भोपाल. रामनवमी के अवसर पर खरगोन में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद राजधानी पुलिस सतर्क है। पुलिस ने भड़काऊ पोस्ट डालने पर संबंधित व्यक्ति को एक साल तक इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल से वंचित करने की कवायद की। पिछले कुछ दिनों से असामाजिक तत्व अफवाह के जरिए अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए भोपाल पुलिस ने ऑपरेशन यथार्थ शुरू किया है।
ऑपरेशन यथार्थ के बारे में जानें
ऑपरेशन यथार्थ के तहत असामाजिक तत्वों के ऊपर कठोर कार्रवाई की जा रही है। साथ ही आम जनता से संवाद कर इंटरनेट मीडिया में फैल रही गलत जानकारी के यथार्थ को समझाकर जागरूक किया जा रहा है। अभी तक अलग-अलग समुदाय के पांच लोगों के विरुद्ध इंटरनेट मीडिया में भड़काऊ और अफवाह फैलाने के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इसमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इन लोगों के ऊपर सीआरपीसी की धारा 108 के अंतर्गत एक साल के लिए समाज में अशांति ना फैलाने के लिए बाउंड ओवर किया जा चुका है।
मोबाइल, कम्प्यूटर हो जाएंगे प्रतिबंधित
सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वाले और भड़काऊ किस्म की पोस्ट डालने वाले लोगों को इंटरनेट मीडिया में एक साल तक प्रतिबंधित कर मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रखा जाएगा। इसके लिए राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा (3) के अंतर्गत पुलिस कमिश्नर की तरफ से आदेश जारी किया जा रहा है। आम जन के अंदर विश्वास भरने, अफवाह पर ध्यान न देने के लिए व्यापक तौर पर संवाद किया जा रहा है।
अभी तक भोपाल के थानों में सभी बीटों पर आरक्षक से लेकर थाना प्रभारी 500 से अधिक मीटिंग ले चुके हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि इंटरनेट मीडिया या अन्य जगह से अशांति फैलाने की जानकारी मिलती है, तो तत्काल पुलिस को सूचित करें।