BHOPAL. आकृति बिल्डर की एक और करतूत सामने आई है, जिससे उसकी मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। दरअसल, आकृति बिल्डर ने सलैया के पास जो उसका कॉर्पोरेट और रजिस्टर्ड ऑफिस था, उसे रातों-रात खाली करके कहीं और शिफ्ट कर दिया। जैसे ही होमबायर्स को इसकी जानकारी लगी हड़कंप मच गया। होमबायर्स का कहना है कि ये क्रिमिनल ऑफेंस है, उन्होंने इसकी शिकायत भी की है।
इस तरह से ऑफिस खाली करना इसलिए है गलत
आकृति बिल्डर दिवालिया घोषित हुआ, जिसके बाद आकृति बिल्डर का पूरा कंट्रोल आईआरपी अनिल गोयल के पास आ गया, NCLAT दिल्ली ने दिवालिया की प्रोसेस पर स्टे दिया, सुप्रीम कोर्ट और NCLAT में अवमानना याचिकाएं लंबित हैं। मतलब मामला पूरी तरह से कानूनी दांवपेंच में फंसा है। जानकारों का मानना है कि ऐसी स्थिति में किसी भी हालत में बिना परमिशन या कोर्ट के संज्ञान में लाए बिना ऑफिस को शिफ्ट नहीं किया जा सकता। ये तो एक तरह से ऑफिस छोड़कर भागना हुआ।
द सूत्र को रजिस्टर्ड ऑफिस में मिला सिर्फ एक गार्ड और भटकते होमबायर्स
द सूत्र जब आकृति ईको सिटी में बने बिल्डर के ऑफिस पहुंचा तो यहां ऑफिस शिफ्ट होने कि किसी तरह की कोई सूचना चस्पा नहीं थी। यहां कुछ होमबायर्स भी मिले जो आकृति के ऑफिस का पता लगाने ही आए थे। यहां तैनात गार्ड को भी इस विषय में ज्यादा कुछ नहीं पता था, केवल दीवार पर छोटे अक्षरों में कमल नाम के एक शख्स का मोबाइल नंबर लिखा था। उससे कॉल करने पर पता चला कि आकृति का ऑफिस भोपाल के एमपी नगर जोन-1 में पहुंच गया है।
आईआरपी को भी नहीं है कोई जानकारी
आकृति बिल्डर का रजिस्टर्ड ऑफिस अचानक इस तरह से रातों-रात शिफ्ट होने की जानकारी आईआरपी अनिल गोयल को भी नहीं है, जबकि दिवालिया का आदेश (भले ही आदेश पर स्टे लगा हो) हो जाने के बाद आकृति बिल्डर की पूरी कमान आईआरपी के हाथों में है, बावजूद इसके उनकी जानकारी के बिना ऑफिस शिफ्ट कर दिया गया। एक्वासिटी वेलफेयर के भानु यादव का कहना है कि ये एक क्रिमिनल ऑफेंस है। बिना ऑथराइजेशन इस तरह से शिफ्टिंग नहीं की जा सकती। ये तो एक तरह से भाग जाना हुआ। यदि रजिस्टर्ड ऑफिस बिक गया है तब भी कोर्ट में मामला होने के कारण इसका पजेशन नहीं दिया जा सकता। हमने इसकी शिकायत आईआरपी को की है, जिन्होंने जांच की बात तो कही, पर अब तक कहीं कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हम कोर्ट के समक्ष इस तथ्य को भी रखेंगे।
इधर आईआरपी की भी मुश्किलें बढ़ीं, नए असाइनमेंट लेने पर रोक
NCLT इंदौर बेंच ने जब 5 अगस्त 2022 को आकृति बिल्डर को दिवालिया घोषित किया तो एजी-8 वेंचर्स की तरफ से इस प्रोसेस को पूरी करने के लिए ट्रिब्यूनल ने आईआरपी यानी Insolvency Resolution Professional अनिल गोयल को नियुक्त किया था, लेकिन अब आईआरपी के नए असाइनमेंट लेने पर रोक लग गई है। इनसॉल्वेंसी एंड बैंक करप्टी बोर्ड ऑफ इंडिया यानी आईबीबीआई ने अनिल गोयल का एएफए यानी ऑथराइजेशन फॉर असाइनमेंट को सस्पेंड कर दिया है। मतलब अब अनिल गोयल नए असाइनमेंट नहीं ले पाएंगे। आकृति वाले मामले में हुई गड़बड़ियों को लेकर अनिल गोयल को नोटिस भी जारी किया गया है।
ये है आईआरपी अनिल गोयल पर आरोप
- 30 सितंबर 2022 को NCLAT ने दिवालिया की प्रोसेस पर स्टे लगा दिया। बावजूद इसके आईआरपी अनिल गोयल ने क्लेम की प्रोसेस जारी रखी। इसके खिलाफ रेरा और एक्वासिटी कंज्यूमर सोसाइटी ने नवंबर-दिसंबर 2022 में NCLAT दिल्ली में अनिल गोयल के खिलाफ अवमानना अपील दायर की।