BHOPAL. स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा अवधपुरी गृह निर्माण सहकारी सोसायटी से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें चुनाव चिन्ह पंप मिला है। आईपीएस पुरुषोत्तम के अलावा 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। 16 जनवरी को सोसायटी के समुदायिक भवन में चुनाव होगा। चुनाव शांति पूर्ण तरीके से हो सके इसके लिए उन्होंने पुलिस से फोर्स की मांग की है। इसके लिए उन्होंने एडिशनल डीसीपी जोन-2 राजेश सिंह भदौरिया को 12 जनवरी गुरुवार को पत्र दिया। इसमें उन्होंने बताया कि 16 जनवरी को सोसायटी के सामुदायिक भवन में चुनाव होना है। निर्वाचन शांति पूर्वक हो सके इसके लिए 1, 2, 8 बल उपलब्ध कराएं। सुबह 10 बजे से दोपहर 4 बजे तक के लिए उन्होंने पुलिस बल की मांग की है। उनका आवेदन पूर्व डीजीपी स्वाराज पुरी के बेटे लेकर आए।
वीडियो वायरल होने पर सस्पेंड, लेकिन कोर्ट से मिली राहत
पुरुषोत्तम शर्मा का एक महिला के घर में बैठे हुए वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद उनपर बीवी के साथ मारपीट का आरोप लगा। इसका भी वीडियो वायरल हुआ था। जिसके बाद सरकार ने उन्हें 27 सितंबर 2020 को निलंबित कर दिया था। इसके बाद पुरुषोत्तम शर्मा की बहाली को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती थी। जिसमें वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा को हाई कोर्ट से राहत मिली थी। अदालत ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसके माध्यम से बहाली को चुनौती दी गई थी। अब वो स्पेशल डीजी भोपाल के पद पर पदस्थ किए गए हैं।
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वीडियो में पत्नी से मारपीट, महिलाओं को लेकर भी चर्चा में रहे
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा वीडियो में गुस्से में अपनी पत्नी से मारपीट करते दिख रहे थे। साथ ही अन्य महिलाओं को लेकर भी चर्चे में रहे। वीडियो वायरल होने के बाद राज्य सरकार ने संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा को सस्पेंड कर दिया था। मई 2022 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कैट के आदेश को सही पाया
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा के बीवी से मारपीट का वीडियो वायरल होने के मामले में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने पाया था कि सरकार तय किए गए प्रावधानों का उल्लंघन करके निलंबन की अवधि लगातार बढ़ा रही थी। इसलिए कैट ने आईपीएस पुरुषोत्तम शर्मा को नौकरी पर बहाल करने का आदेश दिया था। इस आदेश को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कैट के आदेश को सही पाया और राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। इसके बाद उन्हें बहाल किया गया।