भोपाल। इस बार ग्वालियर (Gwalior) में राजमाता विजयाराजे सिंधिया (Rajmata Vijya Raje Scindia) की जयंती अलग-अलग मनाए जाने से सिंधिया राजपरिवार (Scindia Raoyal Family) के सदस्यों का मनमुटाव एक बार फिर उजागर हो गया है। मप्र सरकार में खेल मंत्री (Sports Minister Of MP) यशोधरा राजे सिंधिया (Yashodhara Raje Scindia) के सोमवार, 25 अक्टूबर को मीडिया में आए एक बयान से एक बार फिर इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि सिंधिया परिवाार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ग्वालियर में 12 अक्टूबर को अपने भतीजे एवं केंद्रीय मंत्री (Civil Aviation Minister) ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) द्वारा राजमाता की जयंती पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शामिल न होने के सवाल पर यशोधरा ने कहा, यदि ज्योतिरादित्य उन्हें बुलाते तो वे कार्यक्रम में जरूर शामिल होतीं। उन्होंने बातों ही बातों में यह इशारा भी किया कि 12 अक्टूबर का कार्यक्रम पारिवारिक कम राजनीतिक ज्यादा था। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजमाता की जयंती तिथि के अनुसार हर साल करवाचौध के दिन मनाई जाती है। इस बार भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रविवार, 24 अक्टूबर को किया गया जिसमें उनकी बड़ी बहन एवं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री (Ex CM of Rajsthan) वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) भी शामिल हुईं।
ज्योतिरादित्य ने पहली बार 12 अक्टूबर को मनाई राजमाता की जयंती
बता दें कि अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर BJP में शामिल होने के बाद केंद्रीय मंत्री बने ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 12 अक्टूबर को राजमाता की जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। बता दें कि बीजेपी अंग्रेजी तारीख के मुताबिक 12 अक्टूबर को राजमाता का जन्मदिन होने के कारण इसी दिन उनकी जयंती मनाती है। ग्वालियर में अम्मा महाराज की छत्री में आयोजित इस कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य की मां माधवीराजे सिंधिया, उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी और बेटे महाआर्यमन के अलावा बड़ी संख्या में बीजेपी के नेता और उनके समर्थक शामिल हुए। लेकिन उनकी बुआ और राजमाता की बेटियां वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे इस आयोजन में शामिल नहीं हुईं।
यशोधरा के आयोजन में न ज्योतिरादित्य आए, न ही उनके समर्थक
ग्वालियर में 12 अक्टूबर के ठीक 12 दिन बाद 24 अक्टूबर को तिथि के अनुसार यशोधराराजे सिंधिया ने अम्मा महाराज की छत्री में करवाचौथ के दिन राजमाता की जयंती का पारंपरिक आयोजन किया। उनकी बड़ी बहन और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी लंबे समय बाद इसमें शामिल हुईं लेकिन उनके भतीजे ज्योतिरादित्य नहीं पहुंचे। बताया जाता है कि वे इस दिन खंडवा लोकसभा उप चुनाव के प्रचार में व्यस्त थे।
इस आयोजन में ज्योतिरादित्य (Jyotiraditya Scindia) समर्थक मंत्री भी नहीं पहुंचे जबकि यशोधरा खुद प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। इसके विपरीत सिंधिया राजघराने के धुर विरोधी रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैं यशोधरा राजे के आग्रह के कारण आया हूं। उनके अलावा कार्यक्रम में प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह, बीजेपी सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, पूर्व मंत्री माया सिंह और कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार भी शामिल हुए।
बुआ-भतीजे का एक-दूसरे के कार्यक्रम में न आना चर्चा का विषय
भारतीय जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी की आधार स्तंभ रहीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती पर एक ही पार्टी में होने के बावजूद बुआ-भतीजे का एक-दूसरे के आयोजन में शामिल न होना राजनीतिक गलियारों में खास चर्चा का विषय है। बताया जाता है कि बुआ-भतीजे के बीच मन-मुटाव की बड़ी वजह पुराना संपत्ति विवाद है। इसकी शुरुआत राजमाता और उनके बेटे स्व. माधवराव सिंधिया के समय ही हो गई थी। माधवराव लंबे समय तक कांग्रेस में रहे। उन्होंने कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली। बीजेपी में राजमाता का बहुत सम्मान किया जाता है। यही कारण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी में शामिल होने के बाद पहली बार उनकी जयंती बड़े स्तर पर मनाई।