संजय गुप्ता, INDORE. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति रहेगी, ईओडब्ल्यू भ्रष्टाचारियों की सूची बनाए, जरूरत हो तो छापे मारे। ऐसे लोगों को सहन नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 8 अक्टूबर को कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में ये बात कही थी लेकिन इसके 10 दिन बाद ही ईओडब्ल्यू में डीएसपी लेवल के 8 अधिकारियों के ट्रांसफर हो गए। इसके बाद ईओडब्ल्यू में सन्नाटा पसरा हुआ है। ये अधिकारी अब रिलीव होने का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि इन सभी को अब पुलिस मुख्यालय में आमद देना है। इसके बाद ही उनकी अन्य जगह पोस्टिंग होगी लेकिन समस्या ये है कि इनकी जगह अभी किसी की पोस्टिंग भी नहीं हुई है। ऐसे में अधिकारी कोई नए मोर्चे खोलने की जगह शांति से समय काट रहे हैं।
5 साल से ज्यादा समय वालों की बन रही लिस्ट
जानकारी के अनुसार अभी 5 साल से ज्यादा समय से विंग में काम कर रहे डीएसपी लेवल के अधिकारियों के ट्रांसफर हुए हैं लेकिन अब इससे निचले स्तर के भी अधिकारियों की भी लिस्ट बनाई जा रही है। इसके बाद एक और बड़ी लिस्ट ईओडब्ल्यू से ट्रांसफर की जारी होगी।
विंग में जांच का काम अलग, लगेगा समय
ईओडब्ल्यू में काम कर चुके जानकार अधिकारियों का कहना है कि यहां काम और जांच का तरीका काफी अलग होता है। दस्तावेज पर जांच कर पुष्टि करने के बाद भी एफआईआर होती है और इसकी पूरी फाइल इंदौर से भोपाल उच्च स्तर तक चलती है। मामले धोखाधड़ी के अधिक होते हैं, ऐसे में दस्तावेजी प्रमाण जुटाना और उसे साबित करने में लंबा समय लगता है। ऐसे में जो नए भी आएंगे, उन्हें भी इसे समझने में एक लंबा समय लगेगा, ऐसे में फिलहाल ईओडब्ल्यू से कोई बड़ी कार्रवाई की उम्मीद कम ही होगी।
इंदौर में हर महीने आती हैं 10-12 शिकायतें
ईओडब्ल्यू एसपी इंदौर धनंजय शाह का कहना है कि इंदौर में हर माह 60-70 शिकायतें तो आती ही हैं। इसमें से 10-12 जांच योग्य होती हैं जिसमें पुख्ता दस्तावेज होते हैं। साल में 13-14 चालान पेश होते हैं। इतनी ही एफआईआर होने लगी हैं। कई बार रिश्वत मांगने के भी केस आते हैं तो लोकायुक्त इन्हें ट्रैप करने का भी काम करता है। विंग का काम काफी बढ़ गया है।
इन अधिकारियों का हुआ है ट्रांसफर
अजय कैथवास, विलास वाघमारे, रामदयाल मिश्रा, अनिरुद्ध बाधिया, सतीश कुमार चतुर्वेदी, रुचिता चतुर्वेदी, राकेश सिंघ बघेल और राकेश पाण्डेय।