BETUL. मध्य प्रदेश के बैतूल में पोस्टेड भारतीय वन सेवा (IFS) की अफसर पूजा नागले ने जबर्दस्त काम को अंजाम दिया है। पूजा ने राजस्थान में छापेमार कार्रवाई की और अवैध रूप से जंगल से काटी गई लकड़ी वापस ले आईं। इस दौरान उन्होंने और उनकी टीम ने बिना रुके 57 घंटे कार्रवाई की। अफसर और उनकी टीम की कार्रवाई की कहानी फिल्मी जैसी लगती है, लेकिन है बिल्कुल असली। पूजा के साथ 13 वनकर्मियों की टीम ने राजस्थान के भीलवाड़ा के हरिपुरा गांव में एक आरा मशीन पर सुबह 6 बजे दबिश दी। कर्मचारियों को भनक लगी तो उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें दबोच लिया गया। आरा मशीन के मालिक ने धौंस दिखाकर अपनी पहुंच की बात कही, लेकिन कुछ हुआ नहीं। इसके बाद पूरी तैयारी से गई टीम ने दिनभर लकड़ी जब्त करती रही।
22 पेड़ों को कटवाकर राजस्थान भेजा गया था
करीब एक महीने पहले महूपानी के जंगलों से सागौन के बेशकीमती 22 पेड़ों की अवैध कटाई की गई थी। वन अमला इसकी जांच में जुटा था। दक्षिण वनमंडल के प्रभारी डीएफओ वरुण यादव खुद इस मामले की जांच कर रहे थे। उनकी टीम में ट्रेनी आईएफएस पूजा नागले के अलावा वन अमले के 12 कर्मचारी शामिल थे। शुरुआती पड़ताल में यह बात सामने आई कि 22 पेड़ों की कटाई में कोई भूरा नाम का व्यक्ति शामिल है। टीम उसकी तलाश में खंडवा गई, उसे पकड़कर बैतूल लाया गया। यहां पूछताछ में उसने बताया कि महूपानी का सागौन हरदा की विश्नोई गैंग ने कटवाकर राजस्थान के भीलवाड़ा में भेजा। भूरा के मुताबिक, वह खुद इस सागौन को भीलवाड़ा की आरा मशीन पर छोड़कर आया था। यह बात सामने आने के बाद डीएफओ वरुण यादव ने आईएफएस अफसर पूजा नागले की अगुवाई में टीम बनाई।
लकड़ी राजस्थान सप्लाई की जा रही थी, ये सुनकर चौंक गए- पूजा नागले
आईएफएस अफसर पूजा नागले ने बताया कि मुझे बतौर ट्रेनी जॉइन किए हुए 2-3 महीने ही हुए थे। तभी जंगल में लकड़ी कटाई का मामला सामने आया। यह सब ऑर्गनाइज तरीके से हो रहा था। शुरुआती जांच में हमें 2 लोगों पर शक था। हमने मुखबिरों को सक्रिय किया, जानकारियां जुटाईं। सबसे पहले एक टीम बनाई गई। टीम ने शक के आधार पर खंडवा से ड्राइवर भूरा को दबोचा। पहले तो वह हमें कोई भी जानकारी देने में आनाकानी करता रहा, लेकिन जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने जो बताया, वह चौंकाने वाला था।
भूरा का कहना था कि बैतूल के जंगलों से काटी गई लकड़ी ट्रक में लोड कर राजस्थान के भीलवाड़ा में सप्लाई की जा चुकी है। हम हैरान थे कि आखिर इतनी दूर कैसे लकड़ी सप्लाई हो सकती है, जबकि रास्ते में कई बैरियर और नाके आते हैं। मामला राजस्थान से जुड़ा था, इसलिए कार्रवाई करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति लेना थी। शुरुआत में वरिष्ठ अधिकारी असमंजस में थे कि एक ट्रेनी आईएफएस पूरे मामले को किस तरह से डील करेगी।
डीएफओ सर ने वरिष्ठ अधिकारियों को कन्विंस किया। इसके बाद मेरे नेतृत्व में कार्रवाई के लिए अनुमति दे दी गई। जैसे ही परमिशन मिली, बैतूल से रवाना होने से लेकर लौटते तक का प्लान तैयार किया। कार्रवाई 650 किलोमीटर दूर राजस्थान के भीलवाड़ा के हरिपुरा में करनी थी। चैलेंज यह भी था कि जब्ती के बाद लकड़ी लाएंगे कैसे? कोई हमला हुआ तो कैसे निपटेंगे? तमाम चुनौतियों बावजूद मेरी टीम ने लगातार 57 घंटे तक बिना रुके मिशन को अंजाम तक पहुंचाया।