जबलपुर की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी की एक और लापरवाही, डिप्टी डायरेक्टर के बाद सेनेटरी इंस्पेक्टर को रिटायर्ड करना भूले

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी की एक और लापरवाही, डिप्टी डायरेक्टर के बाद सेनेटरी इंस्पेक्टर को रिटायर्ड करना भूले

Jabalpur. जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के स्थापना विभाग को मेमोरी लॉस जैसा रोग लग गया है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि विभाग की कारगुजारियां यह बयान कर रही हैं। बीते दिनों विश्वविद्यालय एक डिप्टी डायरेक्टर को रिटायर करना ही भूल गया था, मामला गर्माया तो जांच चल ही रही थी कि स्थापना विभाग की एक और बड़ी भूल सामने आ गई है। विश्वविद्यालय में पदस्थ एक सेनिटरी इंस्पेक्टर को भी तय समय पर रिटायर ही नहीं किया गया। इस गफलत का पता लगते ही स्थापना विभाग में हड़कंप है। आनन फानन में नोटशीट तैयार कराई गई है। 



4 माह पहले ही हो जाना था रिटायरमेंट



दरअसल रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में पदस्थ सेनिटरी इंस्पेक्टर राधेश्याम यादव को 30 जुलाई 2022 को ही रिटायर हो जाना था। लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी स्थापना विभाग के अधिकारी उन्हें रिटायर ही नहीं कर पाए। इतना ही नहीं उक्त सेनिटरी इंस्पेक्टर से अभी भी सेवाएं ली जा रही हैं और हर महीने सैलरी भी दी जा रही है। 



नहीं दिया गया नोटिस



इस मामले में भी डिप्टी डायरेक्टर के मामले जैसे गलती हूबहू रिपीट हुई। नियम के मुताबिक रिटायर होने वाले व्यक्ति को स्थापना शाखा 6 माह पहले नोटिस जारी करती है। ताकि अधिकारी कर्मचारी अपने तमाम दस्तावेज अपडेट करवा ले ताकि उसे पेंशन व अन्य देयक पाने में दिक्कत न हो। लेकिन स्थापना विभाग को डिप्टी डायरेक्टर का मामला उछलने के बाद यह याद आया कि सेनिटरी इंस्पेक्टर को भी सेवानिवृत्त करना था। हालांकि इस मामले में कुछ भ्रम की स्थिति भी है जिसका निराकरण होना अभी बाकी है। 



कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल



विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा की जा रही इतनी बड़ी गफलत पर सवालिया निशान भी लगने लगे हैं। आरोप लग रहा है कि स्थापना शाखा के पास कर्मचारियों की सर्विस बुक तक ठीक से अपडेट नहीं है। जबकि नए साल की शुरूआत में ही लिस्ट तैयार हो जाती है कि किस महीने किसे रिटायर होना है। 



विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि एक कर्मचारी के मामले में जब जांच की गई तो लापरवाही सामने आई है, इससे पहले वरिष्ठता सूची में कर्मी का नाम नहीं था। संबंधित विभाग के कर्मचारी को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें जांच के बाद कार्रवाई भी की जाएगी। 



ये भी हो सकता है



ऐसे मामलों के जानकार बताते हैं कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों से उक्त भुगतान की वसूली भी की जा सकती है जितने वेतन का भुगतान विभाग द्वारा रिटायर न हो पाने वाले कर्मचारी अधिकारी को किया जाता है। अब देखना यह होगा कि इन दो मामलों की जांच में क्या निकलकर सामने आता है। 


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