IAS अफसरों की खींचतान में अटका है भोपाल का मास्टर प्लान, अब फिर बदलाव की तैयारी, सिर्फ एक कॉलोनी शहर पर भारी

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The Sootr
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IAS अफसरों की खींचतान में अटका है भोपाल का मास्टर प्लान, अब फिर बदलाव की तैयारी, सिर्फ एक कॉलोनी शहर पर भारी

हरीश दिवेकर,भोपाल। भोपाल मास्टर प्लान पर 18 साल से लगा ग्रहण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। मास्टर प्लान जारी करने की A से Z तक की पुरी प्रकिया पूरी हो चुकी है। इसके बावजूद प्लान जारी नहीं हो पा रहा है। इसकी मुख्य वजह है IAS अफसरों की आपसी खींचतान। पूरा मामला रातीबड़ स्थित व्हिसपरिंग पाम कवर्ड कैंपस कॉलोनी का है, इस कॉलोनी में IAS-IPS अफसरों ने 10 से 15 हजार स्क्वेयर फीट के प्लाट पर करोड़ों रुपए के आलीशान बंगले बना रखे हैं। IAS-IPS की एक लॉबी इन बंगलों को बचाने में लगी हुई है तो दूसरी लॉबी व्हिसपरिंग पाम के बंगलों के निर्माण को अवैध बताने में। इस खींचतान में प्लान अटक गया है। दूसरी लॉबी के पास तर्क है कि बड़ा तालाब बचाना है तो उसके कैचमेंट एरिया को बचाना होगा, ऐसे में प्लान से छेड़छाड़ न की जाए, इसलिए प्लान में संशोधन कर फिर से दावे-आपत्ति बुलाकर इसे अंतिम रुप दिया जाना चाहिए। 



हम आपको बता दें कि मास्टर प्लान में ये एरिया बड़े तालाब के कैचमेंट में आने के कारण व्हिसपरिंग पाम को लो डेनसिटी की श्रेणी में रखा गया है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की सरकारी भाषा में लो डेनसिटी एरिया में 0.06 एफएआर दिया जाता है। यानि कि 10 हजार स्क्वेयर फीट के प्लाट पर मात्र 600 वर्गफीट तक ही बना सकते हैं, इसमें सर्वेंट क्वार्टर, कार पार्किंग, लिफ्ट एरिया जैसी सुविधाएं शामिल नहीं है, इन्हें भी जोड़ लिया जाए तो अधिकतम 1500 वर्गफीट ही बना सकते हैं। इसके बावजूद व्हिसपरिंग पाम में 5 हजार वर्गफीट से ज्यादा का निर्माण किया गया है। यहीं आकर बात फंस गई है। तत्कालीन कमलनाथ सरकार में मास्टर प्लान व्हिसपरिंग पाम का एफएआर 0.06 से बढ़ा कर 0.7 कर दिया गया था, लेकिन प्लान जारी नहीं हो पाया। तब से ही प्लान मंत्रालय में अटका हुआ है। अब प्लान में फिर से बदलाव कर व्हिसपरिंग पाम का एफएआर 0.7 से कम करके 0.06 किया जा रहा है। इस बदलाव के बाद सरकार को टीएनसीपी एक्ट के अनुसार संशोधित प्लान के हिस्से पर दावे आपत्ति बुलाना होंगी। उनकी सुनवाई के बाद ही भोपाल मास्टर प्लान 2031 लागू हो पाएगा। इस प्लान के जारी होते ही व्हिसपरिंग पाम में बनें करोड़ों के आलीशान बंगलों के बड़े हिस्से अवैध निर्माण में आ जाएंगे। यदि IAS लॉबी का दूसरा पक्ष हावी होता है तो नियमों के आधार पर IAS-IPS के अवैध निर्माण टूट सकते हैं।   



प्रस्तावित प्लान पर एक नजर 




  • बड़े तालाब के कैंचमेंट एरिया में आने वाले गांवों में तालाब से 250 मीटर और शहर में 50 मीटर में निर्माण नहीं हो सकेगा। शहर में रेसीडेंशियल इलाकों को 5 जोन में बांटा गया है।


  • बड़े तालाब के लगभग 360 वर्ग किमी के कैचमेंट एरिया में फिलहाल ग्रामीण क्षेत्र में एग्रीकल्चर लैंडयूज है। इसमें बफर जोन को छोड़कर बाकी हिस्से को निर्माण की अनुमति मिल सकेगी।

  • तीन साल पहले जारी ड्राफ्ट में बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में एफएआर बढ़ाने से लेकर कई जगह ग्रीन एरिया में पीएसपी (पब्लिक-सेमी पब्लिक, जिसमें स्कूल-कॉलेज बन सकते हैं)की अनुमति देने की बात थी।

  • प्रस्तावित प्लान में प्रीमियम एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) रखा गया है। इसमें आवासीय क्षेत्र में 2.0 और व्यावसायिक क्षेत्र में 5 एफएआर मिल सकेगा। ये एफएआर रोड की चौड़ाई के अनुसार तय होगा।

  • प्रीमियम एफएआर के लिए कीमत चुकानी होगी। ये दो तरीके से लिया जा सकता है पहला कलेक्टर गाइडलाइन की 20% राशि देकर और दूसरा टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट) खरीदकर। टीडीआर निजी व्यक्ति से भी खरीदा जा सकेगा। 



  • 12 मीटर से कम पर स्कूल और 18 मीटर से कम रोड पर कमर्शियल एक्टिविटी हो सकेगी



    प्रस्तावित प्लान में 12 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर प्ले स्कूल की अनुमति मिल सकेगी, वहीं 18 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर रिटेल शॉप, रेस्टोरेंट, कैंटिन, क्लीनिक, कोचिंग सेंटर, होस्टल, गेस्ट हाउस, होटल, प्राइमरी स्कूल, 24 मीटर तक चौड़ी सड़क पर सिनेमा, मल्टीप्लेक्स खुल सकेंगे।


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