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देव श्रीमाली/ नवीन मोदी, GWALIOR. मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार को आज यानी 12 दिसंबर को फिर एक बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सिंधिया समर्थक विधायक जजपाल सिंह उर्फ जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। जजपाल सिंह जज्जी अशोकनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने विधायक पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। एकल पीठ ने 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
यह है पूरा मामला
कोर्ट ने अशोकनगर से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। अशोकनगर के एसपी को आदेश दिया है कि जज्जी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने का मामला दर्ज करें। साथ ही विधानसभा को आदेश दिया है कि इनकी सदस्यता समाप्त की जाए। 50 हजार का हर्जाना भी लगाया है। जज्जी ने कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लिया था। इस जाति को पंजाब में आरक्षण हैं। मध्य प्रदेश में नहीं है।
2018 में जीते थे चुनाव
2018 में जसपाल सिंह जज्जी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोक नगर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी लड्डूराम कोरी को हराया था। कोरी ने 2020 में हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में याचिका दायर कर उनके निर्वाचन को चुनौती दी थी, जिसमें कहा था कि उन्होंने गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ा है। उन्होंने पंजाब का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। लेकिन कोरी का कहना है कि यह जाति पंजाब में अनुसूचित जाति में आती है, एमपी में नहीं। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए इस प्रमाण पत्र को गलत मानते हुए एसपी अशोकनगर को जज्जी के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करने का आदेश दिया।
सिंधिया के साथ छोड़ी थी कांग्रेस
जसपाल सिंह जज्जी बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे और विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था और फिर बीजेपी के टिकट पर उप चुनाव लड़े और फिर जीत गए। लेकिन याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि उनकी सदस्यता जाएगी और इसके लिए कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को लिख दिया है।
एक सप्ताह में बीजेपी के दो विधायकों की सदस्यता गई
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक साल बाकी है लेकिन बीते एक सप्ताह में सत्ताधारी बीजेपी के दो विधायकों की सदस्यता कोर्ट ने निरस्त कर बड़ा झटका दे दिया है। पिछली 7 सितंबर को हाईकोर्ट ने खरगापुर से विधायक लोधी की सदस्यता शून्य करने के आदेश दिए थे। अभी छह माह से ज्यादा समय विधानसभा का कार्यकाल है, लिहाजा अगर यह ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट से स्थगित नहीं हुआ तो प्रदेश में इन दोनों सीटों पर उप चनाव कराना पड़ेगा।