छतरपुर में बागेश्वर धाम पर सरकारी संपत्तियों पर कब्जे का आरोप, सामुदायिक भवन में सजता है धीरेंद्र शास्त्री का दरबार

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Rahul Garhwal
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छतरपुर में बागेश्वर धाम पर सरकारी संपत्तियों पर कब्जे का आरोप, सामुदायिक भवन में सजता है धीरेंद्र शास्त्री का दरबार

हिमांशु अग्रवाल, CHHATARPUR. लोगों को मन की बात जानकर उनकी समस्या दूर करने का दावा करने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश यानी धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर विवादों में घिर चुके हैं लेकिन इस बार वो सरकारी संपत्ति पर कब्जे को लेकर विवादों में घिरे हैं। पूर्व विधायक आरडी प्रजापति ने जब बागेश्वर धाम पर सरकारी संपत्ति और निजी जमीनों पर कब्जे के आरोप लगाए तो द सूत्र ने इस पूरे मामले की पड़ताल की और पड़ताल में निकलकर सामने आया कि न केवल सरकारी और प्राइवेट जमीन बल्कि बागेश्वर धाम ने सरकारी भवन पर कब्जा जमाया हुआ है और इसी सरकारी बिल्डिंग में सजता है बागेश्वर धाम का दरबार।





गढ़ा में सजता है बागेश्वर धाम का दरबार





छतरपुर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर एक छोटा-सा गांव है, नाम है गढ़ा। ये गांव छतरपुर से ज्यादा प्रसिद्ध हो चुका है क्योंकि यहां है बागेश्वर धाम और यहां सजता है बागेश्वर धाम का दरबार। हर रोज हजारों लोग इस धाम में आते हैं। मंगलवार और शनिवार को ये हजारों की भीड़ का आंकड़ा लाखों में बदल जाता है। गढ़ा गांव के आखिरी छोर पर स्थित है बागेश्वर धाम मंदिर। ये पहले शिव मंदिर था जो 300 से 400 साल पुराना बताया जाता है। इसी प्राचीन शिव मंदिर में कुछ साल पहले हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गई, जिसे धीरेंद्र शास्त्री बालाजी कहकर पुकारते हैं।





धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात के लिए मंदिर में लगती है अर्जी





जिस किसी को बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात करना होती है उसे इसी मंदिर में अर्जी लगाना पड़ती है। जब अर्जी लग जाती है तो सजता है बागेश्वर धाम का दरबार और यहां आने वाले लोगों के मन की बात जानकर बागेश्वर धाम लोगों की समस्याएं दूर करते हैं। बागेश्वर धाम इतना प्रसिद्ध हो चुका है और यहां आने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है तो अब ये एक बिजनेस हब में भी तब्दील होता जा रहा है। यहां इतने लोग पहुंचते हैं तो यहां लगने वाली दुकानदारों की कमाई अच्छी खासी होती है। इसलिए कुछ साल पहले तक जिस गढ़ा गांव में दुकान लगाने के लिए मामूली रकम खर्च करना होती थी अब किराया हजारों रुपए में पहुंच चुका है। गढ़ा गांव की जमीनों की कीमत भी आसमान छू रही है और इसलिए यहां शुरू हो चुका है जमीनों पर कब्जे का खेल।





सरकारी जमीनों पर कब्जे का खेल क्यों ?





आखिरकार क्यों सरकारी जमीनों पर कब्जे का खेल शुरू हुआ है। गढ़ा गांव में एक तालाब है जो सरकार की प्रॉपर्टी है लेकिन इस तालाब को पाटकर यहां दुकानें बनना शुरू हो गई हैं और तो और धीरेंद्र शास्त्री जिस भवन में अपना दरबार लगाते हैं वो कोई बागेश्वर धाम की प्रापर्टी नहीं है बल्कि सरकारी सामुदायिक भवन है।





सामुदायिक भवन में लगता है धीरेंद्र शास्त्री का दरबार





बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का दरबार जिस बिल्डिंग में लगता है उस बिल्डिंग के बाहर पीले रंग की पट्टी में लिखा है सामुदायिक भवन। लागत 10 लाख रुपए। नीचे लिखा है बागेश्वर धाम, अब ये सामुदायिक भवन गढ़ा गांव की पंचायत ने बनवाया है यानी ये सरकारी भवन है लेकिन गांव के लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते। गढ़ा गांव के सरपंच सत्यप्रकाश पाठक से जब द सूत्र ने बात की तो उन्होंने कहा कि पुराने सरपंच ने उन्हें किसी तरह के दस्तावेज दिए नहीं हैं। इसलिए पता नहीं है।





