MP में क्या शिवराज मामा का बुलडोजर IAS-IPS अफसरों के अवैध बंगलों पर भी चलेगा?

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MP में क्या शिवराज मामा का बुलडोजर IAS-IPS अफसरों के अवैध बंगलों पर भी चलेगा?

भोपाल. मप्र में  बीजेपी  ने शिवराज सिंह चौहान की छवि को बुलडोजर मामा के रूप में गढ़ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। मामा का बुलडोजर अपराधी, गुंडे, माफिया, अतिक्रमणकारियों के खिलाफ चल रहा है। बीजेपी नेताओं के साथ-साथ खुद शिवराज अपनी इस नई छवि को गढ़ने में जुटे है। प्रदेश से गुंडे, माफिया, अतिक्रमणकारियों का सफाया होना चाहिए। द सूत्र भी इसकी पैरवी करता है लेकिन यहां पर एक सवाल है कि क्या मामा का बुलडोजर वाकई में निष्पक्ष होकर कार्रवाई कर रहा है क्योंकि द सूत्र जो खबर दिखाने वाला है उसे देखकर आपको इस सवाल का जवाब मिलेगा।



राजधानी भोपाल के महाराणा प्रताप नगर से करीब 12 किमी दूर भदभदा रोड से होते हुए जब आप केरवा डेम की तरफ जाने वाली सड़क पर मुड़ेंगे। तो बीच में एक रास्ता कटकर एक ऐसी कॉलोनी में पहुंचता है जिसका नाम है विस्परिंग पॉम्स। विस्परिंग पॉम्स कॉलोनी में अंदर दाखिल होना थोड़ा मुश्किल है। आखिरकार ऐसा क्यों तो इस खुलासा थोड़ी देर में करेंगे लेकिन जब इस कॉलोनी में दाखिल होते हैं, तो नजर आते हैं। आलीशान बंगले, ऐसे बगंले जिन्हें देखकर आपकी आंखें फटी की फटी रह जाएगी। कहा जाता है ना कि लिफाफा देखकर मजमून का पता चल जाता है, वैसा ही इन बंगलों को देखकर अपना अंदाजा लगा सकते हैं कि इन आलीशान बंगलों के भीतर हर ऐशो आराम की सुविधाएं मौजूद होंगी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के मुताबिक 5 एकड़ एरिया में ये कॉलोनी बनी है। यानी 2 लाख स्कवेयर फीट से ज्यादा का ये एरिया है। अब यहां एक प्लॉट 10 हजार स्क्वेयर फीट का है तो इस तरह से 20 से 21 बड़े बंगले इस एरिया में बन सकते हैं, जो बने भी है। शहर से दूर, डैम के नजदीक, आखिरकार विस्परिंग कॉलोनी है किसकी और क्यों इस कॉलोनी में दाखिल होना मुश्किल है। दूर से ही इन बंगलों का दीदार किया जा सकता है। अब किनके है ये बंगले, तो आपको बता दें कि इस कॉलोनी में जिनके बंगले हैं। वो मप्र के मौजूदा और रिटायर हो चुके नौकरशाह यानी आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के हैं। वो लोग जो खुद को परमानेंट गर्वनमेंट कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं और आपको बता दें कि इन दस-दस हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर ताने गए इन बंगलों को बनाने में अफसरों ने नियमों की धज्जियां उड़ा दी हैं। ये वो ही अफसर है जो आम आदमी के लिए नियम कायदे बनाते हैं लेकिन जब नियमों के पालन की बारी आती है तो खुद पर लागू नहीं करते।



तुलसीदास जी ने कहा है मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक। यानी मुखिया, मुख के समान होना चाहिए जो शरीर के अंगों के साथ भेदभाव नहीं करता। अब मामा का बुलडोजर चल रहा है तो क्या नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए इन बंगलों पर चलेगा। सवाल यही है कि इन बंगलों को बनाने में नियमों का किस तरह से मखौल उड़ाया गया है। सिलसिलेवार तरीके से आपको बताते हैं।



