जबलपुर एमयू में संस्कृत के एग्जाम से गैरहाजिर छात्रा को मिले 78 अंक, रिजल्ट आने पर हुआ खुलासा; शिकायत में उजागर हुई गलती

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर एमयू में संस्कृत के एग्जाम से गैरहाजिर छात्रा को मिले 78 अंक, रिजल्ट आने पर हुआ खुलासा; शिकायत में उजागर हुई गलती

JABALPUR. जबलपुर की मप्र आयुर्विज्ञान यूनिवर्सिटी में गोपनीय कार्य किस तरह की लापरवाही और मनमर्जी की जा रही है इसका खुलासा भोपाल आयुर्विज्ञान कॉलेज की छात्रा द्वारा की गई शिकायत के बाद हो रहा है। दरअसल यूनिवर्सिटी ने बीएएमएस प्रथम वर्ष की एक छात्रा को संस्कृत विषय में अनुपस्थित रहने के बाबजूद 78 अंक देकर पास कर दिया जबकि हर विषय में पास होने के बावजूद रतलाम की एक छात्रा को शून्य अंक देकर उसे फेल कर दिया गया। सोशल मीडिया में छात्रा की शिकायत वायरल होने के बाद एक बार फिर यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली और व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इधर सोशल मीडिया में आवेदन जारी होने के बाद विवि में हड़कंप मच गया है। पता लगाया जा रहा है कि विवि से इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई।



संस्कृत विषय में अपसेंट रही छात्रा बावजूद 78 अंक लेकर पास



मालूम हो कि लंबे समय से मप्र साइंस यूनिवर्सिटी में परीक्षा और परिणाम जारी करने को लेकर लापरवाही हो रही है। कभी नर्सिंग की कापी गीली को सुखाना बाद में बैक डेट में जाँच कर सबूत को मिटना तो कभी एमबीबीएस जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम में शून्य नम्बर को पास करना तो कभी बीपीटी पाठ्यक्रम में अनुपस्थित छात्र को पास करना जैसे मामले सामने आ चुके हैं।



ऐसे हुआ खुलासा



राजीव गांधी आयुर्विज्ञान कॉलेज प्राचार्य के नाम से एक आवेदन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा गया है कि बीएएमएस प्रथम वर्ष की एपी 0042003 रोल नंबर की छात्रा संस्कृत के पेपर में बीमारी के कारण अनुपस्थित रही थी बावजूद इसके उसे 78 अंक देकर पास कर दिया गया। शिकायती आवेदन में आरोप लगाया है कि ऐसे बहुत से छात्र हैं जिनका परीक्षा परिणाम घोषित नहीं किया गया और बहुतों को फेल कर दिया गया है।



कुछ को मिले शून्य अंक, बड़े घोटाले की तैयारी के आरोप



एमपी स्टूडेंट अध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने कहा कि प्रदेश अभी पीएमटी और व्यापम जैसे घोटालों से उबारा ही नहीं है कि अब मेडिकल यूनिवर्सिटी में व्यापम से भी बड़े घोटाले की साजिश होने लगी है। एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारी अपने अजब गजब कारनामों के कारण संस्करधानी से लेकर प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा विभाग की छवि खराब करने में कोई कोर कसर छोड़ने में कमी नही कर रहे। कभी छुट्टी पर रहते अधिकारी से एक समयपर एक साथ दो गोपनीय कार्य करना आदत हो गई है।


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