असम की बीजेपी सरकार का दावा- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग हमारे राज्य में, जानें क्या है विवाद और महाराष्ट्र कांग्रेस के आरोप

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Atul Tiwari
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असम की बीजेपी सरकार का दावा- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग हमारे राज्य में, जानें क्या है विवाद और महाराष्ट्र कांग्रेस के आरोप

GUWAHATI/MUMBAI. असम की बीजेपी सरकार के एक दावे से नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। असम सरकार ने 14 फरवरी को जारी एक विज्ञापन में बताया है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग उनके राज्य में स्थित है। जबकि भीमाशंकर सदियों से महाराष्ट्र में स्थित है। कांग्रेस ने असम की बीजेपी सरकार पर शताब्दियों से हिंदू आस्था के केंद्र रहे ज्योतिर्लिंग उड़ा ले जाने का आरोप लगाया है। पार्टी नेता सचिन सावंत ने कहा है कि अब तक बीजेपी की दूसरी राज्य सरकारें महाराष्ट्र के निवेशक चुरा रही थीं, अब तो धार्मिक केंद्र उठा लेने की कोशिश की जा रही है।



यहां से गरमाया विवाद



द्वादश (12) ज्योतिर्लिंग में छठे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को लेकर असम लंबे समय दावा करता रहा है कि असली भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग उसके यहां है। वहीं, महाराष्ट्र लगातार इसका विरोध करता रहा है। इस समय ये मुद्दा तब गरमाया, जब असम सरकार ने 14 फरवरी को देश के अखबारों में एडवरटाइज जारी कर भीमाशंकर मंदिर असम में डाकिनी पहाड़ी पर होने का दावा किया और महाशिवरात्रि पर अपने यहां श्रद्धालुओं को आने का न्योता दिया। असम सरकार की ओर से दिए गए विज्ञापन में भीमाशंकर की कथा भी बताई गई है। विज्ञापन में देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम दिया गया है, लेकिन पुणे स्थित भीमाशंकर मंदिर की जगह असम के भीमाशंकर को छठा ज्योतिर्लिंग बताया गया। 



कैसे आए ज्योतिर्लिंग, क्या है महत्व



हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंगों का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि जब-जब भगवान शिव मनुष्यों की अटूट भक्ति और प्रेम से प्रसन्न हुए तब-तब उन्होंने स्वयं प्रकट होकर अपना आशीर्वाद दिया और वहां अपना प्रतीक चिन्ह (ज्योतिर्लिंग) स्थापित किया। ज्योतिर्लिंग स्वयंभू माने जाते हैं। देश में 12 ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें - गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर, उत्तराखंड में केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, घुशमेश्वर (घृष्णेश्वर) और त्र्यंबकेश्वर, उत्तर प्रदेश में बाबा विश्वनाथ, झारखंड में बैद्यनाथ और तमिलनाडु में रामेश्वरम हैं।



विज्ञापन में असम सरकार का दावा और न्योता



असम सरकार के विज्ञापन के मुताबिक, पामही (गुवाहाटी) का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग एयरपोर्ट से सड़क मार्ग पर केवल 18 किलोमीटर दूर है। श्री भीमाशंकर गुवाहाटी के पमोही में बारह ज्योतिर्लिंगों में से छठा है, जो असम राज्य में डाकिनी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। असम के मुख्यमंत्री ने एक विज्ञापन के जरिए महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में श्रद्धालुओं से भारी संख्या में आने की अपील की है। मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा ने विज्ञापन में 18 फरवरी को महाशिवरात्रि की आध्यत्मिकता में लीन होने का आमंत्रण दिया है।



महाराष्ट्र कांग्रेस का विरोध, भीमाशंकर के मुख्य पुजारी बोले- ज्योतिर्लिंग यहीं है



महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता सचिन सावंत ने ट्वीट किया कि बीजेपी सरकार महाराष्ट्र में उद्योग के साथ-साथ महत्वपूर्ण तीर्थ क्षेत्रों को हड़पना चाहती है। हम असम में बीजेपी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार इस मुद्दे पर तुरंत अपनी स्थिति स्पष्ट करे और असम के इस निंदनीय कृत्य की निंदा करें। वहीं, महाराष्ट्र के भीमाशंकर देवस्थान के मुख्य पुजारी मधुकर शास्त्री गावंडे ने कहा कि असम सरकार जो कहती है, उस पर किसी को विश्वास नहीं करना चाहिए। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग सह्याद्रि पर्वतमाला में स्थित है। पुराणों में इसका उल्लेख है। यहां शिव और पार्वती दोनों विराजमान हैं, असम में नहीं। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने असम सरकार की निंदा करते हुए कहा कि असम सरकार जो कर रही है, वह अस्वीकार्य और निराधार है।



दुर्गम तीर्थ क्यों माना जाता है भीमाशंकर?



देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में महाराष्ट्र के पुणे जिले का भीमाशंकर मंदिर प्रसिद्ध है। यह तीर्थ भीमा नदी के उद्गम स्थल में घने जंगल के बीच पहाड़ियों के बीच है। सह्याद्रि पर्वत शृंखला की पहाड़ी पर चढ़ने के बाद 325 सीढ़ियां उतरकर यहां पहुंचा जाता है। वन क्षेत्र घोषित होने की वजह से घाट पार करके ऊपर पहाड़ी पर पहुंचने के बाद वहां रहने की कोई अच्छी व्यवस्था नहीं बन पाई है। तीर्थ यात्रियों के लिए दुर्गम इस तीर्थ में राज्य के बाकी ज्योतिर्लिंग की अपेक्षा तीर्थयात्रियों की संख्या अपेक्षाकृत कम रहती है।



महाराष्ट्र सरकार की चुप्पी से उठ रहे सवाल



भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र की बजाय असम में होने के दावे पर बवाल मच गया है। कई धार्मिक विद्वानों ने शिवपुराण से लेकर विविध धर्मग्रंथों को प्रमाण के तौर पर पेश किया है, जबकि महाराष्ट्र में बीजेपी के नेता इस मुद्दे पर अपनी बात कहने से बचते नजर आ रहे हैं। ज्योतिर्लिंग का मुद्दा उठाने वाले कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने सीधे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है। उन्होंने पूछा है कि शिंदे-फडणवीस इतने संवेदनशील मुद्दे पर चुप क्यों हैं? क्या असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा से कोई सौदा हो गया है? महाराष्ट्र का यह प्राचीन तीर्थ कहीं असम को बेच तो नहीं दिया?


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