मध्यप्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा खुलासा, प्रदेश की सियासी उथल-पुथल सबसे पहले न्यूज स्ट्राइक पर देखिए; सटीक विश्लेषण की गारंटी

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश की राजनीति का सबसे बड़ा खुलासा, प्रदेश की सियासी उथल-पुथल सबसे पहले न्यूज स्ट्राइक पर देखिए; सटीक विश्लेषण की गारंटी

BHOPAL. गुजरता हुआ साल 2022 सियासी मायनों में बेहद खास रहा। ये बात अलग है कि बीजेपी और कांग्रेस में खुलकर कोई उथलपुथल नजर नहीं आई लेकिन अंडर करंट हर बार पार्टियों का माहौल गर्म करता रहा। ये अंडर करंट बाहर से नजर नहीं आता। इसे समझने के लिए चाहिए सियासत को समझने का तजुर्बा और बदलाव को भांपने वाली नजर। जो न्यूज स्ट्राइक की टीम के पास भरपूर है जिसके दम पर राजनीति में होने वाली किसी भी उठापटक को समझकर हम पहले ही आप तक पहुंचा देते हैं। साल खत्म होने में चंद घंटे बाकी हैं। उससे पहले एक बार याद दिलाते हैं न्यूज स्ट्राइक के कुछ ऐसे धमाकों की जिनसे सियासी दुनिया भी कई बार दहली।



पहली स्ट्राइक की गूंज बहुत लंबी थी



न्यूज स्ट्राइक का सफर मार्च 2022 से शुरू हुआ। न्यूज स्ट्राइक की पहली ही पेशकश के धमाके बीजेपी में खूब गूंजे। स्ट्राइक थी वृद्धा पेंशन घोटाले से जुड़ी जांच पर। इस घोटाले में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम शामिल है। इन्हें अपनी ही पार्टी की सरकार में बीते 18 सालों से क्लीनचिट नहीं मिल पा रही। इसके पीछे आखिर क्या राज है, इसका पर्दाफाश  किया सबसे पहले न्यूज स्ट्राइक ने।



मध्यप्रदेश में पेंशन घोटाला



मध्यप्रदेश में पेंशन घोटाला हुआ साल 2000 से 2005 के बीच। इस घोटाले में कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी उलझा। घोटाले के दौरान वो इंदौर के महापौर थे। जब से इस घोटाले का खुलासा हुआ, उसके बाद अलग-अलग आयोग बने और पेंशन घोटाले की जांच होती रही। इस जांच की रिपोर्ट पूरी तरह तैयार है जिसमें कैलाश विजयवर्गीय को क्लीन चिट दिए जाने की खबर है। फॉर्मेलिटी बची है तो केवल इतनी कि रिपोर्ट को विधानसभा में पटल पर रखना है और कैलाश विजयवर्गीय इस घोटाले में बेदाग हो जाएंगे पर अंदरूनी हलकों में अटकलें हैं कि खुद सीएम इस रिपोर्ट को पटल पर आने नहीं दे रहे क्योंकि रिपोर्ट आते ही विजयवर्गीय को क्लीन चिट मिल जाएगी और वो एक दबाव से मुक्त हो जाएंगे। फिलहाल वो सीएम की मुट्ठी में हैं।



शिवराज और विजयवर्गीय में दिखी दूरी



न्यूज स्ट्राइक के इस जोरदार धमाके के बाद बीजेपी के दोनों दिग्गजों के बीच की दरार खुलकर सामने आ गई। क्या इत्तेफाक है कि न्यूज स्ट्राइक का ताजा धमाका भी विजयवर्गीय के नाम का ही हुआ। कुछ ही दिन पहले विजयवर्गीय के भतीजे मनु विजयवर्गीय की शादी हुई। इसमें बीजेपी का हर नेता दिखा सिवाय शिवराज सिंह चौहान के। सबसे ज्यादा चौंकाया पीएम नरेंद्र मोदी ने।



