हरीश दिवेकर, BHOPAL. देश में 5G सर्विस की शुरुआत हो चुकी है। अब धड़ाधड़ नेट मिलने से आप मोबाइल पर फिल्में बिना किसी रुकावट के देख सकेंगे। हालांकि एमपी-सीजी के लोगों को 2023 तक इंतजार करना होगा। देश की राजनीति में बोले तो कांग्रेस अध्यक्ष के लिए सीनियर लीडर शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे में नूराकुश्ती शुरू हो चुकी है। चुनाव से पहले खड़गे का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। अध्यक्ष की दोड़ से बाहर हुए दिग्विजय सिंह ने रहीम का दोहा ट्वीट करके अपने दिल को तसल्ली दी है कि "किसी बात की चाहत खत्म हो जाए तो मन बेपरवाह हो जाता है.. जिसे कुछ नहीं चाहिए वही राजाओं का राजा होता है।" इधर, प्रदेश की राजनीति में बीएल संतोष ने रातापानी के जंगल में बीजेपी की क्लास लगाई, साथ में संकेत दे गए कि अलग-अलग चलोगे तो 2023 में घर बैठना पड़ जाएगा। संतोष ने कहा कि कार्यकर्ता बोलने से देवदुर्लभ नहीं होगा, उसे इसका अहसास भी कराइए, नहीं तो वो आपको अहसास करा देगा। खबरें तो ओर भी हैं, आप तो सीधे अंदर उतर आईए और जानिए क्या चल रहा है मंत्रालय और राजनीति के गलियारे में...
चिट्ठी, बीजेपी नेत्री और भाईसाहब
बीजेपी के अंदरखाने में कितनी उठापटक चल रही है, इसका खुलासा एक चिट्ठी ने किया है। ये चिटठी प्रदेश में तेजी से वायरल करवाई जा रही है। इसमें एक बीजेपी नेत्री के घर देर रात नेताओं के आने जाने की बात लिखी गई है। इसमें भाईसाहब का नाम विशेष रूप से लिखा गया है। उठापटक की राजनीति से भाईसाहब खासे बैचेन हैं। दरअसल, भाईसाहब का कार्यकाल पूरा हो रहा है, इसलिए ये माना जा रहा है कि उन्हें कोर से बफर में लाने के लिए इस टाइमिंग का इस्तेमाल किया गया है। बहरहाल जो भी हो, लेकिन कैडर बेस पार्टी में बड़ी कुर्सी को हिलाने के लिए चिट्ठी बम का उपयोग पहली बार देखने में आया है। भाईसाहब ने मुखबिर तंत्र को लगाकर मास्टर माइंड की खोज शुरू कर दी है। अंदरखाने की माने तो भाईसाहब को चिट्ठी वायरल करने के ठिकाने का तो पता लग गया है, अब खोज लिखने वाले की हो रही है।
गोविंद का दिग्गी प्रेम
कांग्रेस अध्यक्ष के लिए दिग्विजय सिंह की दावेदारी सामने आते ही प्रदेश में नेताप्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह सक्रिय हो गए। उन्होंने आनन-फानन में 12 प्रस्तावकों को दिल्ली जाने के लिए नेताप्रतिपक्ष की हैसियत से विधायकों के नाम से पत्र भी जारी कर दिया। दिग्गी प्रेम में डूबे नेताप्रतिपक्ष ने ये सब इतनी जल्दबाजी में किया कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ से सहमति लेना भी भूल गए। बस क्या था एंटी गोविंद सिंह खेमा एक्टिव हो गया और फिर शुरू हो गई खुसुर-पुसुर। नेताप्रतिपक्ष को अपने अधिकृत लैटर जारी करने से पहले प्रदेश अध्यक्ष से सहमति लेना चाहिए। हालांकि इस पूरे मामले में कमलनाथ अभी खामोश हैं, लेकिन ये सब जानते हैं कि कमलनाथ को लाइन क्रॉस करना पसंद नहीं है, फिर वो चाहे जो हो।
बिल्डर, व्यावसायी और रिटायर्ड साहब