जिन 10 हजार स्क्वेयर फीट जमीन पर ये आलीशान बंगले बनाए गए है। कायदे से इनकी साइज माचिसनुमा डिब्बों की तरह होना चाहिए थी। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का नियम तो यही कहता है। 8 दिसंबर 2015 को जब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने 5 एकड़ जमीन को आवासीय भूखंड के इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी, तो उसमें साफ लिखा था कि भोपाल विकास योजना यानी मास्टरप्लान 2005 के मुताबिक ये एरिया वृक्षारोपण और लो डेंसिटी एरिया के तौर पर घोषित है। इसलिए यहां पर जो भी आवासीय निर्माण होंगे वो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग 1973 की धारा 30 (1) (ख) और मप्र भूमि विकास नियम 2012 के नियम 27(1) के प्रावधानों के मुताबिक ही होंगे क्या होता है लो डेंसिटी एरिया। द सूत्र ने पर्यावरणविद् सुभाष पांडे से इसे समझा।



साफ है कि लो डेंसिटी एरिया में निर्माण काम की अनुमति नियमों के दायरे में ही दी जा सकती है ताकि पर्यावरण पर प्रतिकूल असर ना पड़े और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने भी इन्हीं नियमों के दायरे में निर्माण की इजाजत दी थी। जिसमें  तीसरे और चौथे नंबर का बिंदु बड़ा अहम है।



तीसरे नंबर के बिंदु में लिखा है कि यहां एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेश्यो 0.06 होना चाहिए। एफएआर का मतलब होता है कि बिल्डिंग के सभी फ्लोर्स जो स्पेस कवर करते हैं। अब यहां 0.06 एफएआर तय किया गया तो इस हिसाब से 10 हजार स्क्वेयर फीट प्लॉट पर केवल 600 वर्ग फीट का कंस्ट्रक्शन होना चाहिए। यानी एक कमरा 150 स्केवयर फीट का मान लिया जाए तो केवल चार कमरे बन सकते हैं लेकिन यहां चार कमरे नहीं बल्कि आलीशान कोठियां बन रही है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के पहले नियम की तो धज्जियां साफ उड़ती नजर आ रही है।



चौथे नंबर के बिंदु में लिखा है कि भवन का भूतल निर्मित क्षेत्र अधिकतम 6 फीसदी मान्य होगा। इसका मतलब है कि 10 हजार स्क्वेयर फीट प्लाट है तो 600 स्केवयर फीट एरिया पर ग्राउंड फ्लोर होना चाहिए लेकिन इन बंगलों को देखकर लगता है कि क्या इनका ग्राउंड फ्लोर 600 स्केवयर फीट है, बल्कि कुछ बंगले तो ऐसे है कि पूरे दस हजार स्क्वेयर फीट प्लॉट का इस्तेमाल किया गया है। इसी कॉलोनी में मौजूद है रिटायर्ड आईएएस आरएस जुलानिया का बंगला और बंगले के निर्माण में, जो नियमों की धज्जियां उड़ाई गई है उसे लेकर वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र जैन ने लोकायुक्त में शिकायत की है।




