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संजय गुप्ता, INDORE. केवल आठ माह बाद मप्र में विधानसभा चुनाव है। इसके बावजूद कांग्रेस को इंदौर में शहराध्यक्ष पद के लिए ही नियुक्ति करने में पसीना आ रहा है। कांग्रेस ने 17 दिन पहले इस पद पर विनय बाकलीवाल को हटाकर अरविंद बागड़ी की नियुक्ति की थी, जो 24 घंटे भी नहीं टिकी थी। विरोध के बाद उन्हें होल्ड पर डाल दिया गया। बाकवीलाल को फिर प्रभारी बनाया गया और फिर उन्हें भी होल्ड कर दिया। इसके बाद जिला कांग्रेस प्रभारी महेंद्र जोशी को प्रभार दे दिया गया। शहराध्यक्ष के लिए दिल्ली से लेकर भोपाल तक दावेदारों की लाइन लगी हुई है। पद पाने के लिए कई तरह के दांवपेंच चले जा रहे हैं। मप्र के कांग्रेस प्रभारी जेपी अग्रवाल ने द सूत्र से चर्चा में कहा कि मामला फंसा हुआ है और रायशुमारी से ही इस पर अंतिम फैसला हाईकमान लेगा, यह कब तक होगा। इसकी कोई तय तारीख नहीं बता सकता हूं।
जमीन देने से लेकर भवन बनाने के भी ऑफर दिए जा रहे हैं
सूत्रों के अनुसार शहराध्यक्ष पद के लिए कई दावेदार अलग-अलग जरिए से ऊपर तक ऑफर दे रहे हैं। एक दावेदार ने गांधी भवन (कांग्रेस दफ्तर) के लिए अपनी करोड़ों की एक जमीन देने का ऑफर दे दिया है। तो वहीं एक ने वर्तमान भवन का पूरा नवीनीकरण कर सभी सुविधाएं जुटाने का वादा किया है। उधर, एक दावेदार ने तो इस दौड़ में मदद करने वाले को कार से लेकर नकदी देने तक के वादे कर डाले हैं। यह सभी करोड़पति कांग्रेसी है। उधर एक दावेदार ने अपने समाज को ही आगे कर दिया है और समाज के माध्यम से ही पत्र लिखवाकर दिल्ली हाईकमान तक पहुंचा दिए हैं।
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बागड़ी दौड़ में सबसे आगे, पीछे गोलू
द सूत्र को मिली जानकारी के अनुसार शहराध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे होल्ड पर किए गए अरविंद बागड़ी चल रहे हैं। उनकी नियुक्ति के बाद विरोधियों ने पुतले जलाए थे और नारेबाजी की थी। इसके बाद वह यह बात रखने में कामयाब हो चुके हैं कि वह पीड़ित है, विरोधियों को सजा और उन्हें पद दिया जाना चाहिए। वहीं दिल्ली जाकर लॉबिंग करने वाले गोलू अग्निहोत्री भी दौड़ में ज्यादा पीछे नहीं है। वह भी हर जगह खुलकर अपने वादे और ऑफर जाहिर कर चुके हैं, जो कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी लुभा रहे हैं। इन सबके बाद सुरजीत सिंह चड्ढा भी दम मार रहे हैं। उधर कुछ लोगों ने नेताओं को यह भी सुझाव दिया है कि एक शहराध्यक्ष के साथ एक-दो कार्यकारी अध्यक्ष कर दिए जाएं, जिससे सभी को संतुष्ट किया जा सके।
बाकलीवाल फिर नहीं बनेंगे, एक यह भी रास्ता
इन सभी के बीच यह तय हो चुका है कि विनय बाकलीवाल को फिर से शहराध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। खासकर बागड़ी के विरोध के दौरान हुए प्रदर्शन से दिल्ली के नेता हो या फिर खुद कमलनाथ भारी नाराज है, उनके साथ ही आठ नेताओं को अनुशासनहीनता के नोटिस भी जारी हो चुके हैं, जिस पर सभी ने जवाब तो दे दिए हैं, लेकिन मामला अनुशासन समिति के पास है और बताया जा रहा है कि कार्रवाई तय है। जिससे चुनाव के पहले संदेश दिया जा सके।
कांग्रेस की उठापटक पर बीजेपी भी लगाए हुए हैं नजरें
उधर चुनाव के पहले कांग्रेस की उठापटक पर बीजेपी की भी नजरें टिकी हुई है। कांग्रेस के कई नेताओं की पर्दे के पीछे बीजेपी नेताओं से गलबहियां चल रही हैं और लगातार चर्चाओं के दौर जारी है। कांग्रेस के संजय शुक्ला की बीजेपी में जाने की बात तो बीच-बीच में उठती ही रहती है और वह सफाई भी देते रहे हैंA उधर देपालपुर विधायक व शुक्ला के करीबी विशाल पटेल का भी नाम इसमें जुड़ा रहता है। इधर, बागड़ी के भी बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता सहित कई बीजेपी नेताओं से करीबी रिश्ते भी हमेशा कांग्रेस के कई लोगों को चुभते हैं। ऐसे में कौन कब किस खेमे से निकल जाए, कांग्रेस में इस पर भी भरोसा नहीं है। चुनाव के पहले यदि इंदौर में एक-दो विकेट चटकते हैं तो कांग्रेस को उबरने का भी मौका नहीं मिलेगा।
कमलनाथ के लिए भी अहम इंदौर
प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के लिए भी इंदौर काफी अहम होगा। जिस तरह से अजय सिंह, अरूण यादव और जीतू पटवारी के बयान सामने आए हैं, इससे कांग्रेस में दबी हुई गुटबाजी फिर उभर कर सामने आ गई है। इंदौर में यदि कमलनाथ अपने व्यक्ति को शहराध्यक्ष नहीं बना पाते हैं तो ऐसे में विरोधी और मुखर होंगे, हालांकि खंडवा में शहराध्यक्ष नियुक्ति होल्ड पर रखवाकर कमलनाथ ने अरूण यादव को संदेश दे दिया है। कमलनाथ पूरी तरह से फ्री हैंड चाहते हैं, ऐसा हुआ तो विरोधी निपटेंगे और नहीं हुआ तो विरोधी और मुखर होंगे। ऐसे में तय है कि कांग्रेस के लिए बीजेपी से ज्यादा चुनौती अपने वालों से ही मिलेगी।