सय्यद आफताब अली, SHAJAPUR. शाजापुर में घरेलू हिंसा और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा करने वाला महिला एवं बाल विकास विभाग अपने ही अधीनस्थों को न्याय दिलाने में नाकाम साबित हो रहा है। यही कारण है कि विभाग के अधीन कार्य करने वाली विधवा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को घरेलू हिंसा से राहत पाने के लिए विभागों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। वहीं वन स्टाप सेंटर की महिला अधिकारी के साथ भी आरोपी गाली-गलौज कर रहे हैं। अधिकारी ने पुलिस को पत्र लिखा गया है लेकिन पुलिस ने मामला गंभीरता से लेने की बजाय ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
पीड़िता ने जनसुनवाई में लगाई गुहार
ऐसे में न्याय की उम्मीद के साथ एक बार फिर पीड़िता ने जनसुनवाई में आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है। मंगलवार को ग्राम पांडूखोरा आंगनवाड़ी केंद्र की कार्यकर्ता रेखा यादव कलेक्टर कार्यालय पहुंची और यहां शिकायती आवेदन देकर बताया कि वो ग्राम लोंदिया में रहती है और 7 सितंबर 2022 को उसके पति विक्रम सिंह की दुर्घटना में मृत्यु हो गई है और इसके बाद से ही उसकी जेठानी मनीषा यादव, जेठ नरेंद्र यादव जो कि शिक्षक हैं। ससुर ओमप्रकाश यादव, सास चंपादेवी के साथ मिलकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
खेत और घर से बेदखल करना चाहते हैं ससुराल वाले
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने आवेदन में बताया कि उसके पति 25 साल से खेती किसानी का कार्य कर रहे थे और जिस खेत पर वो खेती कर रहे थे वो जमीन उसकी सास के नाम पर है। ससुराल वाले खेत और घर से उसे बेदखल करना चाहते हैं। इसी बात को लेकर हर दिन गाली-गलौज करना और जान से मारने की धमकी देते हैं। पुलिस को भी कई बार आवेदन दिया लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
महिला के ससुराल वालों ने वन स्टॉप सेंटर प्रशासक को भी दी गालियां
ससुराल वालों की प्रताड़ना से परेशान आंगनवाड़ी कार्यकर्ता रेखा यादव ने न्याय के लिए वन स्टॉप सेंटर पर गुहार लगाई लेकिन यहां से भी उसे कोई राहत नही मिली। दरअसल वन स्टॉप सेंटर प्रशासक नेहा जायसवाल ने शिकायत मिलने पर कार्यकर्ता रेखा यादव और उसके ससुर ओमप्रकाश यादव, जेठ नरेंद्र यादव को काउंसलिंग के लिए बुलाया। इस दौरान नरेंद्र यादव और ओमप्रकाश यादव ने प्रशासक नेहा जायसवाल और उनके स्टाफ के साथ गाली-गलौज की। इसके साथ ही प्रशासक को मारने के लिए हाथ भी उठाया।
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पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक नेहा जायसवाल ने 16 नवंबर को पुलिस को पीड़ित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और वन स्टॉप सेंटर की ओर से अलग-अलग प्रकरण दर्ज करने के लिए पत्र लिखा लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और उसके बच्चे डर के साये में जीने को मजबूर हैं।