राजधानी के एक बिल्डर, व्यावसायी और बड़े पद से रिटायर्ड हुए साहब पर शनि की वक्र दृष्टि पड़ने वाली है। पूरा मामला अनाप-शनाप कमाए गए काले-पीले नोटों का है। इनकम टैक्स को कुछ साल पहले मारे गए छापे में इन तीनों के खिलाफ लंबा-चौड़ा बही-खाता मिला था। आपुन के खबरी बता रहे हैं कि इन तीनों को प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा वसूली नोटिस थमाया जा सकता है। जो 100 करोड़ का भी हो सकता है। बिल्डर और व्यावसायी का तो ठीक है, लेकिन रिटायर्ड साहब के लिए ये मामला परेशानी भरा हो सकता है। आपकी सुविधा के लिए बता दें कि बिल्डर के छापे के दौरान शिवराज के कद्दावर मंत्री का नाम भी खूब उछला था। दरअसल बिल्डर और मंत्री की दांत कांटी दोस्ती जो है। लेकिन मंत्री होशियार निकले कागजों में कहीं भी नहीं फंसे। बाकी आप तो समझदार हैं ही.....।
मंत्री के चैनल का विज्ञापन बंद
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि शिवराज सरकार के कद्दावर मंत्री के चैनल का विज्ञापन बंद हो गया। काफी जोर लगाने के बाद भी मंत्री अपनी सरकार में अपने चैनल का विज्ञापन शुरु नहीं करवा पा रहे। दरअसल, मंत्री के चैनल का नाम संघ के एक अखबार से मिलता-जुलता है। अखबार संचालन करने वालों की आपत्ति है कि उनके नाम का फायदा चैनल उठा रहा है। जबकि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। बड़े वाले के डंडे के आगे मंत्री का झंडा कुछ नहीं कर पा रहा। आपकी सुविधा के लिए बता दें, ये मंत्री जी मूल भाजपाई न होकर महाराज भाजपा के खेमे से आते हैं। संकेतों में इतना ही काफी है..ज्यादा अंदर तक जाना है तो आप अपने हरिराम को सक्रिय करिए पूरी डिटेल मिल जाएगी।
मंत्री स्टाफ की दीवाली
तबादला उद्योग शुरू हो चुका है, जिसे जहां मौका मिल रहा है वो इस उठा-पटक की गंगा में डूबकी लगाने से नहीं चूक रहा। सबसे ज्यादा मजे तो मलाईदार मंत्रियों के स्टाफ के हैं। कलेक्टरों को फोन लगाकर जिलों में 3 साल से ज्यादा समय तक पदस्थ छोटे अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची मंगवा ली गई है। आप सोच रहे होंगे तो इसमें स्टाफ का रोल क्या है, तो हम आपको बता देते हैं कि तबादला नीति के अनुसार एक निश्चित प्रतिशत तक ही तबादले किए जाएंगे, उससे ज्यादा नहीं। अब मंत्रियों के बंगले से उन अधिकारी-कर्मचारियों के पास फोन जा रहे हैं, जिनका तबादला सूची में नाम नहीं है, लेकिन 3 साल से ज्यादा हो चुके हैं। ऐसे में घर परिवार से दूर होने के डर से कर्मचारी अपना पीछा छूड़ा रहे हैं। सरकार के खुफिया तंत्र ने उच्च स्तर पर ये जानकारी पहुंचा दी है।
बड़ा साहब बनने नागपुर की दौड़
बड़े साहब नवंबर में रिटायर्ड होंगे या आखिरी समय में एक्सटेंशन मिलेगा। अभी इस पर कुहासा छाया हुआ है। लेकिन बड़ा साहब बनने की दौड़ में शामिल दावेदरों ने अपनी जोर आजमाइश लगाना शुरू कर दी है। एक साहब ने तो कमाल ही कर दिया। सीनियरिटी में पिछड़ रहे साहब ने बैक डोर से एंट्री के लिए नागपुर का रास्ता चुना है। अंदरखाने से खबर है कि साहब नागपुर तक की दौड़ लगा आए हैं। वहां किससे मुलाकात हुई ये तो साहब ही जाने, लेकिन साहब के चेहरे पर संतोष के भाव जरूर देखे जा सकते हैं। बहरहाल अब तो ये आने वाला समय ही बताएगा कि बड़े साहब की कुर्सी के लिए नागपुर से संदेशा आता है, या फिर अपने मामा की ही चलेगी।