संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में भूमाफिया सुरेंद्र संघवी, उनके बेटे प्रतीक संघवी के साथ भूमाफिया दीपक मद्दा और बिल्डर मनीष शाहरा के यहां ईडी क्यों पहुंची? इसकी वजह है जिला प्रशासन की गोपनीय रिपोर्ट। यह रिपोर्ट ईडी और राज्य शासन के आदेश से प्रशासन ने बनाकर पहुंचाई थी। इस रिपोर्ट में जमीन के खेल में संघवी और मद्दा दोनों को मास्टरमाइंड बताते हुए कहा गया है, कि इन भूमाफियाओं की वैध, अवैध, बेनामी संपत्तियों की जांच करने पर पता चला। इन सभी संपत्तियों का आज का बाजार भाव 9108 करोड़ रुपए है। प्रशासन द्वारा ईडी के पास इन सभी के कारनामों, की गई FIR के साथ ही संपत्तियों की जानकारी की सूची भी भेजी गई है। इसी आधार पर इस पूरे मामले में ईडी की इंट्री हुई है। रिपोर्ट में यहां तक है कि मद्दा और संघवी शहर के अन्य सभी भूमाफियाओं का प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से नेतृत्व करने वाले व्यक्ति हैं। रिपोर्ट में है कि इन समितियों में जिन्हें लेकर संघवी, मद्दा पर FIR हुई है। उनके अतिरिक्त भी अनेक समितियों व कॉलोनियों में दोनों का सीधा या पर्दे के पीछे से निवेश है।
ईडी की तरफ से जारी नहीं हुई प्रेस रिलीज, गिरफ्तारी पर असमंजस कायम
उधर ईडी की कार्रवाई गुरुवार सुबह 7 से लेकर देर रात तक चलती रही। इसमें संघवी से कई घंटों पूछताछ हुई। देर रात ईडी अधिकारियों की 2 कारें वापस लौट गई। शुक्रवार सुबह सूत्रों से खबर चली की गिरफ्तारी ले ली गई है और इन्हें कोर्ट में पेश करने की तैयारी ईडी कर रही है। लेकिन फिलहाल ईडी की ओर से अभी तक कार्रवाई और न ही गिरफ्तारी की पुष्टि की गई है। इसे लेकर इंदौर से लेकर भोपाल तक असमंजस फैला हुआ है।
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प्रशासन की रिपोर्ट में यह सब लिखा हुआ है-
इसमें है कि शहर के विभाग सोसायटियों के घाटोलों में दीपक जैन उर्फ मद्दा के साथ ही सुरेंद्र संघवी और उनके पुत्र प्रती संघवी की अहम भूमिका है। यह सभी अन्य आरोपियों के साथ मिलकर सहकारिकता नियमों के लूप पोल का फायदा उठाकर महंगी जमीनों का खेल करते हैं। इसमें यह जमीन कार्यकारी मंढल में खुद या रिश्तेदारों, नौकरों को प्रवेश दिलाकर खेलक रते हैं। मद्दा और संघवी इन घोटालों के मास्टमाइंड है और उन्हीं के देखरेख में आम जनता का हक छीनकर कमाई की जा रही है। यह संस्था की जमीन की बार-बार खरीदी बिक्री करते हैं, इससे मिली राशि अलग-अलग नाम से खोले गए खातों में शिफ्ट करते हैं और फिर खाते बंद कर देते हैं। साथ ही इन जमीनों पर बैंकों से लोन तक उठा लेते हैं।
2 सोसायटी के खेल में ही 180 करोड़ का खेल
रिपोर्ट में कहा गया है कि देवी अहिल्या सोसायटी को लेकर 2 FIR की गई है, इसी में 180 से 200 करोड़ का खेल है। अयोध्यापुरी के 4 एकड़ जमीन और पुष्पविहार की 5 एकड़ जमीन जो पहले 7 करोड़ 20 लाख और 7 करोड़ 65 लाख में ली गई। इन जमीनों का वर्तमान रेट 180-200 करोड़ है। इस खेल के लिए बेनामी खाते कोले गए और राशियों को इसमें ट्रांसफर किया गया। मद्दा और संघवी द्वारा इन भूमियों को विकसित भूखंड के रूप में बेची गई।
दर्ज केस और आरोपियों की जानकारी
- खजराना थाने में FIR 0159/2021- दीपक जैन ने मजदूर पंचायत सहकारी समिति के लिए नंदानगर सहकारी संस्था में खाते खोलकर राशि ली। अपने साले व सगे भाई की सहायता कर समिति की पुष्पविहार कालोनी में जमीन की धोखाधड़ी की। इसमें मद्दा के साथ ओमप्रकाश धनवानी, दीपेश वोहरा, कमलेश जैन, नसीम हैदर और केशव नाचानी भी आरोपी है। इसी मामले में खजराना में दर्ज दूसरी FIR 0161 में भी यही बात है।
रिपोर्ट में लिखा है किस तरह करते हैं धोखाधड़ी-
रिपोर्ट में है कि मद्दा व संघवी किसी भी सोसायटी में पहले सदस्य, वोटर बनकर किसी को पद के लेते हैं, फिर रिश्तेदारों को इसमें जोड़ते हैं और कार्यकारिणी में पद हथिया कर पूरा कंट्रोल ले लेते हैं। इसके बाद यह जमीन की खरीदी-बिक्री का खेल करते हैं। बेची गई जमीन की राशि संस्था की जगह खुद के खाते में या रिश्तेदार, नौकरों के खाते में ली जाती है। खाते नाम के लिए सहकारी संस्था या बैंक में खोलते हैं।