Jabalpur. इस बारिश के चलते मटर की आवक थोड़ा लेट हो गई है। लेकिन इस बार प्रशासन ने जबलपुर के मटर की ब्रांडिंग की पूरी तैयारी कर ली है। सबसे जरूरी इसका टैग होगा। जो कि मटर के हर बारदाने पर लगाया जाएगा। व्यापारियों को इसे सिलाई के समय ही लगाने के लिए कहा गया है। ऐसे 90 लाख से 1 करोड़ बारदाने तैयार होकर जिले में आऐंगे। जिनमें जबलपुर के प्रसिद्ध मटर की सप्लाई होगी।
एक जिला एक उत्पाद के तहत चिन्हित
जबलपुर में मटर को एक जिला एक उत्पाद के तहत चिन्हित किया गया है। जिससे मटर की खेती के लिए किसानों को भी प्रोत्साहन मिला है। हालांकि इस साल मौसम ने साथ नहीं दिया फिर भी इस बार 40 हजार हेक्टेयर में मटर की बोवनी होने की संभावना जताई जा रही है। लगातार दूसरे साल जबलपुरी मटर की पहचान के साथ इसकी बिक्री की जाएगी। उद्यानिकी विभाग ने इसके लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। पिछले साल समय पर योजना नहीं बनने से कुछ दिक्कतें जरूर आई थीं। जिसके चलते कुछ बारदानों में जबलपुरी मटर का टैग नहीं लग पाया था। लेकिन इस साल योजना को पूरी तरह से लागू किया जाएगा।
जिला में हरे मटर का व्यापक उत्पादन होता है। 30 से 35 हजार हेक्टेयर में किसान इसकी खेती करते हैं। हर साल दो लाख 42 हजार मीट्रिक टन हरे मटर का उत्पादन जिले में होता है। यह फसल किसानों को लखपति भी बना देती है। सीजन पर हर साल 400 करोड़ रुपए से ज्यादा के मटर का विक्रय किसान करते हैं। जिले में पनागर, शहपुरा, मझौली और पाटन में इसका बड़ा रकबा है। 80 फीसद मटर की सप्लाई देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में होती है। विदेशों की बात की जाए तो जापान और सिंगापुर में जबलपुर के मटर का निर्यात किया जा चुका है।