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Jabalpur. जबलपुर के जिला अस्पताल में इन दिनों डॉक्टरों का टोटा है, सिविल सर्जन इमरजेंसी में तैनात किए गए डॉक्टरों की गैरहाजिरी को लेकर हाल ही में कलेक्टर से शिकायत भी कर चुके हैं। अब उन्होंने राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर अस्पताल में खाली पड़े डॉक्टरों के पद पर नियुक्तियां करने की मांग की है। बता दें कि जिला अस्पताल में तैनात 11 में 7 डॉक्टरों का प्रमोशन हो चुका है जो अब जिले में अलग-अलग जगहों पर सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में अस्पताल अब महज 4 डॉक्टरों के भरोसे चल रहा है। जिनकी डॉक्टरों की ड्यूटी यहां लगाई गई वे काम पर आने को तैयार नहीं हैं। कलेक्टर से कार्रवाई की मांग की गई जो अभी लंबित है।
आबादी के लिहाज से भी काफी कम हैं डॉक्टर
सरकार को लिखे गए पत्र में सिविल सर्जन डॉ मनीष मिश्रा ने यह उल्लेख किया है कि जबलपुर जिले की आबादी 18 लाख के आसपास है, ऐसे में जिला अस्पताल में केवल 4 डॉक्टर मौजूद रहने से करीब साढ़े 4 लाख की आबादी पर एक डॉक्टर उपलब्ध है। जिले में 25 से ज्यादा थाने हैं ऐसे में वहां से आने वाले पीड़ितों की एमएलसी के साथ-साथ इतनी बड़ी तादाद में मरीजों को इलाज उपलब्ध कराना बस के बाहर की बात हो रही है। सिविल सर्जन ने तो पत्र में यह भी लिख दिया है कि शासन की यह घोषणा कि समस्त जिलों में समान व्यवस्था लागू की जाए, वह भी जबलपुर के जिला अस्पताल में सटीक नहीं बैठ रही है। लिहाजा उन्होंने जिला अस्पताल में चिकित्सकों के खाली पड़े पदों को भरने की मांग की है।
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सिविल सर्जन डॉ मनीष मिश्रा का कहना है कि जिन डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई वे ड्यूटी करना नहीं चाह रहे, उनकी कलेक्टर से शिकायत भी की है। उन डॉक्टरों पर कार्रवाई कराना केवल उनका मकसद नहीं है, असल मकसद अस्पताल में इलाज की व्यवस्था सुचारू ढंग से चलाने का जिम्मा उन पर है। उन्होंने बताया कि पहले यहां 11 डॉक्टर थे, जिनमें से 7 को पदोन्नति मिल गई और प्रमोशन के बाद उन्हें जिले में अलग-अलग जगहों पर तैनात कर दिया गया। लेकिन जिला अस्पताल में इलाज मुहैया कराने की ओर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। आखिर बिना डॉक्टरों के कैसी चिकित्सा सुविधा।
अब देखना यह होगा कि सरकार जिला अस्पताल के सिविल सर्जन की चिट्ठी पर कब तक कोई फैसला ले पाती है, लेकिन तब तक यहां का जिला अस्पताल महज 4 डॉक्टरों के हवाले है। सिविल सर्जन भी पसोपेश में हैं कि यदि एक साथ बड़ी संख्या में मरीज आ जाएं तो वे उन्हें रेफर करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते, आखिर कंपाउंडरों और नर्सों से तो इलाज कराया नहीं जा सकता।