संजय गुप्ता, INDORE. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं। रविवार (18 दिसंबर) को आयोजित हुई सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी यानी एडीपीओ की परीक्षा में कांग्रेस से लेकर एक प्रश्न पूछा गया। इसमें पूछा गया कि कांग्रेस की इंदौर शाखा के पहले अध्यक्ष कौन थे। मजे की बात तो यह है कि खुद कांग्रेसियों को भी इसका पता नहीं, कारण है कि कांग्रेस गांधी भवन में अध्यक्षों का कोई बोर्ड ही नहीं लगा है। कांग्रेसी नेताओं को भी इसकी जानकारी नहीं थी। इसके जवाब मंगलवार (20 दिसंबर) शाम को तब मिला जब पीएससी ने आंसर की जारी की। सवाल में चार विकल्प दिए थे। चौधरी डालचंद राम, सेठ गोविंद दास, पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र और अर्जुन लाल सेठी। इसका सही आंसर पीएससी ने अर्जुन लाल सेठी बताया है। उधर इस सवाल को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों तरफ से आपत्ति आई है। बीजेपी ने कहा है कि इस तरह के सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए।
शहर अध्यक्ष को भी नहीं है जानकारी
वहीं जब शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल से इसका आंसर पूछा गया कि कौन अध्यक्ष थे तो उनका कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि हमारे पार्टी का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है। इतना पुराना इतिहास मुझे नहीं पता है।
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बीजेपी को ये आपत्ति
वहीं विवादित सवाल को लेकर पीएससी के प्रवक्ता का कहना है प्रश्न पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी गोपनीय होती है। ज्ञान जानने के लिए चौंकाने वाले सवाल पूछे जाते हैं और अगर कोई आपत्ति रहती है तो बाद में विशेषज्ञ मूल्यांकन करके फैसला लेते हैं। इस प्रश्न को विलोपित करना है या जारी रखना है। उधर बीजेपी के विधि प्रकोष्ठ संयोजक निमेश पाठक का कहना है यह बेवजह की कांग्रेसी ज्ञान की परीक्षा ली गई है। इस तरह के प्रश्न होना ही नहीं चाहिए। इनका कोई मतलब नहीं है और इसलिए उम्मीदवारों को बोनस अंक मिलना चाहिए साथ हीप्रश्नपत्र सेंटर पर भी कार्रवाई होना चाहिए।
इसके पहले भी होते रहे विवाद
उल्लेखनीय है कि पीएससी के प्रश्न पत्र को लेकर आपत्ति आना नई बात नहीं है। 2 साल पहले भी पीएससी ने आदिवासी समुदाय को लेकर एक आपत्तिजनक प्रश्न पूछा था आखिर में इसे विलोपित किया गया। इसी तरह 6 महीने पहले भी परीक्षा में कश्मीर को लेकर सवाल किया गया था, जिसे बाद में विलोपित किया गया। मंगलवार(20 दिसंबर) को आंसर की जारी होने के बाद उम्मीदवारों के पास 7 दिन का समय है। इसमें वह प्रश्न पत्र के प्रश्न और उनके जवाबों को लेकर आपत्ति जता सकते हैं। इन आपत्तियों के आधार पर 7 दिन बाद प्रश्न पत्रों को लेकर आयोग फैसला लेगा।