MPPSC पर नए आरोप- गाइनेकोलॉजी स्पेशलिस्ट परीक्षा के इंटरव्यू में जनरल कैटेगरी कैंडिडेट्स को रिजर्व्ड वर्ग से ज्यादा मार्क्स

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Atul Tiwari
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MPPSC पर नए आरोप- गाइनेकोलॉजी स्पेशलिस्ट परीक्षा के इंटरव्यू में जनरल कैटेगरी कैंडिडेट्स को रिजर्व्ड वर्ग से ज्यादा मार्क्स

संजय गुप्ता, INDORE. परीक्षाओं को लेकर 4 साल से विवादों में चल रहे एमपीपीएससी (मप्र लोक सेवा आयोग) पर अब कैंडिडेट्स ने नए आरोप लगाए हैं। ये आरोप गाइनोकोलॉजी स्पेशलिस्ट परीक्षा के फाइनल रिजल्ट को लेकर लगाए गए हैं। आयोग ने 7 दिसंबर शाम को रिजल्ट जारी कर 87% मूल पदों पर अंतिम सिलेक्शन लिस्ट जारी की। इसमें सिलेक्टेड कैंडिडेट्स को 100 मार्क्स के इंटरव्यू में मिले अंक भी जारी किए गए। इसके आधार पर अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि आयोग ने सामान्य वर्ग यानी अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग से ज्यादा अंक दिए, जो एक तरह से पक्षपात है।



अनारक्षित वर्ग में औसत 79% तो एससी में 47 फीसदी अंक दिए



अभ्यर्थियों द्वारा इन आरोप लगाने के बाद द सूत्र ने इन सभी चयनित सूची में आए 95 सभी अभ्यर्थियों के इंटरव्यू अंक की तुलना की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। इसमें अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को औसत अंक 79 फीसदी मिले हैं, वहीं ओबीसी वर्ग में यह औसतन अंक 46 फीसदी, एससी वर्ग में 44 फीसदी तो एसटी वर्ग के लिए 47 फीसदी है। ईडब्ल्यूएस के एक अभ्यर्थी को मात्र 44 फीसदी अंक इंटरव्यू में मिले हैं। 



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इस तरह दिए गए अंक




  • अनारक्षित वर्ग में कुल 32 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं और इसमें अधिकतम अंक 89 तो न्यूनतम अंक 75% हैं। यानी सभी चयनित अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के 100 में से न्यूनतम 75 से लेकर 89 अंक दिए गए हैं।


  • ओबीसी वर्ग में कुल 21 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, इसमें अधिकतम अंक 51 तो न्यूनतम अंक 38 दिए गए हैं।

  • एससी वर्ग में कुल 25 अभ्यर्थी सिलेक्ट हुए हैं, इसमें अधिकतम अंक 49 तो न्यूनतम अंक 34 दिए गए हैं।

  • एसटी वर्ग में कुल 16 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, इसमें अधिकतम अंक 63 तो न्यूनतम अंक 32 दिए गए हैं।



  • पहले से ही रिजल्ट फार्मूले से लेकर कई विवाद



    पीएससी को लेकर चार सालों से लगातार विवाद जारी है। ओबीसी आरक्षण 14 से 27 फीसदी करने को लेकर विवाद कोर्ट में लंबित है। इसके साथ ही विविध परीक्षाओं के अक्टूबर-नवंबर 2022 में नए 87-13% के फॉर्मूले से जारी रिजल्ट को लेकर भी इंदौर हाईकोर्ट बेंच में याचिका पर सुनवाई जारी है। उधर, राज्य सेवा परीक्षा 2019 की लिखित परीक्षा के रिजल्ट को रद्द कर दोबारा परीक्षा कराने को लेकर भी जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हो चुकी है और ऑर्डर कभी भी सुनाया जा सकता है। इन विवादों के चलते साल 2018 के बाद से लोक सेवा आयोग, मध्य प्रदेश शासन को कोई भी अधिकारी अंतिम रूप से चयनित करके नहीं दे पाया है।


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