INDORE. इंदौर में आयोजित 17वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आज (10 जनवरी) को अंतिम दिन है। सम्मेलन का उद्देश्य भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान की सराहना और भारत से उनसे रिश्ते बढ़ाना है। सम्मेलन में 70 देशों के 3500 प्रवासी भारतीय तीन दिन से इंदौर में मौजूद है। इन सभी को सम्मानित किया जाएगा। सम्मेलन के दौरान अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को अपने देश और पेशवाई-निमाड़ की सांस्कृतिक विरासत से परिचित करवाने के लिए स्पेशल तैयारियां की गई हैं। एनआरआई को मालवा-निमाड़ की पगड़ियों से इंदौर से विदा किया जाएगा। बड़वाह के एक कलाकार ने इन पगड़ियों को तैयार किया है।
बड़वाह के कलाकार ने बनाई पगड़ियां
बड़वाह में रहने वाले संजय महाजन ने ढाई इंच की इन पगड़ियों को तैयार किया है। इन पगड़ियों को प्रवासी भारतीयों को भेंट किया जाएगा। संजय, नटेश्वर नृत्य संस्थान चलाते है। संजय अपने पूरे ग्रुप के साथ इस प्रवासी भारतीय सम्मेलन में लोक नृत्यों की प्रस्तुति दे रहे है। मालवी और पेशवा की इन पगड़ियों का मिनिएचर प्रदेश के पर्यटन विभाग को बहुत पसंद आया। इस वजह से उन्होंने इसके 50 सेट तैयार करवाए हैंं।
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पगड़ी होती है व्यक्ति के मान का प्रतीक
संजय का कहना है कि लोक नर्तक होने की वजह से पहले से ही पर्यटन विभाग के अधिकारी उनसे संपर्क में थे, क्योंकि वे लोक नृत्य के साथ पुतलीघर भी संचालित करते है। इसमें वे धार्मिक, सांस्कृतिक प्रसंगों पर बेस्ड पुतलियां बनाते हैं। पर्यटन विभाग ने संजय को एनआरआई सम्मेलन के लिए छोटी पगड़ी बनाने के लिए कहा था तो उन्होंने निमाड़ी और पेशवा पगड़ी का एक मिनिएचर बनाकर उन्हें दिया। इसके बाद अधिकारियों ने प्रवासी भारतीयों को देने के लिए उनसे 50 सेट पगड़ियों के बनवाए। संजय का कहना है कि पगड़ी मालवी और निमाड़ के लोगों की शान होती थी। निमाड़ी पगड़ी में हमारे ग्रामीण अंचल के लोगों को प्रदर्शित करती है।