संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया चंपू, चिराग, नीलेश अजमेरा, निकुल कपासी, महावीर जैन, योगिता अजमेरा, हैप्पी धवन इन सभी के वादों में प्रशासन और पीड़ित मारे गए। कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स डेवकान, सेटेलाइट हिल कॉलोनी के 255 पीड़ितों को लेकर हाईकोर्ट इंदौर बेंच में बुधवार (15 मार्च) को हुई सुनवाई के दौरान प्रशासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में तीन अलग-अलग सेटलमेंट रिपोर्ट देन पर भूमाफियाओं ने प्रशासन को घेरा। इन्होंने कहा कि प्रशासन ने यू-टर्न लिया और पहले हुए सेटलमेंट केस को अब अनसेटल बता रहे हैं। इस पर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि इन्होंने चालबाजी की और सुप्रीम कोर्ट से जमानत लेने के लिए पीड़ितों को कहा कि वह सेटल कर देंगे, जमानत हो जाने दो। इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला और सुप्रीम कोर्ट के साथ भी फ्रॉड किया। इन्होंने जो शपथ-पत्र दिए प्रशासन ने इनके वादे और शपथ-पत्र के आधार पर सैटलमेंट रिपोर्ट बनाई लेकिन बाद में सभी मुकर गए। आज भी 200 से ज्यादा पीड़ित कोर्ट के बाहर न्याय की उम्मीद किए हुए खड़े हैं। यहां तक कहा कि ऐसा लगता है कि यह कभी भी मामले हल नहीं होने देंगे। इन सभी की जमानत निरस्त की जाए और कम से कम थाने में महीने में एक बार सभी की हाजिरी लगाने का आदेश हो, क्योंकि अधिकांश फरार है और सामने ही नहीं आते हैं। हाईकोर्ट ने अगली तारीख 27 मार्च लगाई है, जिसमें प्रशासन के जमानत निरस्ती आवेदन व अन्य बिंदुओं पर सुनवाई होगी।
सेटलमेंट रिपोर्ट पर उठ गए सवाल? सुप्रीम कोर्ट से झूठ कहा
प्रशासन द्वारा अलग-अलग सैटलमेंट रिपोर्ट पेश करने को लेकर ही भूमाफियाओं की ओर से आपत्ति ली गई, उनकी ओर से यहां तक तर्क दिया गया कि क्या हमारे कहने पर यह रिपोर्ट पेश कर दी क्या आपने? यह भी सामने आया कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत होने के बाद और मार्च 2022 में वहां सैटलमेंट रिपोर्ट पेश होने के बाद भूमाफियाओं ने कोई केस का सैटलमेंट किया ही नहीं और जो पहले किए थे उससे भी पलट गए। फरवरी 2023 में भी सुनवाई के दौरान जो सैटलमेंट 55 फीसदी करीब बताए जा रहे थे वह 35 फीसदी के करीब ही रह गए हैं। उधर इसी मामले में भूमाफियाओं ने प्रशासन को घेर दिया कि वह अपनी सैटलमेंट रिपोर्ट पर यू-टर्न ले रहा है। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि उनके शपथ-पत्रों के आधार पर ही यह रिपोर्ट बनी लेकिन बाद में पीड़ित आए तो उन्होंने बताया कि सब वादे झूठे निकले और निराकरण किया नहीं या अधूरा किया। वहीं उन्होंने जोर देकर कहा कि इन आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट को सरासर झूठ बोला और जमानत ली।
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द सूत्र की खबर पर मुहर, कालिंदी में करोडों रुपए चंपू के खाते में आए
हाईकोर्ट में द सूत्र की खबर पर भी मुहर लगी है। कुछ दिन पहले हमने बताया था कालिंदी में भी चंपू की भूमिका रही है और कई खातों से राशि चंपू और कालिंदी गोल्ड के खातों के बीच आई-गई है। इसमें करोड़ों का ट्रांजेक्शन हुआ है। यह बात शासकीय अधिवक्ता ने भी रखी और बताया कि कालिंदी गोल्ड में भले ही चंपू सीधे नहीं हो लेकिन कई पीड़ितों ने उनसे प्लाट लेना बताया है और करोड़ों रुपए उसके खाते में गए हैं।
नीलेश ब्रिटिश नागरिक वहां कहां है?
शासकीय अधिवक्ता ने नीलेश अजमेरा को भगोड़ा बताया और कहा कि वह ब्रिटिश नागरिक है और पुलिस आज तक उसे पकड़ नहीं पाई है। वह सात-आठ सालों से सामने नहीं आया, हमे आज तक नहीं पता कि वह भारत में हैं या विदेश में हैं। इसलिए उसे कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए जाएं, या उनके वकील बताएं कि आखिर वह हैं कहां? हालांकि इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया के तहत हम उन्हें पता बताने के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं।
यह सिर्फ तारीख बढ़ाना चाहते हैं, ताकि जमानत पर रहे भूमाफिया
शासन की ओर से हाईकोर्ट को बताया गया कि इन सभी की जमानत निरस्त होना चाहिए, इन सभी को लेकर कुल 92 केस न्यायालय में चल रहे हैं और 20-25 एफआईआर दर्ज हैं। यह बस माननीय कोर्ट में केस को आगे बढ़ाते रहना चाहते हैं, ताकि जमानत पर रहें, इन्होंने जमानत पर रहकर भी पीड़ितों को राहत नहीं दी है। कई आरोपी तो दूसरों को आगे कर रहे है कि वह सेटल करेंगे लेकिन खुद सामने नहीं आ रहे हैं, जरूरी है कि उनकी थाने में हर माह में हाजिरी लगाई जाए और कम से कम कोर्ट के सामने तो पेश हो ही। इन सभी मामलों में अब अगली सुनवाई पर बहस होगी।