Jabalpur. जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत शहरी आशा कार्यकर्ताओं को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि में गड़बड़ी सामने आने के बाद भुगतान के रिकॉर्ड में हेरफेर किए जाने का मामला सामने आया है। अधिकारियों द्वारा बिना किसी प्रमाणीकरण के आशा कार्यकर्ताओं को मनमाना भुगतान किया गया। बीते 2 सालों के रिकॉर्ड को जांचा गया तो खुलासा हुआ कि किसी आशा कार्यकर्ता को बिना काम किए 30 हजार का भुगतान कर दिया गया। तो मैदानी स्तर पर मेहनत करने वाली कार्यकर्ताओं को महज 2-2 हजार रुपए बतौर प्रोत्साहन राशि के दिए गए।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग की टीम जब भोपाल से आई तो जांच में घोटाले का खुलासा हुआ, उसके बाद गड़बड़ी छिपाने के लिए पोर्टल से 45 आशा कार्यकर्ताओं के नाम और उन्हें किए गए भुगतान का रिकॉर्ड ही गायब कर दिया गया। इस गफलत को पकड़ते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डायरेक्टर ने कलेक्टर को जांच और कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिखी है। कलेक्टर ने भी मामले की जांच जिला पंचायत सीईओ सलोनी सिडाना को सौंपा है। बताया गया कि शहरी आशा पोर्टल में आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन के तौर पर दी जाने वाली राशि का विवरण दर्ज होता है। इसका पासवर्ड कार्यक्रम प्रबंधक शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के पास रहता है।
ऐसे पकड़ में आई गड़बड़ी
जानकारी के मुताबिक जुलाई माह में इस बात का खुलासा हुआ था कि कुछ आशा कार्यकर्ताओं को ज्यादा भुगतान किया जा रहा है और कुछ आशा कार्यकर्ताओं को कम। जिसके बाद एनएचएम की भोपाल से आई एक टीम ने मामले की जांच की। विभाग ने आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान में असंतुलन के बाद शहरी स्वास्थ्य कार्यक्रम नोडल अधिकारी संदीप नामदेव को सभी आशा कार्यकर्ताओं के परिचय पत्र बनाने के निर्देश दिए। निर्देश के बाद भी संबंधित अधिकारी ने परिचय पत्र नहीं बनाए। आशा कार्यकर्ताओं की हेड काउंटिंग कराने कहा गया। यह प्रक्रिया भी कराने से अधिकारी बचते रहे। बाद में विभाग ने भुगतान पाने वाली आशा कार्यकर्ताओं से प्रजेंटेशन दिलाने का निर्णय लिया लेकिन वे उपस्थित ही नहीं हुईं। इस बीच पोर्टल से 45 आशा कार्यकर्ताओं के नाम गायब हो गए।
जिला पंचायत सीईओ डॉ सलोनी सिडाना ने बताया कि शहरी आशा पोर्टल से 45 आशा कार्यकर्ताओं के नाम और उनके भुगतान संबंधी रिकॉर्ड हटाने का प्रकरण सामने आया है। मामले में जांच कर जल्द कार्रवाई की जाएगी।