कैलाश के भतीजे की शादी में शामिल हुए पीएम मोदी



पीएम नरेंद्र मोदी की कैलाश विजयवर्गीय से नाराजगी किसी से छिपी नहीं है। अपने बेटे आकाश को जिद कर टिकट दिलाने वाले विजयवर्गीय से पीएम खासे नाराज थे लेकिन अब इस नाराजगी के बादल छंटते नजर आ रहे हैं। उनके भतीजे की शादी में पीएम मोदी ने भी शिरकत की। कार्यक्रम में उन्होंने पूरा आधा घंटा बिताया। पीएम की ये विजिट कोई आम विजिट नहीं थी, इसके कई सियासी मायने थे। ये साफ इशारा था कि पीएम और विजयवर्गीय के संबंधों पर जमी बर्फ अब पिघल रही है। दोनों के बीच की दूरियों को घटाने में ब्रिज का काम किया नरेंद्र सिंह तोमर ने जिनकी दिल्ली की कोठी पर ही शादी का ये सियासी समारोह आयोजित हुआ।



न्यूज स्ट्राइक का सबसे बड़ा खुलासा हॉर्स ट्रेडिंग



विजयवर्गीय के घर की शादी के फंक्शन में पीएम मोदी के पहुंचने की खबर सबने बताई। शादी में पीएम का आधा घंटा रुकने से एमपी की सियासत में क्या खलबली मची इसे पूरी गहराई से बताया न्यूज स्ट्राइक ने। अब बात करते हैं नगरीय निकाय चुनावों की। एपिसोड दर एपिसोड न्यूज स्ट्राइक ने कई बार ये आगाह किया कि चुनावी नतीजों में बीजेपी के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। नतीजों ने ये बात साबित भी कर दी। बीजेपी के हाथ से कई अहम नगर निगम निकल गईं लेकिन इस चुनाव से बड़ा सबसे बड़ा खुलासा था हॉर्स ट्रेडिंग का।



राजनीतिक में खरीद-फरोख्त का चलन



सांसद और विधायकों के संदर्भ में ये शब्द अक्सर सुनने को मिलता है- हॉर्स ट्रेडिंग। इस बार नगरीय निकाय चुनाव में भी हॉर्स ट्रेडिंग का खेल जमकर हुआ। हॉर्स ट्रेडिंग का उपयोग विधायकों की खरीद-फरोख्त से जोड़कर किया जाता है। किसी दल की सरकार गिराने या अपने दल की सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दल विधायकों की खरीद-फरोख्त करते हैं। ये सियासी फिनोमिना इस बार नगरीय निकाय चुनाव में भी नजर आया। अपना अध्यक्ष बनाने के लिए या निकाय में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए खूब जोड़तोड़ हुए। कुछ आपसी कलह भी नजर आईं। इस बात पर मुहर भी लग गई कि छोटे चुनावों को भी राजनीतिक दलों ने हल्के में नहीं लिया और बड़े-बड़े खेल हुए हैं।



बीजेपी की नाक में दम कर रहे छोटे दल



मिशन 2023 में जुटी पार्टियों के लिए जिस तरह इस बार छोटे चुनाव महत्वपूर्ण हो गए उसी तरह छोटे दल भी नाक में दम कर रहे हैं। छोटे से छोटा नेता भी सियासी समीकरणों को बिगाड़ने में पीछे नहीं है। वैसे तो बीजेपी दावा कर रही है कि वो क्षेत्रीय दलों के वजूद के लिए संकट बन रही है। लेकिन हकीकत इससे परे है। दरअसल बीजेपी के अम्ब्रेला के नीचे कई छोटे दल राजनीति की दुनिया में जबरदस्त ताल ठोंक चुके हैं।



