BURHANPUR. रूस और यूक्रेन युद्ध के शुरुआती दौर में बमबारी के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बचाने के लिए एक प्रवासी भारतीय ने अपनी जान की परवाह तक नहीं की थी। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर से निकला यह युवा उद्योगपति भारतीय छात्रों के लिए फरिश्ता बनकर वहां पहुंचा था। इनका नाम है अमित लाठ। प्रवासी भारतीय सम्मेलन में लाठ का 10 जनवरी, मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मान करेंगी।
अमित लाठ ने ऑपरेशन गंगा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
शारदा समूह के अमित लाठ ने यूक्रेन युद्ध के समय भारत सरकार की ओर से चलाए गए ऑपरेशन गंगा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारतीय छात्रों को बचाने और उन्हें पोलैंड के माध्यम से सुरक्षित घर वापस लाने में मदद करने की पहल पर भी पुरस्कार प्राप्त करने वालों में उनका नाम शामिल है। उन्होंने ऑपरेशन गंगा के बारे में बताया कि ये भारत सरकार का इनिशिएटिव था। टीम में मुझे भी शामिल किया। हमारा लक्ष्य था कि यूक्रेन में फंसे बच्चों को हर हाल में सुरक्षित बाहर निकालना है। डॉक्टर और एम्बुलेंस के साथ इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बिना कोई पैसा लिए सुविधाएं जुटाईं और बच्चों को सुरक्षित निकालकर ले आए। इस मिशन में युद्धग्रस्त यूक्रेन से 50 किलोमीटर तक पैदल चलकर आ रहे भारतीय छात्रों को पोलैंड के सुरक्षित क्षेत्र में पहुंचाया था। बच्चों को लाने के लिए यूक्रेन के अंदर घुसने का फैसला किया था।
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कौन है अमित लाठ
अमित लाठ को यह सम्मान व्यवसाय और सामुदायिक कल्याण के क्षेत्र में कार्य के लिए दिया जा रहा है। अमित लाठ का जन्म बुरहानपुर के उद्योगपति कैलाशचंद्र लाठ और शारदादेवी लाठ के यहां 3 सितंबर 1977 को मुंबई में हुआ। 30 साल से पोलैंड में रह रहे अमित लाठ का टेक्सटाइल का व्यापार हैं और उनका परिवार भी बुरहानपुर में टेक्सटाइल कारोबार से जुड़ा है। यहीं से टेक्सटाइल्स में डिप्लोमा किया। भीलवाड़ा में उनका कॉर्पोरेट ऑफिस भी है। पोलैंड में पत्नी आकांक्षा इंटरनेशनल मार्केट की एक्टिव डायरेक्टर हैं। अमित शारदा ग्रुप ऑफ कंपनीज के सीईओ हैं। उनकी कंपनी का पोलैंड तक बुरहानपुर से सालाना करीब 80 करोड़ रुपए के यार्न का निर्यात हो रहा है।
अमित ने कहा- युवाओं के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं
इस गौरव पर लाठ का कहना है कि यह सम्मान मेरा नहीं पोलैंड में रह रहे 45 हजार भारतीय प्रवासियों का है। यह हम सबके लिए गर्व की बात है। अमित ने बुरहानपुर के युवाओं के लिए भी संदेश दिया हैं। वे कहते हैं कि युवाओं के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। कुछ ठान ले तो वह कर सकते हैं। सिटी से बाहर निकलकर देखेंगे तो बहुत कुछ समझ आएगा कि बाहर की आबोहवा क्या है।