इंदौर में जी20 में आया बड़ा मुद्दा- ग्रीन खेती करने वाले किसानों को दिया जाए कार्बन क्रेडिट और आर्थिक सहायता 

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The Sootr
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इंदौर में जी20 में आया बड़ा मुद्दा- ग्रीन खेती करने वाले किसानों को दिया जाए कार्बन क्रेडिट और आर्थिक सहायता 

संजय गुप्ता, INDORE. भारत की अध्यक्षता में हो रही जी 20 सदस्य देशों की एग्रीकल्चर वर्किंग ग्रुप बैठक में अंतिम दिन क्लाइमेट फाइनेंसिंग का बड़ा मुद्दा उठा। इसमें चर्चा हुई कि जो किसान जलवायु का ध्यान रखते हुए काम करते हैं, ग्रीन खेती करते हैं, उन्हें किस तरह से आर्थिक सहायता देकर बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए किसानों को कार्बन क्रेडिट देने की भी बात उठी, जिसे बेचकर किसानों को राशि दी जा सकती है। यह बात वर्किंग ग्रुप की बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने कही। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा चर्चा में उठा है और कई देश तो बजट में किसानों के लिए इस तरह के प्रावधान भी कर रहे हैं। 



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क्या है कार्बन क्रेडिट?



कार्बन क्रेडिट हाल के समय में तेजी से चर्चा में आया है। इंदौर नगर निगम भी इसके जरिए करोड़ों रुपए कमा रहा है। दरअसल जब कोई पर्यावरण के मित्र की तरह काम करता है, तो जितनी कार्बन उसने ग्रीन काम करके उत्सर्जित होने से बचाई है, उसके बदले में प्वाइंट मिलते है। इसे कार्बन क्रेडिट कहते हैं, यह क्रेडिट इंटरनेशनल मार्केट में बेची जाती है, जिसके बदले में राशि मिलती है। 



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जेनेटिक फूड को लेकर कोई बात नहीं हुई



प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान आहूजा ने जेनेटिकली फूड को लेकर उठे सवाल पर कहा कि इस मुद्दे पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई। वहीं उन्होंने मिलेट्स (ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज) के प्रोत्साहन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सिस्टम नहीं होने के सवाल पर कहा कि यह हमारे देश का मुद्दा है, इस पर चर्चा नहीं हुई। हालांकि इसे किस तरह से प्रोत्साहन देना चाहिए? कैसे रिसर्च करें? बीज की जरूरत को कैसे पूरा करें? इन सभी पर चर्चा हुई थी?



चार मुद्दों पर हुई चर्चा



13 से 15 फरवरी तक चली बैठक के दौरान फूड सेक्यूरिटी एंड न्यूट्रीशन, सस्टेनेबल एग्रीकल्चर विथ क्लाइमेट स्मार्ट एप्रोच, इन्कूसिव एग्रीकल्चररल वैल्यू चेंस एंड फूड सिस्टम, डिजिटलाइजेशन फॉर एग्रीकल्चरल ट्रांसफॉर्मेशन के मुद्दों को कोर में रखते हुए चर्चा की गई। आहूजा ने बताया कि सभी ने इन मुद्दों पर अपनी राय दी है और इन मुद्दों को आगे एग्रीकल्चर मिनिस्टर्स के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा। सभी मिलकर इसमें आगे फैसले लेते हैं। हमने बताया कि भारत किस तरह नवाचार कर रहा है। उन्होंने भी अपनी राय दी और बताया कि सदस्य देश में क्या हो रहा है। 



सीएम चौहान और सिंधिया ने भी दिया था संबोधन



उद्घाटन सत्र के दौरान 13 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बैठक को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने खाद्य सुरक्षा पर फोकस किया था और मिलेट्स को लेकर भी विचार व्यक्त किए थे। सीएम ने कहा था कि मप्र में 60 हजार किसान जैविक खेती कर रहे हैं। सीएम ने मप्र को मिलेट्स की राजधानी बताया था। साथ ही मप्र में साल 2003 से अभी तक सिंचाई, उत्पादन में हुए विकास और कृषि कि रिकॉर्ड विकास दर की जानकारी दी थी। उधर, केंद्रीय उड्‌डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 14 फरवरी को थ्री एस (स्मार्ट, सर्वस ऑल, सस्टेनेबल) के जरिए एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट की बात की थी, साथ ही बताया था कि कृषि उत्पादन में भारत किस तरह से कई उत्पादों में अव्वल है।



अंतिम दिन इन्होंने किया संबोधित



बैठक के अंतिम दिन 15 फरवरी को कृषि विभाग की ज्वाइंट सेक्रेट्री शुभा ठाकुर, एडिशनल सेकेट्री डॉ. अभिलक्ष्य लिखी, ज्वाइंट सेक्रेट्री फ्रेंकलिन खोबंग, एडिशनल सेक्रेट्री डॉ. पीके मेहर्दा, ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ. स्मिता सिरोही आदि ने भी संबोधित किया।


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