न्यूज स्ट्राइक पर स्ट्रेटिकल अपडेट



जयस, ओबीसी महासभा और सबसे बड़ा खतरा बन कर प्रदेश में एंटर करने जा रही है आम आदमी पार्टी। इन दलों के अलावा समाजवादी पार्टी भी यूपी से सटी विधानसभा सीटों पर जोरआजमाइश की कोशिश में है। बसपा वैसे तो शांत है लेकिन ये ऐलान जरूर कर चुकी है कि ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों पर वो उम्मीदवार उतारेगी। इशारा साफ है कि इस बार बीजेपी और कांग्रेस के सियासी समीकरण बिगाड़ने पर एक नहीं कई क्षेत्रीय दल आमादा हो सकते हैं। भले ही दोनों बड़ी पार्टियां सामने इन दलों को तूल न दें लेकिन हकीकत ये है कि इनकी आमद से कांग्रेस बीजेपी दोनों ही अपनी रणनीति को बार-बार बदलने पर मजबूर हो रही हैं। सिर्फ ये रणनीतिक दबाव ही नहीं न्यूज स्ट्राइक ने हर बार इन छोटे दलों के बड़े मूवमेंट को आप तक पहंचाया। इन छोटे दलों के बीच एक नाम सियासत मे जमकर उभरा प्रीतम लोधी का। प्रीतम लोधी के बहाने जयस ने खूब सुर्खियां बटोरी, ओबीसी महासभा की भी कई बड़ी रैलियां हुईं जिनका असर आने वाले वक्त में बुंदेलखंड और चंबल के इलाकों में जरूर नजर आएगा। इनका स्ट्रेटिकल अपडेट न्यूज स्ट्राइक पर हर बार दिखे और आगे भी दिखते रहेंगे।



आगामी विधानसभा चुनाव का रंग



2023 की जंग बेहद दिलचस्प होगी जिसमें दो नहीं कई टीमें टकराएंगी। कौनसा सियासी खिलाड़ी कब किस पाले में होगा ये देखना भी मजेदार होगा और वो हम आपको बताते भी रहेंगे लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हम सिर्फ पॉलिटिकल मुद्दों पर ही स्ट्राइक करते हैं। सोशियो पॉलिटिकल मुद्दों पर वार करने में भी न्यूज स्ट्राइक कभी पीछे नहीं रहा।



यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान भारतीय मेडिकल छात्रों को नुकसान



यूक्रेन और रूस के युद्ध में उलझे भारतीय मेडिकल छात्रों को कितना नुकसान झेलना पड़ा, ये पूरे देश का मुद्दा बना। इस नुकसान की असल वजह क्या है इसका गहन विश्लेषण पेश किया न्यूज स्ट्राइक ने। उन वजहों को भी विस्तार से समझाया जिसके चलते यूक्रेन और ऐसे ही कई देशों से पढ़कर आने वाले एमबीबीएस बच्चे भी देश में प्रैक्टिस नहीं कर पाते। इस पूरे मामले को गहराई से बताने की वजह ये रही कि पैरेंट्स और विदेश में पढ़ने का सपना देखने वाले बच्चे उसके हर अच्छे बुरे पहलू को गहराई से समझ सकें और भविष्य से जुड़ा सही फैसला कर सकें।



फर्जी प्रमाण पत्र के गोरखधंधे का खुलासा



फर्जी खेल प्रमाण पत्र दिखा कर सरकारी नौकरी हासिल करने के गोरखधंधे का खुलासा भी न्यूज स्ट्राइक ने किया। ये खुलासा सिर्फ बयानबाजी के आधार पर नहीं हुआ बल्कि पुख्ता सबूत और दस्तावेज के साथ न्यूज स्ट्राइक ने इसका खुलासा किया और शासकीय और प्रशासनिक गलियारों में खलबली मचा दी। प्रमोशन पर आरक्षण के नए नियम और उन नियमों को विस्तार से समझाने का काम भी न्यूज स्ट्राइक ने किया ताकि रोजगार और उन्नति के ख्वाहिशमंद कन्फ्यूजन में कोई अच्छा मौका न गंवा दें।



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राजनीति की दुनिया का सही और सटीक विश्लेषण मिलेगा



शुरुआत से लेकर अब तक न्यूज स्ट्राइक न सिर्फ आम जनता से जुड़े मुद्दों के खुलासे करता रहा है बल्कि राजनीति की दुनिया का सही और सटीक विश्लेषण भी पेश करता रहा। सिर्फ इसलिए कि आने वाले चुनाव में अपने हुक्मरानों को चुनने के लिए ईवीएम का बटन दबाने से पहले आप सही फैसला ले सकें। आगे भी हम ऐसे ही दबे पांव खबरों की दुनिया में नए नए धमाके करते रहेंगे। आने वाले साल में क्या बड़े धमाके होंगे इसकी एक झलक हम बताएंगे अगले एपिसोड में। इसलिए नए साल में न्यूज स्ट्राइक की पहली पेशकश को देखना बिलकुल न भूलें।


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