इंदौर के बाबू मिलाप ने जामली में 1.70 करोड़ में खरीदा था फार्महाउस, स्वीमिंग पूल और सुविधाओं पर चल रहा था काम, पत्नी-भाई गिरफ्तार

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BP Shrivastava
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इंदौर के बाबू मिलाप ने जामली में 1.70 करोड़ में खरीदा था फार्महाउस, स्वीमिंग पूल और  सुविधाओं पर चल रहा था काम, पत्नी-भाई गिरफ्तार

संजय गुप्ता, INDORE. सरकारी खजाने में 5.67 करोड़ की हेराफेरी करने वाले कलेक्ट्रेट के बाबू मिलाप चौहान की पत्नी मीनाक्षी, उसका भाई राहुल और साला अतुल चौहान भी गिरफ्तार हो गया है। पत्नी के खाते में 85 लाख, साले के खाते में 15 लाख रुपए गए थे। जबकि भाई के खाता खंगाला जा रहा है। भाई और साला भी मिलाप के साथ पार्टी करने जाता था और गोवा भी गया था। उधर, संपत्तियों में सामने आया है कि मिलाप चौहान ने महू के जामली में 26 हजार वर्गफीट का एक फार्महाउस लिया था, यह सौदा 1.70 करोड़ रुपए में हुआ था और 1.40 करोड़ का भुगतान हो चुका है। यह फार्महाउस पत्नी और अन्य दो लोगों के नाम पर है। इस फार्महाउस को पूरी लग्जरी सुविधा युक्त बनाया जा रहा था। स्वीमिंग पुल से लेकर अन्य सुविधाओं पर काम शुरू हो चुका था, जो अब खटाई में पड़ गया है। 



सबको जीजाजी ने मरवाया, किरोडे और निबांलकर फरार



साले अतुल को जब रावजी पुलिस ने गिरफ्तार किया तो वह थाने में यही बोला कि सभी को जीजाजी यानी मिलाप ने मरवा दिया। सारे खातों में ट्रांजेक्शन जीजाजी ही कर रहे थे और सभी को इसमें से कमीशन दिया जा रहा था। मिलाप का साथ रणजीत किरोडे और प्यून अमित निबांलकर ने दिया। इन दोनों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हुई है और यह दोनों फरार हो चुके हैं। इन्होंने भी अपने कई रिश्तेदारों को मरवा दिया है, जिनके खाते लेकर राशि ट्रांसफर की गई है। 



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पिक्चर अभी बाकी है…



इस घोटाले की पिक्चर अभी बाकी है। जिला प्रशासन की कमेटी अभी भी इस घोटाले की जांच कर रही है और कुछ नए खाते संदिग्ध मिले हैं, जिनकी जांच हो रही है। जिला प्रशासन के खातों से हितग्राहियों के पास राशि जाने और ट्रांजेक्शन फेल होने के रिकार्ड हजारों, लाखों की संख्या में हैं। हर साल औसतन 10-12 करोड़ की राशि खातों में पड़ी रहती है, ऐसे में इनकी जांच कर मिलाप करना इतना आसान नहीं है, खासकर छोटे ट्रांजेक्शन और जहां पर एक या दो बार ही राशि किसी खाते में गई हो। 



मामले की जांच के लिए बन सकती है एसआईटी  



जांच कमेटी के प्रमुख व अपर कलेक्टर राजेश राठौड़, इस मामले की पूरी तह में जाने में लगे हुए हैं। वहीं, सवाल अब लेखा शाखा के प्रभार संभालने वाले एसडीएम लेवल के अधिकारी के काम पर भी उठ रहे हैं। आखिर उन्होंने कभी इसकी जांच क्यों नहीं की, इस शाखा को संभालने वाले पूर्व एसडीएम भी टेंशन में हैं। कहा जा रहा है कि छोटी मछलियों को पकड़कर बड़ों को बचा लिया गया है। ऐसे में जांच कमेटी को यह भी देखना होगा कि कई हिस्साबांट का मामला ऊपर तक तो नहीं जा रहा था। वहीं, पुलिस भी इस मामले में एसआईटी बनाने पर विचार कर रही है, ऐसा होने पर कई और भी लोग जांच के दायरे में आ सकते हैं।


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