सत्तर साल पुरानी पार्टी कांग्रेस में नई रवानी लेकर आने की जिम्मेदारी अब उन नेताओं पर होगी जिनरे खुद के बाल अब पक चुके हैं. शायद उम्र का यही तजुर्बा है जो वो कांग्रेस को फिर से बांधने में कामयाब होते नजर आ सकता है. ये नेता कमलनाथ नहीं हैं. लेकिन उम्र और राजनीतिक तजुर्बे में उनसे कुछ कम नहीं है. ऐसे नेताओं को पार्टी में दोबारा एक्टिव करने का विचार आया एक और बुजुर्ग नेता की रणनीति देखने के बाद. जिसने प्रदेश के जिस अंचल में कांग्रेस खंड खंड में बंटी थी उसे एक कर दिखाया. जिसके बाद उनके मुरीद खुद कमलनाथ हो गए हैं. जिसके बाद अब कांग्रेस में सिर्फ युवा चेहरों की बात नही होगी. बल्कि युवा और बुजुर्गों के कॉकटेल से कांग्रेस एक नया समां बांधने की तैयारी में है.