उज्जैन. शिप्रा नदी के किनारे धूनी रमाते बाबा बमबम नाथ महाकाल की सवारी के लिए स्वागत सत्कार की पूरी तैयारी करवाते हैं। उन्हें एसा करते हुए 15 साल तक हो गए हैं। महाकाल का स्वागत सत्कार आसान नहीं हैं इसमें लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं। पैसों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने ये दिया जवाब....
पैसों के इंतजाम पर दिया जवाब
बाबा से जब पैसों के बारे में सवाल किया गया तो वह ठहाका लगाकर हंस दिए और टालते हुए कहने लगे कि ये तो सब बाबा महाकाल ही कराते हैं। मैं-तू-हम कौन? कराने वाला वो है, हमें तो बस आदेश मिलता है। पिछले 15 साल से आदेश मिल रहा है तो करा रहे हैं।
श्रद्धालुओं का उठाते हैं खर्च
अघोरी बाबा 15 साल से खर्च उठा रहे हैं, इतना ही नहीं वह कावड़ियों के लिए यात्रा का भी इंतजाम करते हैं। कावड़ियों का आना जाने और ठहरने का खर्च से लेकर दवा और खाने का इंतजाम बाबा ही करते हैं। महाकाल के सावन के महीने भर में उनके यहां भंडारा चलता है फिलहाल कोविड गाइडलाइन के चलते बाबा श्रद्धालुओं से दूर हैं।
एंड्रॉयड चलाते हैं बाबा
बाबा के बारे में बताया जाता है कि उनके पास एक हॉल है जिसमें दरवाजे नहीं हैं। अमुमन बाबा चक्रतीर्थ (श्मशान) में शिप्रा नदी के किनारे रहते हैं और तांत्रिक क्रियाएं भी करते हैं। वे नाममात्र के कपड़े पहनते हैं, वो भी सिर्फ काले रंग के। भस्म रमाते हैं और चिलम पीते हैं। वे एंड्रॉयड मोबाइल भी चलाते हैं और ऑपरेट करने के लि वॉइस कमांड ता इस्तेमाल करते हैं। । वे तपस्या करते हैं, हवन करते हैं। रोज देर तड़के महाकाल के दर्शन करने जाते हैं।