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इंदौर में पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर और कलेक्टर इलैया राजा टी के लिए विधानसभा चुनाव आसान नहीं, जानिए क्यों?

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Pratibha Rana
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इंदौर में पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर और कलेक्टर इलैया राजा टी के लिए विधानसभा चुनाव आसान नहीं, जानिए क्यों?

संजय गुप्ता, INDORE. सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले पूरे प्रदेश स्तर पर धड़ाधड़ ट्रांसफर हो रहे हैं। पहले कलेक्टर बदले गए, फिर पुलिस कमिशनर, पांच आईपीएस और 14 तहसीलदार के भी ट्रांसफर हो गए हैं। अब अगला नंबर एसडीएम, अपर कलेक्टर, एडीएम और टीआई व अन्य पुलिस अधिकारियों का है। ऐसे में नए पुलिस कप्तान (कमिशनर) मकरंद देउस्कर और कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी. के लिए अगले विधानसभा चुनाव आसान नहीं होने जा रहे हैं। नए अधिकारियों के कमान संभालने के बाद शहर को समझने के लिए चार-पांच माह का ही समय रहेगा। सबसे ज्यादा विधानसभा और मतदाता संख्या वाले जिले इंदौर में चुनाव के ऐनवक्त पहले यह जमावट चुनाव के दौरान चिंता बड़ा सकती है। अक्टूबर के पहले सप्ताह में आचार संहिता लग जाएगी, नवंबर में वोटिंग होगी। 





आगे यह अधिकारी भी बदलने वाले हैं





कलेक्टोरेट की बात करें तो यहां से आधे एसडीएम अंशुल खरे, शाशवत शर्मा, मुनीष सिकरवार, रवीश श्रीवास्तव के साथ ही एडीएम अजय देव शर्मा, अपर कलेक्टर राजेश राठौड़, अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर और आरएस मंडलोई यह सभी जिले में तीन साल पूरे कर चुके हैं। इसी तरह 14 तहसीलदार, नायब तहसीलदार तो शनिवार ( 25 मार्च)  की ट्रांसफर लिस्ट में ट्रांसफर हो चुके हैं। वहीं अभी इंदौर से तीन साल से ज्यादा समय बिताने वाले टीआई (थाना प्रभारियों) की संख्या भी 12 है। वहीं 15-20 सालों से इंदौर में जमे राजस्व निरीक्षक (आरआई) भी नायब तहसीलदार प्रभारी बनकर ट्रांसफर हो गए हैं। ऐसे में इन सभी थानों में बदलाव होगा, यानि कप्तान के बाद अब आधे से ज्यादा फील्ड अधिकारियों का अमला बदल रहा है, जो चुनाव के समय मैदान संभालेंगे।  





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दोनों कप्तानों की छवि भी सख्त की जगह जेंटलमैन वाली

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  • जिला कलेक्टर डॉ. इलैया राजाटी को कमान संभाले हुए साढ़े चार माह ( सात नवंबर को ट्रांसफर हुआ था) का समय हो चुका है। लेकिन इस दौरान यही सामने आया है कि वह सख्त प्रशासक होने की जगह जेंटलमैन ब्यूरोक्रेट अधिक है, अभी तक मुख्य उपलब्धि उनकी जनसुनवाई है, जिसमें हजारों लोगों को वह मदद कर चुके हैं। जिले में प्रशासनिक पकड़ कितनी है? इसका नमूना अभी देखने को नहीं मिला है, भूमाफिया का मामला हो, मिलावट के खिलाफ युद्द हो या अन्य मामला, अभी उनके काम की वैसी सख्त झलक नहीं दिखी है।



  • इसी तरह बात पुलिस कमिशनर की करते हैं, मकरंद देउस्कर के पहले पुलिस कमिशनर रहे हरिनारायण चारी मिश्र की बात करें तो उनकी भी छवि जेंटलमैन की रही है। इसी तरह जो देउस्कर भोपाल कमिशनर से ट्रांसफर होकर इंदौर पुलिस कमिशनर पद पर आए हैं, उनकी छवि भी इसी तरह की है। लेकिन इंदौर में लोग आज भी संजीव शमी और संतोष सिंह जैसे आईपीएस के कार्यकाल को याद करते हैं। पुलिस कमिशनरी के एक साल के आए आंकड़ों में भी इंदौर और भोपाल दोनों ही जगह क्राइम बढ़ना सामने आया है। 


  • चुनाव के पहले दोनों ही अधिकारियों को अपनी छवि, शैली के विपरीत जेंटलमैन की जगह अपराधियों के लिए सख्त कप्तान की भूमिका की झलक दिखानी होगी। क्योंकि इस बार चुनाव आसान नहीं है, अलग-अलग सर्वे स्तर पर भी सामने आ चुका है। इस बार चुनाव कांटे के हैं, ऐसे में लगातार सभी दल एक-दूसरे की शिकायत करेंगे और लॉ एंड आर्डर को चुनौती मिलेगी। इसे संभालने के लिए सख्त मिजाज और उनके अधीनस्थों की मैदान पकड़ सबसे अहम साबित होने वाली है।



     




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