का-लड़कियों को सिकलसेल बीमारी हैं, उन्हें आपस में शादी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि उनके बच्चे बीमारी लेकर पैदा होते हैं। ऐसे बच्चों का जीवन कम होता है। इसीलिए गर्भ के समय ही जांच हो जाए ,तो उसका यही इलाज है कि मां-बाप को समझाकर अबॉर्शन (Abortion) करा दें। ताकि बच्चे का जन्म ही नहीं हो।

सिकलसेल से ग्रस्त लड़के से शादी नहीं करना- राज्यपाल

भोपाल के प्रशासन अकादमी में राज्यपाल बोले सिकलसेल बीमारी बहुत खतरनाक है। इसलिए हम युवाओं को समझाते हैं कि लड़की कितनी भी अच्छी हो, चाहे जितना पैसे हो, अगर सिकलसेल है, तो शादी मत करना। गुजरात में हम ट्राइबल में बोलते थे, किसी के पास सिकलसेल वाला यलो कार्ड है तो उससे शादी मत करना। यदि यलो कार्ड वालों का विवाह हुआ, तो उनकी संतान सिकलसेल से ग्रस्त होंगी। राज्यपाल बोले मैंने सिकलसेल से ग्रस्त बच्चों को देखा है। मेरे परिचय के दो बच्चों को यह बीमारी थी। दोनों इस दुनिया में नहीं हैं।

सिकलसेल रोग क्या है

सिकल-सेल रोग (SCD) या सिकल-सेल रक्ताल्पता या ड्रीपेनोसाइटोसिस एक आनुवंशिक रक्त विकार है, जो ऐसी लाल रक्त कोशिकाओं के द्वारा चरितार्थ होता है। जिनका आकार असामान्य, कठोर तथा हंसिया के समान होता है। यह क्रिया कोशिकाओं के लचीलेपन को घटाती है। जिससे विभिन्न जटिलताओं का जोखिम उभरता है। यह हंसिया निर्माण, हीमोग्लोबिन जीन में उत्परिवर्तन की वजह से होता है। जीवन प्रत्याशा में कमी आ जाती है, एक सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं की औसत जीवन प्रत्याशा 48 और पुरुषों की 42 हो जाती है।

बाल्यावस्था में होता है सिकलसेल रोग

सिकल सेल रोग, आमतौर पर बाल्यावस्था में उत्पन्न होता है और प्रायः ऐसे लोगों (या उनके वंशजों में) में पाया जाता है। जो उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय भागों में पाए जाते हैं तथा जहां मलेरिया सामान्यतः पाया जाता है। अफ्रीका के उप सहारा क्षेत्र के एक तिहाई स्वदेशियों में यह पाया जाता है, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में जहां मलेरिया आम तौर पर पाया जाता है। वहां जीवन का अस्तित्व तभी संभव है जब एक सिकल-कोशिका का जीन मौजूद हो। जिनके पास सिकल कोशिका रोग के दो युग्‍मविकल्‍पी में से एक ही हो वे मलेरिया के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं, क्योंकि मलेरिया प्लाज्मोडियम का पर्याक्रमण उन कोशिकाओं के हंसिया निर्माण से रुक जाता है जिस पर यह आक्रमण करता है। 

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