चैत्र नवरात्रि पर शक्ति की आराधना, देवास की मां चामुंडा और मां तुलजा भवानी

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चैत्र नवरात्रि पर शक्ति की आराधना, देवास की मां चामुंडा और मां तुलजा भवानी

देवास. जिले में माता टेकरी नाम से प्रसिद्ध एक स्थान है। यहां पर दो माता रानी के दरबार हैं। मध्य प्रदेश के देवास में स्थित चामुंडा की टेकरी आस्था का जाग्रत केंद्र है। सदियों से यहां आदि शक्ति की उपासना की जा रही है। देवास की टेकरी में विराजित मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा की राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तृहरी, चंदबरदाई व संत शीलनाथ बाबा यहां माता की आराधना करने आते थे। इस स्थान पर रियासतकाल में दो राजाओं ने शासन किया है। माता तुलजा भवानी देवास जूनियर की कुल देवी मानी जाती हैं व माता चामुंडा देवी देवास सीनियर की कुल देवी मानी जाती है





चामुंडा देवी के दर्शन इसलिए खास





ऐसी किंवदंती है कि पहले दोनों बहनें साथ में रहती थीं। लेकिन कालांतर में दोनों में विवाद होने के कारण दोनों ने एक-दूसरे को न देखने का प्रण लिया और एक-दूसरे से अलग हो गईं। अब दोनों देवियों की पीठ एक-दूसरे के पीछे है। मंदिर में स्थापित छोटी प्रतिमा तुलजा भवानी की है। माता के पीछे दरार दिखाई देती है, जोकि माता चामुंडा के वहां से प्रस्थान को दर्शाती है। तुलजा भवानी को बड़ी माता कहा जाता है। इनका दर्शन करने के बाद माता चामुंडा देवी के दर्शन किए जाते हैं। टेकरी के नीचे स्वामी शिवोम तीर्थ महाराज की तपस्या स्थल नारायण कुटी है, जहां पर महाराज ने तप किया था बताया जाता हैं कि यहां पर जो भी व्यक्ति जुड़ता है वह अपने आप में मुक्त हो जाता है।





माता टेकरी पर तप





देवास की माता टेकरी का नाथ संप्रदाय के साहित्य में भी उल्लेख है। एक पुस्तक में वर्णन मिलता है कि उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तृहरि ने वैराग्य होने पर इसी माता टेकरी पर तप किया था। यहां योगेंद्र शीलनाथ जी की धूनी भी है। महाकवि चंदबरदाई का भी टेकरी आने का उल्लेख है। इसके अलावा भी अन्य कई मान्यताएं माता टेकरी से जुड़ी हैं। अंग्रेजी के ख्यात लेखक ईएम फोस्टर ने भी अपनी पुस्तक में देवास को 'हिल ऑफ देवी' लिखा है। पहले यहां घना जंगल था। आने-जाने का मार्ग भी दूभर था। 





चामुंडा माता मंदिर के पास है भैरव मंदिर





देवास की माता टेकरी को रक्तपीठ कहा जाता है। कहा जाता है कि तुलजा भवानी (बड़ी माता) और चामुंडा माता (छोटी माता) बहनें हैं। देवास के बारे में कहा जाता है कि इंदौर के पूर्ववर्ती होलकर राजवंश की कुलदेवी तुलजा भवानी है तो देवास के पूर्ववर्ती पवार राजवंश की कुलदेवी चामुंडा माता है। चामुंडा माता मंदिर के पास ही भैरव मंदिर है। टेकरी मार्ग में अन्नपूर्णा माता, खो-खो माता, अष्टभुजा, हनुमान मंदिर है। शारदीय नवरात्रि में यहां नौ दिनों में लाखों लोग दर्शन करने आते हैं।



 



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