Jabalpur. बीच सत्र में 5वीं और 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं करवाने का फैसला सरकार के गले की फांस बन गया है। पहले स्कूल संचालकों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई तो अब अभिभावक भी सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती दे रहे हैं। सागर जिले की अभिभावक उर्मिला साहू ने याचिका दायर कर बीच सत्र में पांचवीं और आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं कराने के फैसले को चुनौती दी है। 23 नवंबर को दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य शिक्षा केंद्र समेत अन्य अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
बीच सत्र पाठ्यक्रम बदलने से बच्चों पर पड़ रहा दबाव
याचिका में कहा गया है कि कोरोना काल में स्कूलों के सत्र ठीक से नहीं लग पाए और अचानक बीच सत्र में 5वीं और 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं लेने का फैसला कर लिया। जिससे बच्चे असमंजस में हैं कि आखिर वे पुरानी किताबों से पढ़ाई करें या नए पाठ्यक्रम को पढ़ें। इस कारण छोटी सी उम्र में बच्चों पर बड़ा मानसिक दबाव पड़ रहा है। दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
प्रशासन पर दबाव डालने का आरोप
याचिका के समर्थन में लड़ाई लड़ रहे लोगों ने बताया कि बीच सत्र लिए गए इस फैसले के खिलाफ अब तक 4 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। वहीं अभिभावक उर्मिला साहू की याचिका पर नोटिस जारी होने के बाद शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी उनके घर पहुंचे और याचिका वापस लेने का दबाव बनाया है, जो कि सरासर अनुचित है। सरकार अपने मनमाने फैसले जनता पर थोप रही है और अदालत का दरवाजा खटखटाने पर याचिकाकर्ताओं पर दबाव बनाया जा रहा है।
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