  • राज्य निर्वाचन आयुक्त  बंसत प्रताप सिंह


  • आईएएस अनुपम राजन

  • आईएएस मो.  सुलेमान

  • आईएएस जीतेंद्र राजे

  • आईएएस  मलय श्रीवास्तव

  • आईएएस विवेक अग्रवाल

  • रिटा. आईएएस एस आर मोहंती



  • आईएएस जी व्ही रश्मि समेत और भी कई आईएएस और आईपीएस के बंगले और फॉर्महाउस यहां मौजूद है। इनमें से कुछ बंगलों का निर्माण पूरा हो गया है तो कुछ निर्माणाधीन हैं। कुल मिलाकर सारे बंगले नियमों की धज्जियां की उड़ाकर बनाए गए है और तो और भूमि विकास निगम 2021 के नियमों की धज्जियां भी उड़ाई गई। ये नियम कहता है कि यहां लिफ्ट के लिए मशीन नहीं लगाई जा सकती साथ ही और भी कई नियम है जिनका साफ उल्लंघन हुआ है और नगर निगम ने खुद पाया है कि उल्लंघन हुआ है।  इन्हें नोटिस भी जारी किए गए है। लेकिन सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। जो अधिकारी खुद नियम बना रहे हैं और खुद ही उन नियमों को तोड़ रहे हैं तो सवाल उठता ही है कि क्या जिन अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर चल रहा है वो क्या दूसरी कैटेगरी के अपराधी है और नियमों को तोड़कर अवैध तरीके से बंगले बनाने वाले ये अधिकारी क्या अपराधियों से अलग है। अब सीएम की छवि को बुलडोजर वाले मामा की छवि के रूप में गढ़ा जा रहा है और जोर शोर से इसका प्रचार भी किया जा रहा है।



    मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को अपने चौथे कार्यकाल के दो साल पूरे किए। दो साल पहले आज ही के दिन कोरोना के त्रासदी के बीच शिवराज और पांच मंत्रियों ने शपथ ली थी और चौथे कार्यकाल की शुरूआत की थी। जाहिर तौर पर बीजेपी के लिए ये जश्न का मौका है। दो साल पूरे होने से ठीक पहले बीजेपी ने शिवराज की छवि को बुलडोजर वाले मामा के रूप में गढ़ी है। और दो साल पूरे होने के मौके पर बुलडोजर या जेसीबी की सलामी भी शिवराज को दी गई। बकायदा ढोल ढमाको के साथ और शिवराज ने भी दोहराया कि माफिया, गुंडे, बदमाश, आरोपी किसी को भी मप्र में बख्शा नहीं जाएगा।



    यानी पांव पांव वाले भैया से प्रदेश की बहन बेटा-बेटियों के मामा से आगे बढ़कर अब शिवराज अपनी छवि को एक कठोर प्रशासक के रूप में सामने लाने की पूरी तैयारी में है। कठोर प्रशासक की छवि गढ़ी जा रही है तो क्या केवल ऐसे अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई होगी जिन्होंने सरकारी जमीनों पर कब्जा किया है, क्या ऐसे अपराधी छोड़ दिए जाएंगे जो नियमों की धज्जियां उड़ाकर पर्यावरण को खतरा पहुंचा रहे हैं। जब इस मामले में द सूत्र ने बीजेपी के नेताओं से सवाल किए तो सभी ने एक सुर से कहा कि कोई भी हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



    नियम है तो सबके लिए बराबर होना चाहिए। कानून तो यही कहता है और द सूत्र ने एक दिन पहले ये सवाल भी पूछा था कि जिस तरह से बीजेपी शिवराज की छवि को बुलडोजर वाले मामा के रूप में गढ़ने की कोशिश कर रही है उसे आप किस तरह से देखते है तो इस सवाल के जवाब में 41 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे अपराधों में कमी आएगी। अपराधियों के बीच खौफ पैदा होगा हालांकि 48 फीसदी लोगों ने इसे चुनाव से भी जोड़ा और 11 फीसदी ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आम जनता के बीच शिवराज की बुलडोजर वाले मामा की छवि गढ़ी जा रही है तो दूसरी तरफ शिवराज सरकार के कामकाज में भी सुधार लाने की कवायद कर रहे हैं। इसके लिए 25 से 27 मार्च को पचमढ़ी की वादियों में चिंतन शिविर होने वाला है पचमढ़ी की ठंडी वादियों में सियासी गर्माहट होगी और कहा जा रहा है कि इस बैठक के बाद सरकार में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।


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