Mandla. मंडला के कान्हा नेशनल पार्क की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। इसमें एक बाघ पेड़ पर चढ़ा दिखाई दे रहा है। आम तौर पर कहा यही जाता है कि बाघ पेड़ों पर नहीं चढ़ पाते। यही कारण है कि जंगल में बाघ का जानी दुश्मन तेंदुआ अपने शिकार को लेकर पेड़ पर चढ़ जाता है और आराम से अपना शिकार खाता है। आप सोच रहे होंगे कि यह तस्वीर शायद तेंदुओं के लिए चिंताजनक हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं है कि शेर या बाघ पेड़ों पर नहीं चढ़ सकते, कुछ वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अपने अधिक वजन के कारण बाघ और शेर पेड़ पर चढ़ना पसंद नहीं करते। इसका यह मतलब नहीं है कि वे पेड़ पर चढ़ ही नहीं सकते।
पर्यटक पड़ गए हैरत में
पेड़ पर बाघ को चढ़ा देख पर्यटक भी रोमांचित हो उठे, उन्होंने यह नहीं सोचा था कि उन्हें पेड़ पर चढ़ा हुआ बाघ देखने को मिलेगा। इस दौरान पर्यटकों के साथ मौजूद गाइड ने इस घटना की सूचना गेट पर बने कंट्रोल रूम को भी दी। दरअसल कान्हा नेशनल पार्क में पर्यटकों को बाघ दिखने के बाद गाइड इसकी सूचना और जिस जगह बाघ दिखाई देता है उस बीट का लैंडमार्क गेट पर बने कंट्रोल रूम में दर्ज कराते हैं। इससे बाघ की लोकेशन जानने में पार्क प्रबंधन को सहूलियत होती है। गाइड ने पर्यटकों को बताया कि कभी-कभी पार्क में ऐसा नजारा भी देखने को मिल जाता है, हालांकि उसने यह भी बताया कि उसने भी पहली बार बाघ को पेड़ पर चढ़ा हुआ देखा है।
भोपाल में भी 35 फुट ऊंचे पेड़ पर चढ़ गई थी बाघिन
वाक्या 6 साल पुराना है जब भोपाल के वनविहार नेशनल पार्क में सतपुड़ा की रानी मटक्कली बाघिन 35 फुट ऊंचे पेड़ पर जा चढ़ी थी। दरअसल उस दौरान यही माना गया था कि बाघिन लोगों की भीड़ की आदी नहीं थी, इसलिए वह लोगों से छिपने पेड़ पर जा चढ़ी थी। उस वक्त उसके इस बिहेवियर पर अनेक वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने गहन अध्ययन भी किया था।
तेंदुए के पंजों की बनावट होती है मददगार
बाघों के मुकाबले तेंदुए का वजन काफी कम होता है, वहीं उसके पंजों की बनावट और नाखूनों की ग्रिप इस प्रकार की होती है कि वह पेड़ पर आसानी से चढ़ जाता है। हालांकि बाघ को पेड़ पर चढ़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं साढ़े 3 से 4 क्विंटल का वजन उसके पेड़ पर चढ़ने को कठिन बना देता है।