अंकुश मौर्य, BHOPAL. राजस्व वसूली के लिए नगर निगम भोपाल नोटिस से लेकर कुर्की तक की कार्रवाई कर रहा है, लेकिन ये सख्ती छोटे बकायादार या आम आदमी तक ही सीमित है। नगर निगम ने इस वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक के लिए टैक्स वसूली का टारगेट 500 करोड़ रुपए रखा है। जिसकी वसूली के लिए कचरा गाड़ी के जरिए एनाउंसमेंट से लेकर मुनादी तक पिटवाई जा रही है।
रसूखदारों की संपत्तियों पर करीब 100 करोड़ रुपए बकाया
वसूली के ये सारे हथकंडे आम आदमी पर दबाव बनाने के लिए ही हैं, क्योंकि बड़े बकायादारों के खिलाफ नगर निगम के अधिकारी कोई सख्त एक्शन लेते नजर नहीं आते। जबकि रसूखदारों की संपत्तियों पर करीब 100 करोड़ रुपए बकाया हैं, जिसकी वसूली हो जाए तो 25 फीसदी टारगेट पूरा हो सकता है। दूसरी तरफ सरकारी दफ्तरों पर नगर निगम की दादागीरी नहीं चलती, इन पर सेवा प्रभार के 132 करोड़ रुपए बाकी हैं, जिसकी वसूली नामुमकिन नजर आती है।
वीडियो देखें.. टैक्स वसूली में रसूखदारों के सामने भीगी बिल्ली बने अफसर, आम आदमी पर दिखा रहे जोर
ये हैं टारगेट
नगर निगम भोपाल ने इस वित्तीय वर्ष में प्रॉपर्टी टैक्स, वॉटर सप्लाई टैक्स, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट चार्ज, सीवेज, लीज रेंट, कमर्शियल लाइसेंस पार्किंग, बिल्डिंग परमिशन फीस आदि को मिलाकर 500 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट रखा है। अकेले प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली का टारगेट 346 करोड़ रुपए है। इसमें से 290 करोड़ रुपए वसूले भी जा चुके हैं। 2021-22 में 250 करोड़ रुपए संपत्ति कर वसूला गया था। यानी इस बार संपत्ति कर के 100 करोड़ रुपए ज्यादा वसूले जाने हैं, लेकिन इस वसूली का पूरा दबाव आम आदमी पर ही है।
आम आदमी से वसूली के लिए बदल दिया नियम
प्रदेश सरकार ने आम आदमी से प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली के लिए नियमों में ही बदलाव कर दिया है। स्वयं के घर का टैक्स जमा करने पर मिलने वाली 50 फीसदी छूट की मियाद खत्म कर दी गई है। यानी 2022-23 का प्रॉपर्टी टैक्स यदि 31 मार्च से पहले जमा नहीं किया तो छूट नहीं मिलेगी। निगम अधिकारियों के कैल्क्यूलेशन के हिसाब से 100 फीसदी यानी दोगुना टैक्स और 15 फीसदी अधिभार भी चुकाना पड़ेगा। लोक अदालत में जाने पर भी आम आदमी को राहत नहीं मिलेगी, जबकि टैक्स जमा करने पर मिलने वाली 50 फीसदी की छूट हमेशा से मिलती रही है।
इन संस्थानों पर बकाया हैं करीब 100 करोड़
पहले बात करते हैं रसूखदारों के संस्थानों की, जो नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाते। वर्षों से निगम के अधिकारी इन संपत्तियों का कर वसूल कर पाने की जहमत नहीं उठा सके हैं, लिहाजा ये राशि करोड़ों में पहुंच गई है।
इसके अलावा टैक्स ना चुकाने वालों में शिक्षण संस्थान भी शामिल हैं। वहीं स्कूल और कॉलेज के मालिक, जो फीस जमा करने के लिए बच्चों और अभिभावकों पर तगादा लगाते हैं, लेकिन नगर निगम के तगादे को नजरअंदाज कर देते हैं।
टैक्स वसूलने वाले नगर निगम के अधिकारियों की दादागीरी राजनीतिक पार्टियों पर भी नहीं चलती है। पक्ष हो या विपक्ष दोनों ही दल टैक्स नहीं चुका रहे हैं।
निगम को टैक्स के नाम पर ठेंगा दिखाने वालों में बिल्डर भी पीछे नहीं हैं। शहर के नामी बिल्डर अपने रसूख के चलते प्रॉपर्टी टैक्स के करोड़ों रुपए दबाए बैठे हैं।
बड़े बकायादारों से वसूली क्यों नहीं करता निगम
अब सवाल उठता है कि इन बड़े बकायादारों से नगर निगम वसूली क्यों नहीं करता। जबकि इन बड़े बकायादारों पर ये राशि कई सालों तक टैक्स ना चुकाने की वजह से करोड़ों रुपए तक पहुंची है। दरअसल, टैक्स और कार्रवाई से बचने के लिए ज्यादातर बड़े बकायादार कोर्ट की शरण ले लेते हैं। नगर निगम प्रशासन कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखता और सालों तक रसूखदार कोर्ट के बहाने मामले को खींचते रहते हैं।
सरकारी विभागों पर 132 करोड़ रुपए बकाया
राज्य सरकार के 25 विभागों से निगम को करीब 35 करोड़ रुपए लेना है, जबकि केंद्र सरकार के रेलवे के 20 करोड़ रुपए बकाया हैं। वहीं शहर में सेना के 3 कार्यालयों से भी 76 करोड़ रुपए की वसूली करनी है। इसके अलावा भी राजधानी में कई निगम, मंडल और आयोग के कार्यालय हैं, इन पर भी सेवा प्रभार के करीब 5 करोड़ रुपए बकाया हैं।
नियम के मुताबिक सभी पर कार्रवाई
बड़े बकायादारों से वसूली ना होने पर प्रभारी उपायुक्त संध्या चतुर्वेदी का कहना है कि कुछ लोग शहर के विकास में योगदान नहीं देना चाहते। टैक्स देने की बजाय कोर्ट चले जाते हैं। नगर निगम नियमानुसार सभी पर कार्रवाई कर रहा है। उम्मीद है कि इस बार सभी से कर वसूली कर ली जाएगी।
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