Bhopal : टिकट नहीं मिली तो घर बैठ जाएगा यूथ कार्यकर्ता, कांग्रेस के पक्ष में नहीं करेगा काम

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Rahul Sharma
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Bhopal : टिकट नहीं मिली तो घर बैठ जाएगा यूथ कार्यकर्ता, कांग्रेस के पक्ष में नहीं करेगा काम

Bhopal.





नगरीय निकाय चुनाव में कोई तवज्जो नहीं मिलने ये कांग्रेस का यूथ काफी गुस्से में है। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय यानी पीसीसी में रविवार, 19 जून शाम 4.30 बजे जिला यूथ कांग्रेस ने प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जाहिर की। यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने यूथ को टिकट नहीं दी। यूथ कांग्रेस का कार्यकर्ता सिर्फ डंडे खाने, जेल जाने और प्रदर्शन के लिए नहीं है। भोपाल में यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष नरेंद्र यादव सहित हुजूर, नरेला, गोविंदपुरा, भोपाल मध्य, भोपाल उत्तर, भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभाओं से यूथ कांग्रेस के विधानसभा अध्यक्षों ने पार्षद के लिए दावेदारी जताई थी, पर इनमें से किसी को भी कांग्रेस ने टिकट नहीं दी। इससे नाराज कार्यकर्ता पीसीसी के बाहर धरने पर बैठ गए। इस दौरान हम अपना अधिकार मांगते नहीं किसी से भीख मांगते की नाराबाजी भी हुई। यूथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष नरेंद्र यादव ने कहा कि 12 आवेदन दिए थे, एक को भी टिकट नहीं दिया। यदि संगठन को लगता है कि पार्टी के सिम्बोल पर पार्षद से भी कोई छोटा चुनाव होता हो तो वह हमें उस पर लड़ा दे और नहीं तो फिर यूथ को चुनाव में भागीदारी मिलना चाहिए। नरेंद्र यादव ने स्पष्ट किया कि 22 तारीख बीफार्म जमा करने की लास्ट डेट है, तब तक वह इंतजार करेंगे और फिर भी टिकट नहीं मिलती है तो नगरीय निकाय चुनाव में यूथ कांग्रेस कार्यकर्ता घर बैठ जाएगा, पार्टी का काम नहीं करेगा।







यूथ की बगावत से कांग्रेस को कितना नुकसान





यूथ कांग्रेस के बगावती तेवर देखकर कांग्रेस में हलचल मच गई है। चुनाव में यूथ वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं, ऐसे में यदि पार्टी के यूथ कार्यकर्ता ही कांग्रेस से नाराज होकर घर बैठ गए या पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ मैदान में उतर गए तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। कांग्रेस में हलचल मचना इसलिए भी लाजमी है, क्योंकि भले ही बगावती तेवर अभी सिर्फ भोपाल की जिला इकाई ने दिखाए हो, पर टिकट के लिए आवेदन तो करीब 200 से अधिक कार्यकर्ताओं ने यूथ कोटे से किया था, ऐसे में इनकी नाराजगी या इनके चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस के सामने एक नई चुनौती तो खड़ी हो ही जाएगी।  







बीफार्म नहीं मिला तो निर्दलीय उतरेंगे कई प्रत्याशी





यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पदाधिकारी लगातार आश्वस्त कर रहे थे कि आपकी टिकट पक्की है, चुनाव की तैयारी में जुट जाओ, पर ऐन मौके पर यूथ कांग्रेस की दावेदारी को नकार दिया गया। यूथ कांग्रेस कोटे से जो टिकट मांग रहे थे, उन्हें पूरा भरोसा था कि अंतिम समय तक टिकट उनके खाते में आ जाएगा, इसलिए उन्होंने कांग्रेस की ओर से अपना नामांकन फार्म भी जमा कर दिया। ऐसे में अब यदि बीफार्म नहीं मिलता है तो इनमें से अधिकांश अब निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतर जाएंगे।







पहले बुलाए आवेदन और फिर कर लिया किनारा





पीसीसी चीफ कमलनाथ ने यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विक्रांत भूरिया को नगरीय निकाय चुनाव में यूथ को मौका देने की बात कही। जिसके बाद हर जिले में टीम भेजकर सर्वे कराया गया और जीतने वाले उम्मीदवार से आवेदन लिए गए। हर जिले से औसतन 5 नाम फाइनल हुए जिसकी सूची बनाकर यूथ कांग्रेस की ओर से संगठन को भेजी गई, पर टिकट में इस सूची को कोई प्राथमिकता ही नहीं मिली। जिन विधानसभा में कांग्रेस के विधायक है, वहां टिकट वितरण में कांग्रेस विधायकों की चली, पर ऐसी विधानसभा जहां कांग्रेस विधायक नहीं है वहां भी यूथ कांग्रेस को कोई तवज्जों नहीं मिली। जिससे कार्यकर्ता अपने आपको अब ठगा महसूस कर रहे हैं।







यूथ कांग्रेस कोटे से सिद्धार्थ को टिकट





यूथ कांग्रेस कोटे से सतना में सिद्धार्थ कुशवाह को टिकट मिली। ये यूथ कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष हैं और विधायक भी। हालांकि यूथ कांग्रेस पदाधिकारी अब इन्हें यूथ कांग्रेस का नहीं मानते। पदाधिकारियों का कहना है कि सिद्धार्थ कुशवाह को टिकट विधायक होने और कमलनाथ के करीबी होने के नाते मिला है तो फिर इसमें यूथ कांग्रेस कोटा कहां से आ गया। रतलाम से मयंक जाट को भी यूथ कोटे से टिकट मिलने की बात सामने आई है। हालांकि सतना के मशहूर अहमद का टिकट कट गया।  







विक्रांत के फोन रिसीव नहीं करने से कार्यकर्ताओं में बढ़ी बैचेनी





यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लगातार टिकट दिए जाने के लिए पदाधिकारी आश्वस्त करते रहे, पर जब कार्यकर्ताओं को लगा कि अब उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिलना तो उनका गुस्सा फूट गया। स्थिति तब और स्पष्ट होने लगी जब यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने मोबाइल रिसीव भी करना बंद कर दिया। इसके बाद कार्यकर्ताओं में बैचेनी बढ़ने लगी। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज संगठन तक पहुंचाने और विरोध जताने के लिए प्रदर्शन की राह पकड़ ली। 



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