INDORE. इंदौर में शुजालपुर के एक किसान की हार्ट फेल होने पर आर्टीफिशियल हार्ट से जान बचाई गई है। मरीज का हार्ट सिर्फ 5% ही काम रहा था। मरीज के जिंदा रहने की संभावना लगभग खत्म हो गई थी। इस प्रोसेस को ‘एशिया-पेसेफिक’ इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में लाइव दिखाया है। मरीज की सर्जरी के लिए डॉक्टर्स ने लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस इम्पेला (The Impella Device) का यूज किया था। ये पहला केस है जब इस टेक्नोलॉजी का सेंट्रल इंडिया में उपयोग किया गया है। ट्रीटमेंट के बाद मरीज को 4 दिन में ही डिस्चार्ज कर दिया है।
अर्जुन के हार्ट में थे 3 ब्लॉकेज
शुजालपुर के किसान अर्जुन (50) डायबिटिक पेशेंट हैं। अर्जुन को पहले भी दो बार हार्ट अटैक आ चुका है। इन अटैक्स के बाद उनका हार्ट कमजोर हो गया था। उन्हें 25 जुलाई को फिर से चेस्ट पेन हुआ था। दर्द शुरू होते ही वे अपनी एक हफ्ते पहले की इकोकार्डियोग्राफी (echocardiography) और एंजियोग्राफी (angiography) की रिपोर्ट्स लेकर, एक प्राइवेट अस्पताल पहुंच गए। यहां डॉक्टर्स की टीम ने डायग्नोस किया। डायग्नोसिस में पता चला कि अर्जुन के हार्ट में 3 ब्लॉकेज हैं और उनके पास ज्यादा समय नहीं है। अर्जुन का हार्ट पंपिंग रेट सिर्फ 5% काम कर रहा था। डॉक्टर्स की टीम ने हार्ट ट्रांसप्लांट के साथ सभी तरह के ट्रीटमेंट के बारे में सोचा, लेकिन पेशेंट की बिगड़ती हालत को देखते हुए इम्पेला के जरिए ट्रीटमेंट किया।
blood vessel के जरिए करते हैं Implant
पेशेंट को लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (left ventricular assist device) लगाने का फैसला लिया। ये एक मैकेनिकल दिल है, जिसे इम्पेला (The Impella Device) कहते हैं। इसमें एक पतली, लचीली ट्यूब (catheter) के अंत में एक छोटा रक्त पंप होता है। इसे आमतौर पर मरीज के कमर में रक्त वाहिका (blood vessel) के जरिए डालते हैं। एक बार इमप्लांट होने के बाद, ये हार्ट के लेफ्ट साइड से शरीर में ब्लड पंप करता है।
ये है इम्पेसा की प्रोसेस
इस प्रोसेस में इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि लेफ्ट वेंट्रिकल, हार्ट चैम्बर्स में सबसे ज्यादा मोटा है। शरीर में टिश्यू (tissue) को ऑक्सीजनेटेड ब्लड पंप (oxygenated blood pump) करता है। इसलिए हार्ट फेल होने के समय इसे सही रखना जरुरी है। इसके इमप्लांट होने पर डिवाइस बॉडी के बाहर एक्सटर्नल कंसोल (external console) से जुड़ा रहता है। साथ ही लेफ्ट वेंट्रिकल को हार्ट के काम कर आराम करने में मदद करता है। इससे डॉक्टर्स को एंजियोप्लास्टी (angioplasty), स्टेंट प्लेसमेंट (stent placement) जैसे जरूरी ट्रीटमेंट्स में मदद मिलती है।
सबसे ज्यादा डेवेलप्ड डिवाइस है Impella
इम्पेला दुनिया का सबसे डेवेलप्ड लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (left ventricular assist device) है। चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) के आधार पर काम करता है। इससे ब्लड क्लॉट्स जमना लगभग बंद हो जाते हैं, जिससे स्ट्रोक की आशंका कम हो जाती है। इसमें मरीज के पैरामीटर्स (Parameters) को जल्दी ही अडॉप्ट करने की क्षमता होती है। डॉक्टर का कहना है कि हार्ट फेलियर के पेशेंट का हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में ये प्रोसेस की हेल्प ले सकते हैं। पेशेंट की फैमिली की सहमति के बाद ही इम्पेला प्रोसेस से उनके ब्लॉकेज निकाले गए। अब पेशेंट की हालत में सुधार है।
सेंट्रल इंडिया में पहली बार, हैदराबाद में दिखाया लाइव..
डॉक्टर्स ने बताया कि जब पेशेंट ने हमसे संपर्क किया तो हमने उन्हें टेम्पररी आर्टिफिशियल हार्ट इम्पेला की जानकारी दी। हमने मरीज और उसके परिजनों को बताया कि हम टेम्पररी ऑर्टिफिशियल हार्ट (temporary artificial heart) के जरिए उनकी एंजियोप्लास्टी (angioplasty) करेंगे। ये प्रोसेस सेंट्रल इंडिया में पहली बार हुई है। इसलिए इसे हैदराबाद (Hyderabad) में आयोजित एशिया-पैसीफिक वर्कशॉप (Asia-Pacific Workshop) में लाइव दिखाया गया। वहीं एक और डॉक्टर का कहना है कि लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (The Impella Device) का उपयोग लोगों का जीवन बचाने के लिए एक नई शुरुआत है।
4 साल में 100 लोगों की बची जान
ये मेडिकल टेक्नोलॉजी लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (इम्पेला) भारत में 2018 में आई थी। इस प्रोसेस की मदद से 4 सालों में करीब 100 लोगों की जान बचाई जा चुकी है। इनमें से हार्ट के सिर्फ 5% के काम करने (सबसे कमजोर केस) का ये केस था। इस प्रोसेस की मदद से ट्रीटमेंट में पेशेंट को करीब 18.50 लाख का खर्चा हुआ है।