दमोह में बसंत पंचमी पर लिखी गई भगवान जागेश्वरनाथ महादेव की लगन, प्रदेश भर से हजारों श्रद्धालु बांदकपुर पहुंचे दर्शन करने

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Rajeev Upadhyay
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दमोह में बसंत पंचमी पर लिखी गई भगवान जागेश्वरनाथ महादेव की लगन, प्रदेश भर से हजारों श्रद्धालु बांदकपुर पहुंचे दर्शन करने

Damoh. दमोह में बसंत पंचमी के अवसर पर जागेश्वरधाम बांदकपुर में भगवान शिव की लगन लिखी गई और पूरी रात धार्मिक कार्यक्रम चलते रहे। भगवान जागेश्वरनाथ को 13 वे ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। बसंत पंचमी पर महादेव को जल अर्पित करने हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ी थी और अल सुबह से ही भक्तों के बांदकपुर पहुंचने का क्रम शुरू हुआ। जिसके लिए मंदिर प्रबंधन के द्वारा खासी व्यवस्थाएं की गईं थी। सुबह 4 बजे भगवान जागेश्वर नाथ मंदिर के पट खोले गए। 



कांवड़ यात्रियों ने सबसे पहले पवित्र नदियों के जल को भगवान शिव को अर्पित कर अभिषेक पूजन किया। इस अवसर पर आसपास के ग्रामीण अंचलों से लेकर दूरदराज के क्षेत्रों से भी भक्त पहुंचे। भक्तों की सुविधा के लिए महिला व पुरुषों की अलग-अलग लाइन बनाने के लिए बेरिकेट्स लगाए गए थे। रात में भगवान जागेश्वर नाथ का लगन उत्सव समारोह धूमधाम से मनाया।  महाशिवरात्रि में भगवान जागेश्वर नाथ का विवाह उत्सव होगा जिसकी तैयारियां  बसंत पंचमी के पावन अवसर से शुरू हो गई हैं और देर रात्रि भगवान की लगन लिखी गई।




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  • मंदिर प्रबंधक रामकृपाल पाठक ने बताया सुबह 4 से पट खुलते ही भगवान जागेश्वर नाथ महादेव के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम जारी रहा। बसंत पंचमी पर्व पर भगवान का संध्याकालीन विशेष श्रृंगार किया गया। संध्या कालीन आरती के बाद मंदिर दर्शनों के लिए खुले रहे।सभी भक्तों की मौजूदगी में  10 बजे से लेकर रात्रि के अंत तक मतलब 3 से 4 बजे तक तक महा रुद्राभिषेक किया गया। विद्वान पंडितों द्वारा लघु रुद्राभिषेक किया गया वहीं माता पार्वती मंदिर में एकादशी विद्वानों द्वारा 108 सूत्री पाठ करते हुए भगवान महादेव का लगन उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।




    शिवरात्रि पर जुड़ जाते हैं झंडे




    मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन बांदकपुर में भगवान शंकर और पार्वती जी के झंडे तेज हवा में एकदूसरे से जुड़ जाते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में जुटते हैं। यहां की प्राचीन बावली के जल को भी श्रद्धालु अपने साथ ले जाते हैं। वहीं शिवरात्रि पर यहां जल लेकर पहुंचने वाले कांवड़ियों की संख्या भी हजारों में रहती है। 


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