भोपाल. प्रदेश में इन दिनों महिला अपराध और अपराधियों पर हो रही कार्रवाई सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) बुलडोजर मुख्यमंत्री की छवि के साथ मैदान में उतरे हैं। वे अपने भाषणों में भी कहते हैं कि घर में घुसकर अपराधियों को पकड़ो। इस सारी कवायद के पीछे का मकसद प्रदेश में बेखौफ हुए अपराधियों के मन में डर पैदा करना है ताकि अपराधों पर लगाम लग सके। लेकिन प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले महिला अपराधों में करीब बीस फीसदी का इजाफा हो गया है। हालात ये है कि प्रदेश में हर महीने साढ़े सात सौ से ज्यादा नाबालिग लड़कियां गुम हो रही हैं। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narrottam mishra) कहते हैं कि इस कार्रवाई से अपराधियों के जहन में खौफ पैदा हो रहा है।
ये है प्रदेश में महिला अपराधों की स्थिति: गृह विभाग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में एक जनवरी 2021 से फरवरी 2022 तक 10 हजार 793 नाबालिग बच्चियां गुमशुदा हुईं। यानि हर महीने 770 बच्चियां प्रदेश से गायब हो रही हैं। रोजाना 25 नाबालिकों की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज हो रही है। वहीं महिला अपराधों में भी एक साल में करीब बीस फीसदी का इजाफा हुआ है।
साल 2020 में कुल महिला अपराध - 27379
- अपहरण- 5570
साल 2021 में कुल महिला अपराध- 32802
- अपहरण- 7292
98 फीसदी मामलों में परिचितों का हाथ: महिला अपराध शाखा से जुड़ी एक महिला पुलिस अधिकारी कहती हैं कि गुमशुदा के मामलों में सबसे बड़ा हाथ परिचितों का ही होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 98 फीसदी मामलों में परिचित के साथ ही लड़कियां जाती हैं, जिनकी बाद में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। वहीं बलात्कार के मामलों में भी कुछ इसी तरह की कहानी देखी जाती है। कई मामलों में पता चलने पर घरवाले दबाव डालकर लड़की या महिला से रिपोर्ट दर्ज करवाते हैं। हालांकि महिला अपराध संवेदनशील विषय है इसलिए महिला के आरोपों को ही सच मान एफआईआर दर्ज कर ली जाती है।
बुलडोजर पर कांग्रेस के सवाल: अपराध राजनीति के लिए भी बड़ा विषय है। यही कारण है कि बुलडोजर (Bulldozer) मुख्यमंत्री को लेकर प्रदेश में जमकर राजनीति हो रही है। BJP नेता हितेश वाजपेयी कहते हैं कि प्रदेश में इस कार्रवाई का असर दिख रहा है। वहीं, कांग्रेस इस पूरी कवायद पर सवाल खड़े कर रही है। सवाल न्याय के नैसिर्गिक सिद्धांत को लेकर भी हैं। कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा कहते हैं कि क्या सिर्फ आरोप लगाने से कोई अपराधी हो जाता है, जबकि संविधान के अनुसार जब तक किसी पर अपराध साबित न हो तब तक वह निर्दोष ही माना जाता है। चूंकि यहां मामला पब्लिसिटी का है इसलिए इस पूरे मुद्दे को पब्लिसिटी स्टंट के तौर पर ही देखा जा रहा है।