BHOPAL. रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी की तरफ से मध्यप्रदेश पंचायत सचिव संगठन के एक ही पंजीयन पर दो अलग-अलग पदाधिकारियों से संबंधित दस्तावेज जारी हो गए। जिसके बाद संगठन पद दावे को लेकर घमासान मच गया है। पंचायत सचिव संघ मध्यप्रदेश में कर्मचारियों का बेहद सशक्त संगठन माना जाता है, इसका कारण सीधा गांवों से जुड़ाव है। यही कारण है कि इस संगठन की सत्ता में भी काफी अच्छी पकड़ होती है, हालांकि संगठन पर दावे को लेकर मचे घमासान के पीछे एक और कारण है और वह है संगठन का वार्षिक बजट जो कि करोड़ो में है। वर्तमान में इस संगठन पर दिनेश शर्मा और नरेंद्र राजपूत अपने-अपने दावे कर रहे हैं, और मामला बहुत जल्द कोर्ट तक तक पहुंचने वाला है।
पहले समझिए क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश पंचायत सचिव संगठन के नाम से वर्ष 2000 में पंजीयन नम्बर 8401/2000 रजिस्टर्ड किया गया। रजिस्टार फर्म्स के नियमो के मुताबिक संगठन में हर पांच साल में चुनाव होते हैं। 2019 तक जो चुनाव हुए उसमें सर्वसम्मति से दिनेश शर्मा को ही अध्यक्ष चुना जाता रहा। 17 मार्च 2022 को अचानक फर्म एंड सोसायटी का एक कागज वायरल होता है, जिसमें पंजीयन नंबर 8401/2000 में अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत, उपाध्यक्ष सुरेश विश्वकर्मा, सचिव राजेंद्र चौधरी, संयुक्त सचिव रणधीर रघुवंशी और कोषाध्यक्ष यादवेंद्र सिंह को बताया जाता है। दस्तावेज के अनुसार यह पदाधिकारी 2 दिसंबर 2024 तक रहेंगे। इसके बाद दूसरे पक्ष की ओर से 9 दिसंबर 2022 को एक दस्तावेज सामने आता है, जिसमें 22 जनवरी 2025 तक पंजीयन नंबर 8401/2000 में अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा, उपाध्यक्ष जगदीश सेन, सचिव नित्यानंद उपाध्याय, संयुक्त सचिव अंतिम साहू और कोषाध्यक्ष सुरेश शर्मा को बताया जाता है। हालांकि इस पूरे मामले को लेकर फर्म एंड सोसायटी के निरीक्षण संजय सीठा ने कहा कि पंजीयन नंबर 8401/2000 की ओर से फीस के साथ हमारे पास जो जानकारी जमा की गई, उसकी नकल हमारी ओर से जारी की गई है। अब यदि अध्यक्ष बदला रहे हैं तो इसकी जानकारी तो सोसायटी की ओर से ही मिल पाएगी।
संगठन का करोड़ों का बजट
संगठन में दावेदारी को लेकर मचे घमासान के पीछे करोड़ो का बजट भी बताया जाता है। मध्यप्रदेश में 23 हजार पंचायतें हैं, मतलब 23 हजार ग्राम पंचायत सचिव है। संगठन सहयोग निधि के रूप में प्रत्येक सचिव से साल में एक बार 1 हजार रूपए लेता है। यदि सभी सचिव यह सहयोग निधि जमा करते हैं तो 2 करोड़ 30 लाख रूपए होती है। मान लें कि आधे सचिव यह राशि जमा नहीं कर रहे हैं, तब भी 1 करोड़ 15 लाख का फंड हर साल संगठन के पास रहता है। सूत्रों के अनुसार इस फंड का उपयोग सचिवों से जुड़ी समस्याओं के समाधान के रूप में नेताओं और अफसरों तक पहुंचाया जाता है या इससे वर्ष में एक बार बड़ा सम्मेलन कर नेताओं को साधने की कोशिश होती है।
सरकार में सीधे तौर पर होती है संगठन की पैठ
मध्यप्रदेश में 52 हजार गांव है जिनमें प्रदेश के आधे से अधिक वोटर रहते हैं। सरकार इन तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए पूरी तरह से पंचायतों पर निर्भर है। कुल मिलाकर पंचायत सचिव के माध्यम से ही योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाता है और उसकी मॉनिटरिंग होती है। यही कारण है कि आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि सचिवों के फूट के लिए ही सरकार ने अपने नुमाइंदे खड़े कर दिए हैं, ताकि संगठन की ताकत को कम किया जा सके या बांटा जा सके। वहीं नरेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि दिनेश शर्मा किसान आंदोलन में जेल गए, उनके यहां ईओडब्ल्यू के छापे तक पड़े हैं, इन पर प्रकरणों की भरमार है, जिसके बाद विधिवत बैठक करके हमने इन्हें संगठन से बाहर कर दिया है।
5 हजार सचिवों को 4 माह से वेतन नहीं
राजधानी में मंत्रालय के सामने विंध्याचल बस स्टॉप पर 5 जनवरी, गुरूवार को अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने सांकेतिक धरना दिया। दिनेश शर्मा ने कहा कि 100 जनपद के 5 हजार सचिवों को 4 महीने से वेतन नहीं मिला है। 10 जनवरी तक यदि पूरा वेतन जारी नहीं होता है तो वह भोपाल की सड़कों पर बड़ा प्रदर्शन करेंगे। जिसमें प्रदेशभर के सचिव शामिल होंगे। दिनेश शर्मा ने कहा कि एक साजिश के तहत कटूरचित दस्तावेज बनाए गए हैं। उन्होंने इस मामले में पूरी तैयारी कर ली है, वे सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे। दिनेश शर्मा के अनुसार सभी सचिव उनके साथ है। 17 दिसंबर को लालघाटी में हुए सम्मेलन में यह बात साबित भी हो चुकी है।