भीख मांगना अपराध, फिर भी बढ़ती जा रही देश में भिखारियों की तादाद, केवल नागपुर चला रहा भिक्षावृत्ति उन्मूलन कार्यक्रम

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Rajeev Upadhyay
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भीख मांगना अपराध, फिर भी बढ़ती जा रही देश में भिखारियों की तादाद, केवल नागपुर चला रहा भिक्षावृत्ति उन्मूलन कार्यक्रम

New Delhi. देश में भिक्षावृत्ति एक नासूर की तरह है। ऐसा नहीं है कि सभी भिखारी इस नेक्सस का हिस्सा हैं, कुछ मजबूरीवश भिक्षाटन को पेशा बनाए हुए हैं, लेकिन देश के महानगरों में भिखारियों का सघन तंत्र मौजूद है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस तंत्र का सालाना टर्नओवर भी करोड़ों का है। जिसके चलते यह तंत्र मानव तस्करी और बच्चों के अपहरण जैसे गंभीर और घिनौने कृत्य को भी अंजाम दिलवाता है। वैसे देखा जाए तो देश में भीख मांगना अपराध भी है। 





साल 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भीख मांगने को अपराध बताने वाले कानून को रद्द कर दिया था। फैसले में तत्कालीन चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस हरिशंकर ने यह लिखा था कि भीख मांगने को अपराध बनाने कुछ सबसे कमजोर लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा। बाद में यह मामला शीर्ष अदालत पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी भिखावृत्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। 





दरअसल महाराष्ट्र के नागपुर शहर को भिक्षावृत्ति मुक्त शहर बनाने की पहल चल पड़ी है। पुलिस भिखारियों से सख्ती कर रही है। पुलिस का कहना है कि सार्वजनिक जगहों पर भिक्षावृत्ति की अनुमति नहीं मिलेगी। दूसरी तरफ सरकार पुराने कानूनों को खत्म करने की तैयारी में है, जिसमें यह कानून भी शामिल है जिसके तहत रेलवे स्टेशन पर भीख मांगना अपराध माना जाता है। 





साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में 4 लाख 13 हजार भिखारी थे। वहीं वर्तमान में इनमें काफी ज्यादा इजाफा हुआ है। कोरोना के दंश के चलते भी इनकी तादाद में बढ़ोतरी हुई है। देश में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में थे। दूसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश था। उसके बाद आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान का नंबर आता था। हालांकि यह क्रम साल 2011 की जनगणना के अनुसार है। 





1959 का बॉम्बे प्रिवेन्शन ऑफ बेगिंग एक्ट देश के 20 से ज्यादा राज्यों में लागू है। यह कानून भीख मांगने को अपराध बनाता है। इसके तहत सार्वजनिक जगह पर डांस करके, गाना गाकर, चित्रकारी करके, करतब दिखाकर पैसे मांगना भी भीख की श्रेणी में आता है। जिसके तहत पुलिस बिना वारंट किसी को गिरफ्तार भी कर सकती है। 





उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो साल 1975 से यहां भिक्षावृत्ति को अपराध बताने वाला कानून मौजूद है। यह कानून भीख मांगने को निषिद्ध करता है। निजी स्थान में भीख मांगने वाले व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है। 





बच्चों से भीख मंगवाना गंभीर अपराध







जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चों या किशोरों से भीख मंगवाना या ऐसा करने के मकसद से काम पर रखना गंभीर अपराध है। दोषी पाए जाने पर 3 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है। 



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