वीडियो देखने के लिए क्लिक करें.. कैसे सरकारी भवन से चलता है बागेश्वर धाम का दरबार





बागेश्वर धाम से सटी संतोष सिंह की जमीन





अब नए नवेले सरपंच साहब को पता नहीं कि गढ़ा गांव की कौनसी जमीन सरकारी है और कौनसी प्राइवेट लेकिन बागेश्वर धाम का जहां दरबार सज रहा है उसके आसपास की जमीन सरकारी भी है और प्राइवेट भी। बागेश्वर धाम से सटी है संतोष सिंह की जमीन। संतोष सिंह ने बमीठा थाने में शिकायत की थी कि उनकी जमीन पर बागेश्वर धाम के सेवादार कब्जा जमा चुके हैं। द सूत्र की टीम गढ़ा गांव जाकर संतोष सिंह से मिली। संतोष का कहना है कि तहसीलदार ने भरोसा दिया था लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। अब संतोष सिंह की प्राइवेट जमीन पर कब्जे का आरोप नहीं है। बल्कि गांव की श्मशान की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है। द सूत्र की टीम को गांव की कुछ महिलाएं मिलीं। जिनका कहना था कि पहले श्मशान की जमीन थी जिस पर अब कब्जा हो चुका है।





तालाब की जमीन पर भी कब्जा





दूसरी तरफ गढ़ा गांव का जो तालाब है, उस तालाब की जमीन पर भी कब्जा होता जा रहा है। द सूत्र की टीम जब यहां पहुंची तो तालाब की जमीन पर निर्माण कार्य होता नजर आया। बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर सरकारी संपत्तियों पर कब्जे का आरोप पूर्व विधायक आरडी प्रजापति ने लगाया था और प्रजापति ने बकायदा अनिश्चितकालीन धरना भी शुरू किया था लेकिन प्रशासन की कार्रवाई के आश्वासन के बाद धरना खत्म हो गया था लेकिन प्रजापति ने उस वक्त बड़े गंभीर आरोप लगाए थे। अब इन तमाम आरोपों की सच्चाई द सूत्र ने गढ़ा गांव जाकर देखी तो आरोप कहीं न कहीं सच पाए गए हैं। तालाब की जमीन पर निर्माण कार्य चल रहा है। पक्की दुकानें बनाई जा रही हैं।





द सूत्र ने अधिकारियों के साथ-साथ बागेश्वर धाम से भी किया संपर्क





इस मामले में द सूत्र ने अधिकारियों के साथ-साथ बागेश्वर धाम से भी संपर्क किया। द सूत्र ने धीरेंद्र शास्त्री के भाई लोकेश गर्ग को मैसेज भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा लेकिन लोकेश गर्ग ने इस मैसेज को देखा जरूर लेकिन कोई जवाब नहीं दिया दूसरी तरफ बागेश्वर धाम के सेवादार नीतेंद्र चतुर्वेदी से भी संपर्क साधा गया मगर उनकी तरफ से भी कोई जवाब नहीं मिला। दूसरी तरफ जब अधिकारियों से पूछा कि बागेश्वर धाम के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। क्या कार्रवाई की जा रही है तो अपर कलेक्टर ने कहा कि जांच चल रही है।





सारे काम विधायक निधि से हो रहे- धीरेंद्र शास्त्री





मामले में अभी जांच ही चल रही है और ये जांच कब तक पूरी होगी ये नहीं पता। हालांकि इन आरोपों के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने ये जरूर कहा है कि सारे काम विधायक निधि से किए जा रहे हैं। इसलिए द सूत्र ने राजनगर विधानसभा के विधायक विक्रम सिंह नातीराजा से संपर्क किया।





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आखिर क्यों नहीं हो रही कार्रवाई





अब सवाल ये उठता है कि यदि एक आम आदमी सरकारी जमीन पर कब्जा जमाकर अपना व्यवसाय शुरू कर दे तो क्या प्रशासनिक अमला ये सब होने देगा। सरकारी अधिकारी तो तत्काल ही बुलडोजर लेकर अतिक्रमण हटा देंगे लेकिन यहां आम आदमी नहीं बेहद खास व्यक्ति है जिसका सत्ता के गलियारों में उठना-बैठना है। इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों की शायद हिम्मत नहीं होती कि वो किसी तरह की कोई कार्रवाई करें।



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